सियासी सवालों के बीच जानें मंत्रिपरिषद विस्तार से बिहार को क्या मिला?

पटना. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अपने मंत्रिपरिषद का विस्तार किया. आखिर मंत्रिपरिषद विस्तार से बिहार को क्या मिला. आइए, यह समझने की कोशिश करते हैं. नए मंत्रिपरिषद में 43 मंत्रियों ने शपथ ली है, जिनमें 36 नए चेहरे हैं वहीं सात को प्रमोशन मिला है. 36 नए चेहरे में दो बिहार से हैं और जिन सात मंत्रियों को प्रमोशन मिला है उनमें से भी एक बिहार से हैं. आरसीपी सिंह और पशुपति कुमार पारस जहां नये चेहरे हैं, वहीं आरके सिंह राज्यमंत्री से प्रमोट कर कैैबिनेेट मंत्री बनाए गए है. साथ ही 12 मंत्रियों ने मंत्रिपरिषद विस्तार के पहले इस्तीफा दे दिया, उनमें से भी एक मंत्री रविशंकर प्रसाद बिहार से हैं. प्रधानमंत्री ने इस बार अपने तीन सहयोगी दलों को मंत्रिपरिषद में जगह दी जिसमें से दो बिहार से ही जुड़े सहयोगी दल हैं, जेडीयू और लोजपा यानी लोक जनशक्ति पार्टी.

बिहार से अब छह मंत्री
रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे के बाद बिहार से अब केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में छह मंत्री रह गये हैं. बीजेपी कोटे से आरके सिंह, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, अश्विनी चौबे मंत्री हैं तो जेडीयू से आरसीपी सिंह और लोजपा कोटे से पशुपति कुमार पारस हैं. आरसीपी सिंह, आरके सिंह, पशुपति कुमार पारस और गिरिराज सिंह जहां कैबिनेट मंत्री हैं वहीं अश्विनी कुमार चौबे और नित्यानंद राय राज्यमंत्री है.आरसीपी सिंह को भारी भरकम इस्पात मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है जबकि पशुपति कुमार पारस को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय दिया गया है. यह मंत्रालय पहले उनके बड़े भाई रामविलास पासवान भी संभाल चुके हैं. गिरिराज सिंह को महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रभार दिया गया है. पहले वे मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के मंत्री थे. आरके सिंह को ऊर्जा मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है. नित्यानंद राय के विभाग में फेरबदल नहीं किया गया है. वे गृह राज्य मंत्री बने रहेंगे.अश्विनी कुमार चौबे का मंत्रालय बदल दिया गया है.अब वे उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री बनाए गए हैं.

केन्द्र और राज्य, अब दोनों जगह बीजेपी और जेडीयू सरकार में शामिल है. पहले केन्द्र में जेडीयू सरकार में शामिल नहीं थी बल्कि बाहर से समर्थन दे रही थी. वहीं अब सरकार में शामिल हो जाने से गाहे-बगाहे राजनीतिक हलकों में दोनों दलों में तकरार की खबरों को विराम लगेगा. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी ट्वीट कर बिहार से सहयोगी दलों के दो सांसदों को शामिल करने पर प्रधानमंत्री का आभार जताया है. सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि सहयोगी दलों को सम्मान मिलने से राज्य में एनडीए की एकजुटता मजबूत होगी. आरसीपी सिंह और पशुपति पारस के केंद्रीय मंत्री बनने से बिहार में एनडीए मजबूत होगा और केन्द्रीय मंत्री के नाते वे बिहार के हितों का विशेष ध्यान रखेंगे. मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार और केंद्र में भी एनडीए की सरकार हो, इसके लिए हमलोगो ने विचार किया और फिर ये फैसला हुआ. इसका एक साफ संदेश है.

आगामी यूपी विधानसभा चुनाव का साइड इफेक्ट
इस बार के मंत्रिपरिषद विस्तार में यूपी से सात सांसदों को जगह दी गयी है. उत्तरप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं इसलिए चुनावी गणित को देखते हुए यूपी को अधिक वरीयता दी गयी है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इसी का असर हुआ कि बीजेपी कोटे से बिहार से किसी सांसद को मंत्री नहीं बनाया जा सका. राजनीतिक गलियारों में सुशील मोदी और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल को मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी. हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सुशील मोदी बिहार बीजेपी की आपसी खींचतान का शिकार हो गये और मंत्री पद की रेस से बाहर हो गये.

पशुपति कुमार पारस की लोजपा को मान्यता
लोजपा से पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाये जाने से यह साफ हो गया कि बीजेपी लोजपा के पारस गुट को ही मान्यता दे रही है. अब यह जाहिर हो गया है कि एनडीए और बीजेपी के लिए चिराग पासवान कोई मायने नहीं रखते हैं. इससे पार्टी पर पशुपति पारस की पकड़ और मजबूत हो जाएगी. हालांकि पारस को लोजपा कोटे से मंत्री बनाए जाने पर चिराग पासवान ने कड़ा एतराज जताया है. चिराग पासवान की ओऱ से दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गयी है. लेकिन, यह याचिका पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्री बनाने के खिलाफ नहीं है बल्कि उन्हें लोकसभा में लोजपा संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता देने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ है.

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