भारतीय अर्थव्यवस्था की 2021-22 में तेज होगी रफ्तार, GDP ग्रोथ 11% होने का अनुमान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में आज आर्थिक सर्वेक्षण 2021 पेश कर दिया है और इसे आज मुख्य आॢथक सलाहकार के.वी. सुब्रमण्यन ने लॉन्च किया। इकोनॉमिक सर्वे में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ चीन से भी ज्यादा रहने का अनुमान है। इस सर्वेक्षण से कोरोना संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर सामने आ गई है।

सर्वे के मुताबिक कोरोना की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में जी.डी.पी. में 7.7 प्रतिशत गिरावट का अंदेशा है लेकिन इसके बाद वी-शेप यानी तेज रिकवरी होगी, इसलिए 2021-22 में जी.डी.पी. में 11 प्रतिशत ग्रोथ रहेगी। फिर भी इकोनॉमी को महामारी से पहले के स्तर तक आने में 2 साल लगेंगे।

प्रोत्साहन और सामाजिक सुरक्षा लाभ की जरूरत
कोरोनावायरस के चलते लॉकडाऊन से अप्रैल से जून 2020 के दौरान जी.डी.पी. का आकार 23.9 प्रतिशत घट गया था। अनलॉक शुरू होने के बाद स्थिति सुधरी तो सितम्बर तिमाही में गिरावट सिर्फ 7.5 प्रतिशत की रह गई। इस तरह 2020-21 की पहली छमाही में जी.डी.पी. का आकार 15.7 प्रतिशत घटा है। सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि दूसरी छमाही में सिर्फ 0.1 प्रतिशत गिरावट रहेगी। हालांकि इसकी बड़ी वजह सरकारी खर्च का बढ़ना है।

सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था का रोडमैप भी है तो 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21’ मुख्य आॢथक सलाहकार कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन के नेतृत्व में एक टीम द्वारा तैयार किया गया है, जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति के साथ-साथ सुधारों का वर्णन करता है जो विकास को गति देने के लिए किए जाने चाहिएं। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए वेतन और करियर की प्रगति, बेहतर कार्य के लिए प्रोत्साहन और सामाजिक सुरक्षा लाभ की जरूरत है, ताकि भारत में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके।

कृषि विकास दर 3.4 प्रतिशत रहेगी, इंडस्ट्री और सॢवसेज में नैगेटिव ग्रोथ
इस साल इकोनॉमी के लिए सबसे बड़ा सहारा कृषि ही है। इसकी विकास दर 3.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जी.डी.पी. में इसकी हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। 2019-20 में यह 17.8 प्रतिशत थी, इस साल 19.9 प्रतिशत हो जाएगी। कृषि के अलावा इकोनॉमी के 2 सैक्टर हैं इंडस्ट्री और सॢवसेज। इंडस्ट्री में मौजूदा वित्त वर्ष में 9.6 प्रतिशत गिरावट रहने का अंदेशा है। सॢवस सैक्टर की ग्रोथ भी -8.8 प्रतिशत रहेगी। देश में मुद्रास्फीति की सही तस्वीर को दर्शाने के लिए खाद्य उत्पादों के भारांश में संशोधन किया जाना चाहिए। समीक्षा में कहा गया है कि खुदरा ई-कॉमर्स लेनदेन बढऩे के बीच मुद्रास्फीति में मूल्य आंकड़ों के नए स्रोतों को शामिल किया जाना चाहिए।

देश में 85 प्रतिशत छोटे किसान, नए कृषि कानूनों से उन्हें फायदा

नए कृषि कानूनों के विरोध में भले ही किसान 2 महीने से आंदोलन कर रहे हों, सर्वे में इन कानूनों की तारीफ की गई है। इसके मुताबिक नए कानूनों से छोटे किसानों को फायदा होगा। प्रोसैसर, होल सेलर और बड़े रिटेलर्स के साथ सौदा करते वक्त किसानों के पास ज्यादा अधिकार होंगे। देश के कुल किसानों में 85 प्रतिशत छोटे किसान ही हैं।
खेती में अनिश्चितता को देखते हुए अभी रिस्क किसानों के लिए रहता है। नए कानूनों से रिस्क उनके लिए होगा जो किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट खेती की डील करेंगे। किसान अपनी फसल की कीमत तय कर सकेंगे। उन्हें इसकी पेमैंट भी तीन दिन में मिल जाएगी। कॉन्ट्रैक्ट खेती से खेती में नई टैक्नोलॉजी भी आएगी।

सर्वे में हैल्थकेयर पर सरकारी खर्च जी.डी.पी. का 2.5 से 3 प्रतिशत तक ले जाने की बात कही गई है। 2017 की नैशनल हैल्थ पॉलिसी में भी यह लक्ष्य रखा गया था। इसके बावजूद अभी यह 1 प्रतिशत के आसपास ही है। इंटरनैट कनैक्टिविटी और हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च बढ़ाना चाहिए। टैलीमैडीसन को भी बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए इनोवेशन जरूरी

सर्वे में आॢथक वृद्धि दर तेज करने के लिए अपनाए जा सकने वाले उपायों का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि अभी भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है। अगर इसे तीसरे स्थान पर पहुंचना है तो इनोवेशन पर ध्यान देना जरूरी है। कोरोना की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी में भी इस साल 4.4 प्रतिशत गिरावट रहेगी। यह एक सदी में सबसे बड़ी गिरावट होगी।

सरकार को करदाता शिकायत निपटान प्रणाली को अधिक अधिकार देकर इसमें नई जान फूंकनी चाहिए। लवित्त वर्ष 2021-22 में जी.डी.पी. में पॉजीटिव रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2020-21 में सेवा और विनिर्माण क्षेत्र नैगेटिव रहा है। वहीं वित्त वर्ष 2022 में रियल जी.डी.पी. ग्रोथ का अनुमान 11 प्रतिशत पर रखा गया है जबकि नॉमिनल जी.डी.पी. का अनुमान 15.4 प्रतिशत है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का भी कहना है कि 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था 11.5 प्रतिशत रहेगी और 2022 में यह 6.8 प्रतिशत के आसपास रहेगी।

 

Related Articles

Back to top button