पाकिस्तान के भारत विरोधी कश्मीर एजेंडे का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहा विरोध

इंटरनेशनल डेस्कः  पाकिस्तान के भारत विरोधी कश्मीर एजेंडे का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुलकर विरोध हो रहा है । बावजूद इसके पाकिस्तान भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा।  जम्मू-कश्मीर के  बारे में अस्पष्ट और अवास्तविक जानकारी को आधार बनाकर वर्षो से भारत को घेरने की रणनीति  पाकिस्तान के लिए कई बार बेइज्जती का सबब साबित हुई।  ऐसा पहली बार नहीं है जब पाक को इस मुद्दे पर मुंह की खानी पड़ी हो।

 

दरअसल पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में सेना की मौजूदगी के अस्पष्ट और अवास्तविक आंकड़ों और दैनिक आधार पर होने वाली कथित हिंसा की प्रकृति का जिक्र करते हुए जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की कथित खराब स्थिति को पेश करने की कोशिश करता रहा है। हालांकि पाकिस्तान के ऐसे लगातार प्रयासों ने  अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसकी किरकिरी करवाई है।

 
यूरोपीय संघ (EU) हलकों में  पाकिस्तानी नैरेटिव को एक  फालतू के शोर जिसे अंग्रेजी में काकोफोनी कहा जाता है, के रूप में जाना जाता है। इस शब्दजाल का उपयोग यूरोपीय संघ के सदस्यों के बीच आम हो गया है। यूरोपीय देश कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान द्वारा किए गए दबाव को नजरअंदाज करते हैं। पश्चिमी देश  मानने लगे हैं कि कश्मीर मुद्दे में उनकी कोई भूमिका नहीं है और इस मामले को दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए सुलझाना होगा। कुछ मामलों में जहां पाकिस्तानी पक्ष ने कश्मीर का मुद्दा उठाया है, पाकिस्तानी पक्ष से मानवाधिकार के मोर्चे पर पहले अपना घर साफ करने को कहा है।

 

खासकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सुरक्षा परिषद (UNHRC)  पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में गंभीर रूप से चिंतित है। UNHRC पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की स्थिति के बारे में भी चिंतित है जहां मानवाधिकारों व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में दयनीय स्थिति बनी हुई है। पिछले दो महीनों में पाकिस्तान में मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन सामने आया है और UNHRC को लगता है कि अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाने के प्रयासों सहित विभिन्न मोर्चों पर भारत के खिलाफ आवाज उठाने से पहले पाक को आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।

 

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