बीजेपी नेताओं को शामिल करनाअखिलेश यादव की बढ़ा सकती है मुश्किले, जानें

एक ही सीट पर कई दावेदारों वाली स्थिति हो गई

लखनऊ. स्वामी प्रसाद मौर्य सहित बीजेपी के कई मंत्रियों और विधायकों के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से पार्टी में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले खासा जोश दिख रहा है। हालांकि इन नेताओं को टिकट देने में अखिलेश यादव को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यहां इन नए नेताओं के आने से एक ही सीट पर कई दावेदारों वाली स्थिति हो गई है।

सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट को इसके एक उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री पद छोड़कर सपा में शामिल हुए धर्म सिंह सैनी नकुड़ से लगातार दूसरी बार विधायक हैं और आगामी चुनाव में इस सीट के लिए एक प्रमुख दावेदार हैं। उधर कांग्रेस छोड़कर सपा में आए इमरान मसूद भी इसी सीट पर दावेदार रहे हैं। वह वर्ष 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे।

नकुड़ सीट से टिकट का दावेदारी

सैनी और मसूद के अलावा समाजवादी पार्टी के कई स्थानीय नेता भी नकुड़ सीट से टिकट का दावेदारी कर रहे थे। उनका कहना है कि पिछले पांच वर्षों से सपा के सत्ता से दूर रहने के बावजूद वह पार्टी के वफादार सिपाही की तरह जमीन पर काम करते रहे हैं और पार्टी को मजबूत स्थिति में पहुंचाया है। वैसे नकुड़ विधानसभा सीट का कोई अकेला मामला नहीं है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को 18 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहां बीजेपी और बसपा के मौजूदा विधायक हाल के दिनों में सपा में शामिल हुए हैं और अपनी सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। इसके अलावा अखिलेश ने आगामी चुनाव के लिए सात छोटी पार्टियों के साथ भी गठबंधन किया है, जो अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए जिताऊ सीटों की मांग कर रही हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे की दावेदारी

उधर यूपी के प्रमुख ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं। सपा वर्ष 2012 में पडरौना में चौथे स्थान पर रही थी और वर्ष 2017 के चुनाव में गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को यह सीट दे दी थी, जो उस चुनाव में इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी। ऐसे में मौर्य को पडरौना से उम्मीदवार बनाने में सपा के लिए तो कोई परेशानी नहीं होगी, हालांकि उनके बेटे उत्कृष्ट के टिकट पर फैसला अखिलेश के लिए आसान नहीं होगा।

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