तालिबान को लेकर भारत का स्टैंड अहम, अमेरिका और रूस भी दे रहे तरजीह, चीन की हालत खराब

अफगानिस्तान मामले में भारत की कूटनीतिक भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है। तालिबान आतंकियों से सुरक्षा खतरे को देखते हुए अमेरिका और रूस भारत को भरोसे में लेकर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं। तालिबान से दोस्ती को आतुर चीन भी तालिबान आतंकियों के मुद्दे पर थोड़ा सशंकित है। इसलिए आतंकवाद पर भारत की मुखर राय ब्रिक्स, एससीओ सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्वीकार की गई है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे। वहां क्वाड बैठक में भी अफगानिस्तान कोर मुद्दा होगा। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात में भारत, अमेरिका और अफगानिस्तान के मसले पर ठोस रणनीतिक सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। अफगानिस्तान के मसले पर अमेरिका लगातार भारत के संपर्क में है। दोनों देश रणनीतिक स्तर पर काफी गंभीरता से चर्चा में जुटे हुए हैं।

अमेरिका इस समय अफगान मसले पर भारत के ज्यादा नजदीक है। दोनों आतंकवाद और सुरक्षा खतरों पर लगातार बात कर रहे हैं। दोनों देशों की एजेंसियां तालिबान आतंकियों से सुरक्षा खतरों के मिले इनपुट को खंगालकर भविष्य की रणनीति बनाने में जुटे हैं। उधर, रूस भी लगातार भारत को अफगान मसले पर अपने पाले में करने का प्रयास कर रहा है। रूस का रुख तालिबान व्यवस्था को लेकर नरम है, लेकिन आतंकवाद को लेकर उसकी भी चिंता कम नही है। इसलिए रूसी सुरक्षा अधिकारी इस मुद्दे पर भारत के साथ निरंतर संपर्क में हैं। रूस चाहता है कि तालिबान को पूरी तरह खारिज करने के बजाय चिंता वाले मुद्दों का बातचीत के आधार पर समाधान किया जाए। रूस इस मामले में भारत के साथ को महत्वपूर्ण मानता है।

एससीओ में स्पष्ट किया रवैया
गौरतलब है कि भारत ने तालिबान को लेकर अपना रवैया एससीओ में स्पष्ट कर दिया है। भारत के रुख से स्पष्ट है कि वह वहां की मौजूदा व्यवस्था को मान्यता नहीं देगा। भारत ने आतंकवाद को लेकर अपनी रणनीति भी स्पष्ट कर दी हैं। तालिबान और पाकिस्तान के आतंकियों के गठजोड़ से संभावित खतरों के बारे में भारत ने अपने मित्र देशों को आगाह किया है। देश में इनसे निपटने के लिए ठोस रणनीति पर एजेंसियां मिलकर काम भी कर रही हैं।

जैश और लश्कर मिले हुए हैं
सूत्रों का कहना है कि भारत के पास ठोस इनपुट है कि तालिबान के आतंकी गुट जैश और लश्कर के साथ मिले हुए हैं। कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आईएसआई तालिबान आतंकियों को नया मोहरा बनाना चाहता है। सूत्रों ने कहा कि क्वाड की बैठक में भी आतंकवाद पर ठोस चर्चा होगी। ब्रिक्स और एससीओ की तरह वहां भी साझा बयान में आतंकवाद को लेकर साझा रणनीति का ऐलान संभव है।

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