कश्मीरी पंडितों की 1000 संपत्तियों से कब्जे छुड़ाए, ये भी गैरमुस्लिमों पर हमलों की वजह

कश्मीर में गैर-मुस्लिमों पर अचानक बढ़े हमलों के पीछे आतंकियों की बौखलाहट छिपी है। इसकी वजह कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों से कब्जे हटाने की मुहिम भी है। आतंकवाद के कारण घाटी से पलायन करने वाले पंडितों की संपत्तियों से अवैध कब्जे छुड़ाने का अभियान हाल ही में शुरू किया गया था।

1990 के बाद यह पहला मौका है, जब घर छोड़ने को मजबूर हुए पंडितों की जमीनों-मकानों से कब्जे छुड़ाए जा रहे हैं। प्रशासन ने सितंबर में पोर्टल शुरू किया था। इस पर देश में कहीं भी रह रहे कश्मीरी पंडित अपनी संपत्ति पर कब्जे की शिकायत दर्ज करा रहे हैं। शिकायत मिलते ही प्रशासन उक्त संपत्ति से कब्जा छुड़ाने की कार्रवाई शुरू कर देता है। प्रशासन को कब्जों की हजारों शिकायतें मिली हैं

इनमें से 1000 से ज्यादा शिकायतों पर कार्रवाई हो चुकी है। कुछ शिकायतें ऐसी भी हैं, जिनमें धोखाधड़ी से जमीन हड़पने की बात है। जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हर जिले में कब्जे हैं। सबसे ज्यादा एक हजार शिकायतें अनंतनाग में हैं। एक मामला तो ऐसा था, जहां 5 एकड़ से अधिक जमीन हड़प ली गई थी।

अब यह जमीन छुड़ा ली गई है। ज्यादातर मामलों में कब्जा करने वाले पड़ोसी ही हैं। कुछ मामले ऐसे भी हैं, जहां भू-माफिया सक्रिय है। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के पदाधिकारी संदीप बताते हैं कि सिर्फ पंडित घर छोड़कर नहीं गए थे। काफी सिख और मुस्लिम भी पलायन को मजबूर हुए थे। उनकी संपत्ति भी वापस दिलाई जानी चाहिए।

3 दशक बाद पंडितों की घरों-जमीनों से कब्जे हटाने की कवायद शुरू1990 में पंडित जब आतंक के खौफ से पलायन को मजबूर हुए तो संपत्तियां कब्जा ली गई थीं

बड़ा सवाल: जमीन वापस पाने वाले पंडितों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?

केस-1: शिकायत मिलते ही जमीन छुड़ा ली, असल मालिक को मिलनी बाकी
अनंतनाग में एमएल धर की 1 एकड़ जमीन गुलाम रसूल ने कब्जा रखी थी। धर ने पोर्टल पर शिकायत की। प्रशासन ने एक हफ्ते में ही जमीन छुड़ा ली। ठीक इसी तरह फूला रैना की 3 कनाल जमीन उनके पड़ोसी मोहम्मद इस्माइल पाला ने हड़प रखी थी। यह भी छुड़ा ली गई है। अब इनका कब्जा असली मालिकों को सौंपने की तैयारी है।

केस-2: खेती के लिए जमीन दी थी, लेकिन उपज का हिस्सा नहीं मिला
रोशनलाल कौल की 6.5 कनाल जमीन मोहम्मद शब्बीर चोपन ने कब्जा रखी थी। कई मामले ऐसे भी आए हैं, जहां पलायन करने वाले पंडितों ने जान-पहचान के लोगों को जमीन खेती करने के लिए दी थी। तय हुआ था कि उपज का एक हिस्सा उन्हें भी मिलता रहेगा। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। ऐसे मामलों में अब बकाया वसूली भी हाेगी।

केस-3: 5 एकड़ जमीन पर कब्जा कर सेब-नाशपाती के बाग लगाए
कुलगाम के एक पंडित ने कहा- ‘मेरे पुरखों की 5 एकड़ जमीन है। उसे वहां के एक परिवार ने कब्जा रखा है। सेब-नाशपाती के बाग लगा लिए हैं। मैंने पुलिस, राजस्व अधिकारियों से कई बार कब्जा छुड़ाने के लिए संपर्क किया। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ। हम एक दशक से केस लड़ रहे हैं। अब पोर्टल शुरू होने से उम्मीद जगी है।

जिनकी जमीनें कब्जामुक्त हो चुकी हैं, वे अभी कश्मीर नहीं लौटे हैं। कहते हैं- ‘हम जाने को तैयार हैं, पर बिना सुरक्षा कैसे जाएं। सरकार को इस बारे में सोचना होगा।’

कई मामले ऐसे भी हैं, जहां मकान किसी ने नहीं कब्जाए
कब्जे की शिकायतें मिलने पर अफसर जब मौके पर पहुंचे तो देखा कि वहां किसी का कब्जा नहीं है। अनंतनाग में सैकड़ों मकान खाली पड़े हैं। कुछ ढह चुके हैं, कुछ ढहने को हैं।

श्रीनगर में 660 शिकायतें
श्रीनगर के डीसी मोहम्मद एजाज असद ने बताया कि जिले में कुल 660 शिकायतें मिली हैं। इनमें से 390 हल कर दी गई हैं। 16 मामले ऐसे भी पाए गए, जहां राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर जमीन किसी और के नाम कर दी गई थी।

शोपियां में 400 शिकायतें
113 शिकायतों का निपटारा कर लिया गया है। कुपवाड़ा, बारामूला, गांदरबल में भी इसी तरह की कार्रवाई जारी है। कश्मीर छोड़कर गए 41,117 परिवार जम्मू और 21,000 परिवार दिल्ली समेत अन्य राज्यों में पंजीकृत हैं।

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