जानलेवा चीनी माझे पर रोक लगे

देशभर में पतंगबाजी का आम चलन है। साल में जैसे ही त्यौहारों का सीजन शुरू होता है, वैसे ही पतंगबाजी भी बढ़ जाती है। पिछले कुछ समय

-राजेश माहेश्वरी

देशभर में पतंगबाजी का आम चलन है। साल में जैसे ही त्यौहारों का सीजन शुरू होता है, वैसे ही पतंगबाजी भी बढ़ जाती है। पिछले कुछ समय से पतंगबाजी में चीनी मैटेलिक मांझे का चलन काफी बढ़ गया है। मैटेलिक चीनी मांझा काफी खतरनाक और जानलेवा है। ताजा घटना दिल्ली के मुकरबा चैक इलाके की है, जहां एक युवा कारोबारी की चीनी मांझे से गर्दन कटने से मौत हो गई। बीती 26 जुलाई को चाइनीज मांझे ने विकासपुरी फ्लाईओवर पर बाइक चला रहे एक शख्स को गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसकी गर्दन में 20 टांके लगे। इससे पूर्व भी इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। देशी मांझा से सस्ता होने के चलते चाइनिज मांझा की बिक्री ज्यादा होती है। प्रतिबंधित होने के बावजूद बाजारों में चाइनिज मांझा बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा है।

चाइनीज मांझा पतंग की वह डोर है जो इतनी खतरनाक होती है कि किसी भी इंसान का गला तक काट सकती है और उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत तक हो जाती है। चाइनीज मांझे की धार बहुत तेज होती है, यह पल भर में ही लोगों को अपना शिकार बना लेता है, इसीलिए अब इसे मौत की डोर कहा जाने लगा है। पतंग उड़ाने वाले अक्सर मजबूत धागे वाले मांझे खरीदते हैं ताकि कोई उनकी पतंग को काट ना सके, आसमान में तो उनकी पतंग को कोई काट नहीं पाता लेकिन उनकी यह डोर लोगों के गले जरूर काट देती है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जुलाई 2017 में खतरनाक चीनी मांझे की बिक्री पर पूरे देश में बैन लगा दिया था। मांझा बनाने वाली कंपनियां सुप्रीम कोर्ट भी गईं, लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली। दिल्ली में हौज काजी का लाल कुआं, जाफराबाद, सदर, लाहौरी गेट इलाका पतंग मांझा का बड़ा बाजार है। अब मांझा चीन से नहीं बल्कि तेज धार के साथ देश में ही बन रहा है। दिल्ली से सटे नोएडा में इसकी फैक्ट्रियां हैं, जहां यह धड़ल्ले से बनाया जा रहा है। लखनऊ में कई घटनाएं चाइनीज मांझे के चलते हुई है जिससे राहगीरों की जान पर बन आई।

साधारण मांझा धागे से बनता है और उस पर कांच की लेयर चढ़ाई जाती है, यह भी काफी खतरनाक होता है लेकिन ये आसानी से टूट जाता है, ऐसे में इसे कम खतरनाक माना जाता है, किंतु चाइनीज मांझे में प्लास्टिक, नायलॉन और लोहे का बुरादा मिला होता है। विभिन्न धातुओं के मिश्रण से तैयार होने से यह पतंग के पेंच लड़ाने में अधिक कारगर होता है इसीलिए अब इसका प्रयोग अधिक किया जाने लगा है। विभिन्न धातुओं के मिश्रण से बने होने के कारण यह बेहद धारदार और विद्युत सुचालक होता है, इसके उपयोग के दौरान दुपहिया वाहन चालकों और पक्षियों के जानमाल का नुकसान होता है। यह मांझा जब बिजली के तारों के संपर्क में आता है तो विद्युत सुचालक होने के कारण यह पतंगबाजी करने वालों के लिए भी जानलेवा साबित होता है और इससे बिजली की सप्लाई में भी बाधा पहुंचती है। कई बार दो तारों के बीच इस धागे के संपर्क से शॉर्ट सर्किट भी हो जाते हैं।

हर वर्ष चाइनीज मांझे के कारण कई लोगों को देश में जान गंवानी पड़ती है। केवल चाइनीज मांझा ही नहीं इसके अलावा और भी बहुत से खतरनाक मांझे बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। चाइनीज मांझे के इस्तेमाल, बिक्री और स्टॉक पर प्रतिबंध है, इसके बावजूद इसकी बिक्री और खरीद बंद नहीं हो रही और इससे होने वाले हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे। कई पतंगबाज लगातार इस प्रतिबंधित मांझे का इस्तेमाल कर लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। इसकी चपेट में आकर पिछले सालों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, हजारों की तादाद में पंछी हर साल जख्मी होते हैं।

मांझे बनाने की फैक्ट्रियों पर छापा मारकर इसे बनाने वालों को पकड़ना चाहिए, उन पर सख्त कानून कार्यवाही होनी चाहिए। जानलेवा होने के बावजूद भी जो लोग महज अपने थोड़े से मनोरंजन के लिए इसके प्रयोग को बंद नहीं कर रहे हैं, और जो दुकानदार बैन होने के बावजूद इसकी बिक्री कर रहे हैं, उन्हें खिलाफ भी सख्त कानून कदम उठाने चाहिएं। चीनी मांझे पर सख्ती बेहद जरूरी है। जिस घर का सदस्य इस मांझे का शिकार होता है वहीं इसका दर्द समझ सकता है। पंद्रह अगस्त को दिल्ली और देशभर में खूब पतंगबाजी की जाती है, ऐसे में इस समय दुर्घटनाएं शुरू हो जाती हैं। इस पर सख्ती होनी चाहिए।

-लेखक उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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