क्या आ गयी है तीसरी लहर, कितनी घातक होगी थर्ड वेव?

महाराष्ट्र के मंत्री और मुंबई की मेयर ने कहा- आ गई है कोरोना की तीसरी लहर, इस दावे पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट,

केरल और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में कोरोना के नए केस बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के नागपुर, ठाणे जैसे शहरों में केस बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नितिन राउत कह चुके हैं कि नागपुर में तीसरी लहर आ चुकी है। संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए जल्द ही नई पाबंदियों का ऐलान किया जाएगा। मुंबई की मेयर ने भी कहा है कि मुंबई में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है।

देश में कोरोना की भयावह दूसरी लहर के बाद ही ये आशंका जताई जा रही थी कि अगस्त-सितंबर में तीसरी लहर भी आ सकती है। महाराष्ट्र-केरल में बढ़ते केसेस और नेताओं के इन बयानों ने तीसरी लहर को फिर सुर्खियों में ला दिया है।

समझते हैं, किन-किन राज्यों में केस बढ़ रहे हैं? बढ़ते केसेस के पीछे वजह क्या है? क्या वाकई तीसरी लहर आ गई है? तीसरी लहर पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है? और क्या तीसरी लहर भी दूसरी लहर जितनी भयावह होगी…

तीसरी लहर की बात क्यों हो रही है?

मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा है कि कोरोना की तीसर लहर आ गई है। लोगों को घर पर रहकर ही गणेश चतुर्थी मनाना चाहिए।महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत ने कहा कि जिस तरह से नागपुर में कोरोना के मामले दोगुनी रफ्तार से सामने आ रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि नागपुर में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है।

कहां-कहां केस बढ़ रहे हैं?

80% एक्टिव केस केरल, महाराष्ट्र और नॉर्थ ईस्ट में
इस वक्त देश के कुल एक्टिव केस का करीब 80% केरल, महाराष्ट्र और नॉर्थ ईस्ट में है। केरल में शुक्रवार को 25 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। इससे पहले बुधवार को 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे। देश के कुल एक्टिव केस के 61% मामले केवल केरल में हैं। इस वक्त केरल में 2.37 लाख एक्टिव केस हैं।

केरल के बाद सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं। यहां अभी करीब 49 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं।

तो क्या तीसरी लहर आ गई है?
पहले समझते हैं नए केसेस के आंकड़े क्या कह रहे हैं? फरवरी से देश में कोरोना के केसेस बढ़ना शुरू हुए थे। उसके बाद धीरे-धीरे इन केसेस ने रफ्तार पकड़ते हुए दूसरी लहर का रूप ले लिया था। फरवरी और मार्च में किस तरह केसेस बढ़े थे उसकी तुलना अगस्त और सितंबर में आ रहे केसेस से करें तो ट्रेंड अलग है। फरवरी-मार्च में जहां केसेस लगातार बढ़ रहे थे, वहीं अगस्त-सितंबर में केसेस में लगातार बढ़ने का ट्रेंड नहीं है। सितंबर में अभी तक औसतन हर दिन 40 हजार के करीब नए केसेस आ रहे हैं। जुलाई से लेकर सितंबर तक केसेस कम ज्यादा हो रहे हैं, लेकिन बहुत ज्यादा अंतर नहीं है।

एक्सपर्ट्स क्या कह रहे हैं?

नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोरा के मुताबिक, “अगर जून, जुलाई और अगस्त के दौरान फैलने वाले कोरोना वायरस का जीनोमिक एनालिसिस करें, तो वायरस का कोई नया स्ट्रेन सामने नहीं आया है। फिलहाल जो केसेस आ रहे हैं, वो उन लोगों में से हैं जिनमें अभी तक इम्यूनिटी डेवलप नहीं हुई है। हालांकि, डॉक्टर अरोरा ने कहा कि अभी भी करीब 30% लोगों में एंटीबॉडी नहीं है। आने वाले त्योहारों को देखते हुए हमें एहतियात बरतने की जरूरत है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा के मुताबिक, आने वाले दिनों में किसी भी लहर की इंटेंसिटी इतनी नहीं होगी जितनी अप्रैल-मई में दूसरी लहर के दौरान देखी गई थी। साथ ही ये लहर पूरे देश को प्रभावित नहीं कर सकेगी। हालांकि, जिन राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं, वहां एहतियातन इसकी जांच की जानी चाहिए।

