बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हमला:

200 लोगों ने मंदिर में तोड़फोड़ और लूटपाट की; इस्कॉन प्रमुख बोले- चुप क्यों है संयुक्त राष्ट्र?

बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने एक बार फिर हिंदू मंदिर को निशाना बयाना है। गुरुवार शाम ढाका के इस्कॉन राधाकांता मंदिर पर 200 लोगों की भीड़ ने हमला कर तोड़फोड़ और लूटपाट की घटना को अंजाम दिया। इस हमले में तीन लोगों के घायल होने की खबर है। हमलावरों की भीड़ की अगुआई हाजी शफीउल्लाह कर रहा था।

इस्कॉन प्रमुख ने UN से पूछा-अब चुप क्यों हो?
इस्कॉन इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट राधारमण दास ने ट्विटर पर लिखा कि डोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या पर यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्होंने लिखा, “हमें आश्चर्य है कि संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा पर चुप्पी साधे हुए है। इतने सारे हिंदू अल्पसंख्यकों ने अपनी जान, संपत्ति खो दी है, लेकिन अफसोस है कि संयुक्त राष्ट्र चुप है।

गुरुवार शाम 7 बजे के करीब 200 लोगों की भीड़ ने मंदिर पर हमला कर लूटपाट की।

द कश्मीर फाइल्स ने हिन्दुओं को जगाया है, फिर से मत सोना
राधारमण दास ने लिखा कि कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया। आश्चर्य है कि वही संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा के प्रति मौन है। उन्होंने ये भी लिखा कि द कश्मीर फाइल्स ने हिन्दुओं को जगाया है, फिर से मत सोना।

शिवसेना ने बताया शर्मनाक
शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक और पूजा स्थलों के प्रति यह बढ़ती असहिष्णुता को शर्मनाक बताया है। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय से इस मुद्दे को बांग्लादेश के साथ मजबूती के साथ उठाने की अपील की है।

पिछले साल भी हुआ था हमला

पिछले साल भी दुर्गा पूजा के दौरान चांदपुर जिले में भीड़ ने हिंदू मंदिर पर हमला कर दिया था। इस दौरान 3 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से हिंदुओं को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी।

बांग्लादेश में पहले भी हो चुके हैं हिंदू मंदिरों पर हमले
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले का पुराना इतिहास है। भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले ही 29 अक्टूबर 1990 को बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी राजनीतिक संगठन ने बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की अफवाह फैला दी थी जिसके चलते 30 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई थी, जो 2 नवंबर 1990 तक जारी रही थी। इस हिंसा में कई हिंदू मारे गए थे।

 

 

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