तीसरी लहर से कितना सुरक्षित है भारत? क्या कहते हैं वैक्सीनेशन और एंटीबॉडी के आंकड़े

नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus In India) की तीसरी लहर (3rd Covid Wave) को लेकर लोगों के बीच आशंकाएं बरकरार हैं. रोज पाये जाने वाले नए मामलों में उतारचढ़ाव की बात करें तो 22 जुलाई को समाप्त हुए हफ्ते में जहां सात दिनों का औसत 37,975 केस था, वहीं 3 अगस्त को यह औसत बढ़कर 40,170 हो गया है. हालांकि यह निश्चित ही यह बड़ी वृद्धि नहीं है, लेकिन इसके जरिए यह सवाल जरूर उठ रहे हैं कि क्या यह तीसरी लहर की शुरुआत के संकेत हैं? और अगर ऐसा है तो क्या तीसरी लहर, अप्रैल-मई में आई दूसरी लहर की तरह घातक होगी? कोरोना रोधी टीकाकरण की गति, क्षेत्रीय और जनसांख्यिकी के आधार पर टीकाकरण और आबादी में मौजूद एंटीबॉडी के आंकड़ों से यह संकेत मिल सकते हैं कि आखिर तीसरी लहर कैसी होगी.

वैक्सीनेशन की बात करें तो Co-WIN के आंकड़ों के अनुसार, भारत की लगभग 40% वयस्क यानी 94 करोड़ की अनुमानित आबादी में से 37.5 करोड़ को 3 अगस्त तक वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिली है. वहीं सिर्फ 11 फीसदी लोगों को टीके की दूसरी खुराक मिल पाई है. हालांकि यह संख्या तेजी से बढ़ सकती है. जिन लोगों ने बीते महीनों में टीके लगवाए थे, उन्हें अगस्त या सितंबर के आस-पास दूसरी डोज मिलने के आसार हैं.

भारत के मुकाबले दूसरे देशों की बात करें तो अमेरिका और ब्रिटेन की आधे से ज्यादा आबादी का टीकाकरण हो चुका है. हालांकि डेल्टा वैरिएंट की वजह से वहां भी मामले बढ़े हैं. लेकिन वैक्सीन की मदद से मृत्यु दर की संख्या को कम करने में सफलता मिलने के संकेत हैं. वैक्सीनेशन में ज्यादा प्रगति हासिल ना कर पाने वाले पश्चिम, एशियाई और अफ्रीका के कुछ देशों से तुलना करें तो अमेरिका और ब्रिटेन में वैक्सीनेशन के बाद डेथ रेट में गिरावट आई है.

अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वैक्सीनेशन (Vaccination In India) की मदद से कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में अधिक मदद नहीं मिल पाएगी. भारत ने अलग-अलग आयु समूहों के लिए अलग-अलग समय पर अपना टीकाकरण अभियान शुरू किया. 1 मार्च को 60 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए, 1 अप्रैल को 45-60 वर्ष के बीच के लोगों के लिए और  1 मई को 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन शुरू किया गया. भारत में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले टीके की खुराक के बीच अंतर (कोविशील्ड; कम से कम 12 सप्ताह) बढ़ाने के परिणामस्वरूप वृद्ध लोगों को टीका लगाने वाली आबादी के हिस्से में बढ़त मिली है. 18-44 वर्ष के आयु वर्ग में 27.6% और 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 55.9% फीसदी लोगों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी है. माना जा रहा है कि युवा, संक्रमण की चपेट में आसानी से आ सकते हैं, क्योंकि वह पढ़ाई, नौकरी सरीखे कामों के लिए बाहर आते-जाते रहते हैं.

राज्यों और जिलों में क्या हैं टीकाकरण की स्थिति
इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों में वैक्सीनेशन की स्थिति भी मायने रखती हैं. हिमाचल प्रदेश में 73 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीका लगा दिया है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में 30 प्रतिशत से कम टीकाकरण हुआ है. इसका मतलब यह भी है कि टीकाकरण के मामले सबसे नीचे रहने वाले राज्यों में तीसरी लहर की स्थिति गंभीर हो सकती है. वहीं केरल में भी 55% से अधिक वयस्कों का टीकाकरण कर चुका है.

जिला स्तर पर बात करें तो 640 में से 128 जिलों में कुल आबादी के 43% को टीकों की कम से कम एक खुराक मिल गई है. इस तरह के सबसे अधिक जिलों वाले राज्य कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे जिलों की सबसे अधिक संख्या (12) हिमाचल प्रदेश से है, इसके बाद अरुणाचल और जम्मू और कश्मीर से 11 और उत्तराखंड से 10 हैं. बिहार, झारखंड या आंध्र प्रदेश का कोई भी जिला इसमें नहीं है. सबसे कम टीकाकरण वाले 128 जिलों ने अपनी आबादी का कम से कम 12.2% -21.6% आंशिक रूप से टीकाकरण किया है. इनमें से 43 जिले उत्तर प्रदेश से, 29 बिहार से और 12 पश्चिम बंगाल से हैं. सबसे कम कवरेज वाले पांच जिले मणिपुर में सेनापति (12.2%), हरियाणा में मेवात (12.6%), रायबरेली (12.7%) और उत्तर प्रदेश में बदायूं (12.8%) और तेलंगाना में महबूबनगर (13%) हैं. नई दिल्ली, मध्य जिला दिल्ली, दमन और गुरुग्राम और दादरा और नगर हवेली की 95% आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है.

एंटीबॉडी के मुद्दे पर क्या हैं संकेत?
एंटीबॉडी की बात करें तो हालिया सीरो सर्वे में कहा गया था कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है, जबकि छह साल से अधिक आयु की देश की आबादी के दो तिहाई हिस्से में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है. सरकार ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के चौथे राष्ट्रीय कोविड सीरो सर्वे के नतीजों से उम्मीद की किरण नजर आ रही है, लेकिन ढिलाई की कोई जगह नहीं है और कोविड से जुड़े नियमों का अनुपालन करना होगा. हालिया राष्ट्रीय सीरो सर्वे में दो तिहाई या छह वर्ष से अधिक आयु की भारत की 67.6 प्रतिशत आबादी में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है. एक तिहाई आबादी में यह एंटीबॉडी नहीं है, जिसका मतलब है कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है.सरकार के मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल किये गये स्वास्थ्य कर्मियों में 85 प्रतिशत में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी है और स्वास्थ्य कर्मियों में 10 प्रतिशत का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है. सर्वेक्षण में 28,975 आम आदमी और 7,252 स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया गया था. चौथे दौर का सर्वेक्षण 21 राज्यों के 70 जिलों में किया गया, जहां पिछले तीन दौर का सर्वेक्षण भी किया गया था.

Related Articles

Back to top button