IIT कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों के ससेप्टिबल, अनडिटेक्टेड, टेस्टेड (पॉजिटिव) एंड रिमूव्ड एप्रोच (SUTRA) के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर नियंत्रण में है, लेकिन तीसरी का खतरा लगातार बना हुआ है। अगर कोरोना का अब कोई नया वैरिएंट नहीं आया, तो तीसरी लहर भी देश में नहीं आएगी।

महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक,

नेशनल लेवल पर देखा जाए तो अभी दूसरी लहर ही चल रही है। अगर तीसरी लहर आएगी तो हमें राज्यों पर नजर रखना होगी। फिलहाल राज्यों में जो ट्रेंड देखने को मिल रहा है वो अलर्ट करने वाला है, लेकिन इसे लहर नहीं कहा जा सकता।किसी भी लहर के खत्म होने पर अगली लहर की शुरुआत तब मानी जाती है तब पहली लहर का ट्रांसमिशन साइकल स्थिर हो जाए। अभी ऐसा नहीं हुआ है। फिलहाल जो केसेस आ रहे हैं, वो दूसरी लहर की वजह से ही आ रहे हैं।आमतौर पर वायरस को स्टेबलाइज होने में 4-6 हफ्ते लगते हैं और वो अभी हुआ नहीं है। ऑनगोइंग लहर में केसेस कम ज्यादा हो सकते हैं, लेकिन अभी पुराना वाला ट्रांसमिशन साइकिल ही चल रहा है।

फिर राज्यों में मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

फिलहाल सबसे ज्यादा नए केसेस केरल से सामने आ रहे हैं। ICMR के चौथे सीरो सर्वे के नतीजे कहते है कि केरल में सीरोपॉजिटिविटी सबसे कम थी। जुलाई में किए गए सीरोसर्वे में केरल में केवल 44% लोगों में ही एंटीबॉडी मिली थी।केरल के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सीरो सर्वे में महाराष्ट्र में 58% लोगों में ही सिरोपॉजिटिविटी मिली थी। यानी इन दोनों राज्यों में नए केसेस बढ़ने की एक वजह यहां कम लोगों में एंटीबॉडी की मौजूदगी है।मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश वो राज्य हैं, जहां सीरो सर्वे में 70% लोगों में एंटीबॉडी मिली थी। फिलहाल इन राज्यों में कम मामले आ रहे हैं। इसे हर्ड इम्यूनिटी से जोड़कर देखा जा सकता है। हर्ड इम्यूनिटी के लिए 85% आबादी में एंटीबॉडी बनना जरूरी है। वैक्सीनेशन और सीरो सर्वे के लिहाज से इन राज्यों में कुछ हद तक हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हो चुकी है।

तो क्या जहां केसेस बढ़ रहे हैं, वहां तीसरी लहर आ गई है?
नहीं। ये बहुत अर्ली स्टेज है। कम से कम 15 दिन तक ट्रेंड को एनालाइज करना होगा। इसलिए अभी ये कहना सही नहीं है कि किसी भी जगह तीसरी लहर की शुरुआत हो गई है।

क्या तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी घातक होगी?

नहीं। तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी घातक नहीं होगी। नए केसेस बढ़ेंगे लेकिन पीक पर भी ये डेढ़ लाख से ज्यादा नहीं होंगे। हॉस्पिटल में भी दूसरी लहर जितना हाहाकार नहीं होगा।WHO चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक, भारत अब किसी भी लहर से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत अब शायद कोरोना की एंडेमिक स्टेज में एंटर कर चुका है। यानी वायरस अब लो या मॉडरेट लेवल पर फैलता रहेगा, लेकिन बहुत ज्यादा केसेस नहीं आएंगे। आसान भाषा में समझें तो कोरोना हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है और एक वायरल बुखार की तरह फैलता रहेगा।

भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी में डेवलप हो चुकी एंटीबॉडी
जुलाई में जारी चौथे सीरो सर्वे के मुताबिक, भारत में 67.6% आबादी में एंटीबॉडी डेवलप हो गई है। वहीं, 41% आबादी को वैक्सीन का एक डोज दिया जा चुका है।

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