कुंभ में कैसे हुआ कोरोना टेस्ट घोटाला, जांच में क्या कुछ पता चला? जानें हर सवाल का जवाब

नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी (ED) ने शुक्रवार को हरिद्वार में हुए कुंभ मेले के दौरान किए गए फर्जी कोरोना टेस्ट (fake Covid testing scam) को लेकर कई जगह छापेमारी की. कहा जा रहा है कि छापेमारी के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं. ईडी की टीम ने मामला दर्ज करने के बाद नोव्स पैथ लैब्स, DNA लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ. लाल चंदानी लैब प्राइवेट लिमिटेड, नलवा लेबोरेट्री प्राइवेट लिमिटेड सहित कई डॉक्टरों के खिलाफ तफ्तीश करते हुए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. ये छापेमारी दिल्ली, हरिद्वार, देहरादून, नोएडा और हिसार में किए गए.

आरोप है कि कुंभ स्नान के दौरान लाखों लोगों की कोरोना रिपोर्ट गलत दी गई. ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर को फैलने में मदद मिली. आईए जानते हैं कि क्या है ये घटोला और अब तक इस केस में क्या कुछ हुआ है.

फर्जीवाड़े के बारे में कैसे पता चला?
22 अप्रैल, 2021 को पंजाब के फरीदकोट में रहने वाले एक एलआईसी एजेंट विपिन मित्तल को एक मैसेज आया. मैसेज में उन्हें कोरोना टेस्ट को लेकर एक रिपोर्ट की लिंक दी गई थी. जबकि उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट कराया ही नहीं था. वो इस मैसेज को देख कर हैरान हो गए. उन्हें लगा की उनका पर्सनल डेटा चोरी हो गया और उनका दुरुपयोग किया गया. लिहाजा मित्तल स्थानीय जिला अधिकारियों के पास गए, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. बाद में उन्होंने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को एक ईमेल भेल कर शिकायत दर्ज की.

क्या है कुंभ कनेक्शन?
कोर्ट के आदेश के बाद हरिद्वार में प्रतिदिन कम से कम 50,000 कोरोना के टेस्ट कराए जा रहे थे, लेकिन पॉजिटिविटी रेट बेहद कम थी. करीब 1,600 पन्नों की जांच रिपोर्ट में हरियाणा की एक एजेंसी को इस जांच के केंद्र में रखा गया है. जिन नामों और पते के खिलाफ जांच रिपोर्ट जारी की गई थी, वे फर्जी पाए गए. कथित तौर पर टेस्ट किए गए कुंभ आने वालों में में से कई ने एक ही फोन नंबर को ‘शेयर किया गया था. जांच में एक सिंगल यूज एंटीजन टेस्ट किट के नाम पर कई लोगों के नाम रजिस्टर्ड थे. सैंपल लेने वालों की सूची में ऐसे लोगों के नाम पाए गए जो कभी कुंभ में भी नहीं गए.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक घोटाले की जांच करने वाली टीमों ने उन सभी मोबाइल फोन नंबरों पर कॉल की, जो लगभग 1 लाख आरटी-पीसीआर जांच के लिए दर्ज किए गए थे. जांच टीमों ने एक-एक नंबर पर कॉल करके ये पता लगाया कि क्या नंबर का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति कुंभ मेले में भी शामिल हुआ था, साथ ही इस घोटाले से जुड़े अन्य सबूत भी जुटाए. उत्तराखंड सरकार ने आठ सदस्यीय टीम का गठन किया जिसने इन नंबरों को एक-एक करके डायल किया और उनका वेरिफिकेशन किया.

क्या कोरोना टेस्ट करने वाले लैब के खिलाफ मामला दर्ज हुआ?
कुंभ मेले के दौरान उत्तराखंड सरकार ने 11 निजी कंपनियों को मेले में शामिल होने वाले लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट करने के लिए अधिकृत किया था. उनमें से, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, जिसने आरटी-पीसीआर टेस्ट करने के लिए नलवा लैब्स और डॉ लालचंदानी लैब्स को काम पर रखा था, उनके खिलाफ 17 जून को मामले दर्ज किए गए थे.

अब तक कितनी गिरफ्तारी हुई है? 
22 जुलाई को पहली गिरफ्तारी विशेष जांच दल ने की थी. हरिद्वार के सर्किल ऑफिसर, अभय प्रताप सिंह ने एएनआई को बताया कि हरियाणा का रहने वाला आरोपी आशीष नलवा, मैनपावर और अन्य उपकरणों के साथ कोविड परीक्षण प्रयोगशाला देता था. जांच से पता चला कि कुंभ मेले के दौरान COVID-19 टेस्ट में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली निजी एजेंसी ने मेला प्रशासन के साथ समझौते के बाद भी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), पोर्टल पर डेटा अपलोड करना जारी रखा.

क्या इससे ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर आई?
बीबीसी की एक रिपोर्ट ने कुंभ मेला तीर्थयात्रियों को “सुपर-स्प्रेडर्स” करार दिया. इसमें राजस्थान, उड़ीसा, गुजरात और मध्य प्रदेश में पॉजिॉटिव रिपोर्ट वाले लोगों की बात कही गई थी. ये सब कुंभ से लौट कर आए थे. हरिद्वार में 31 मार्च से 24 अप्रैल तक हुए इस मेले में 35 लाख भक्तों का जमावड़ा देखा गया. माना जा रहा है कि ये संक्रमण का केंद्र बन गया. मई में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोनो वायरस मामलों में वृद्धि के बावजूद धार्मिक आयोजनों की अनुमति जारी रखने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की और महामारी से निपटने के लिए अपनी तैयारियों पर संदेह करते हुए इसे नींद से जगाने के लिए कहा.

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