हल्द्वानी में अवैध कब्जा, कैसे बन रहा है एक इंटरनेशनल मुद्दा

हल्द्वानी के करीब 50 हजार लोगों के लिए आज का दिन अहम है। बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

नई दिल्ली। उत्तराखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद जैसे ही हल्द्वानी में रेलवे की जमीन को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हुई, बवाल मचना शुरू हो गया। हल्द्वानी के करीब 50 हजार लोगों के लिए आज का दिन अहम है। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

बताया जाता है कि बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर 50 साल पहले अतिक्रमण शुरू हुआ था। अतिक्रमण अब रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर फैल गया है। स्थानीय लोगों का दावा है कि वे 50 साल से भी अधिक समय से यहां रह रहे हैं। उन्हें वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली, पानी, सड़क, स्कूल आदि सभी सुविधाएं भी सरकारों ने ही दी हैं। लोग सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। पीएम आवास योजना से भी लोग लाभान्वित हो चुके हैं। दावा है कि वे नगर निगम को टैक्स भी देते हैं। इनमें मुस्लिम आबादी की बहुलता है।

अब इसको लेकर जातिगत और वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। सोशल मीडिया पर जिस प्रकार से प्रतिक्रिया दिख रही है, उसके बाद तो यह एक इंटरनेशनल मुद्दा बन चुका है। ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा है कि कब्जा देवभूमि के हल्द्वानी में हुआ लेकिन दर्द और कराहने की आवाज Al Jazeera से आ रही है। उत्तराखंड के ब्लॉक और तहसील में नहीं होती 50,000 की आबादी। ना इन्हे पहाड़ी आती ना पहाड़ का कोई ज्ञान ना कागज है और ना ही खतौनी. बड़ा नेटवर्क है इन अवैध कब्जाधारियों का।

रेलवे का दावा है कि उसकी 78 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है। रेलवे की जमीन पर 4365 कच्चे-पक्के मकान बने हैं। हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को रेलवे की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। अतिक्रमण ध्वस्त करने से पहले ही मुस्लिम बहुल इलाके बनभूलपुरा में निषेधाज्ञा लागू हो जाएगी। साथ ही 14 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स, पांच कंपनी आरपीएफ व आरएफ समेत पीएसी व भारी पुलिस बल चप्पे-चप्पे पर तैनात रहेगी।

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