कोयले की कमी नहीं तो पूरे देश में बिजली के कट क्यों लग रहे हैं? सतेंद्र जैन

नई दिल्‍ली. राजधानी दिल्‍ली समेत देश के कई राज्‍यों में कोयले की कमी (Coal Shortage) की वजह से बिजली संकट मंडरा (Electricity Crisis In Delhi) रहा है. वहीं, रविवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा था कि देश में कोयले कमी नहीं है. इसके बाद दिल्‍ली सरकार के मंत्री केंद्र पर लगातार हमले बोल रहे हैं. सोमवार को दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे देश में बिजली के कट क्यों लग रहे हैं? हमें जानकारी नहीं है. योगी आदित्यनाथ को तो जानकारी होगी, वे तो उन्हीं के मुख्यमंत्री हैं, वे पत्र क्यों लिख रहे हैं. इससे पहले दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.

इसके अलावा जैन ने कहा कि किसी भी पावर प्लांट में 15 दिन से कम का स्टॉक नहीं होना चाहिए. अभी ज्यादातर प्लांट में 2-3 दिन का स्टॉक बचा है. एनटीपीसी (NTPC) के सारे प्लांट 55-50 फीसदी क्षमता पर काम कर रहे हैं. कोयले की बहुत बड़ी समस्या इस समय है. साथ ही कहा कि पहले हमें 4000 मेगावाट बिजली मिलती थी, लेकिन अब आधी भी नहीं मिल रही.

इससे पहले रविवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा था, ‘ केंद्र यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि देश में ‘कोयला संकट’ है.’ इसके अलावा सिसोदिया ने कोयला संकट को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान रहे ‘ऑक्सीजन संकट’ जैसा बताते हुए कहा कि हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की केंद्र की नीति देश के लिए घातक हो सकती है.

सिसोदिया ने केंद्रीय मंत्री पर लगाया ये आरोप
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने कहा कि कोयला संकट नहीं है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र नहीं लिखना चाहिए था. यह दुखद है कि केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने इस तरह का गैर जिम्मेदाराना रुख अपनाया है. आप नेता ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि केंद्र सरकार संकट से ‘दूर भागने’ के लिए बहाने बना रही है. सिसोदिया ने मौजूदा स्थिति की तुलना अप्रैल-मई से की. उन्होंने कहा कि उस वक्त राज्यों और चिकित्सकों ने कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी है, लेकिन केंद्र ने स्वीकार नहीं किया था कि ऐसा कोई संकट है.

वहीं, सिसोदिया ने कहा कि कोयला संकट बिजली संकट पैदा कर सकता है, जो देश की प्रणाली को पूरी तरह से ठप कर सकता है. यह उद्योगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है. उन्होंने कहा कि मैं हाथ जोड़ कर केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि कृपया संकट को स्वीकार कीजिए. केंद्र को सहयोग का व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए और कोयला संकट का हल करना चाहिए.

ये राज्‍य भी उठा रहे कोयले मुद्दा
हाल के दिनों में कुछ अन्य राज्यों ने भी कोयला आपूर्ति का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाया है. बाद में एक बयान में सिसोदिया ने दावा किया कि दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की सरकारें आसन्न संकट के बारे में केंद्र को चेतावनी दे रही हैं. उन्होंने बयान में कहा, ‘कई विद्युत संयंत्र बंद हो गये हैं. इस वक्त केंद्र को एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते स्वीकार करना चाहिए कि देश में कोयला संकट है, उसका समाधान तलाशना चाहिए और राज्य सरकारों पर आरोप नहीं लगाना चाहिए.’

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