हिटमैन के पापा का इंटरव्यू:ट्रेनिंग के पैसे नहीं थे तो कोच ने फीस माफ कराई,

किट बैग खोने पर मिली थी अनोखी सजा

इंडिया इस बार वर्ल्ड कप जरूर जीतेगा, पाकिस्तान को बुरी तरह हराएगा, रोहित के साथ पूरी टीम बेस्ट परफॉर्मेंस देगी, पूरी टीम के साथ करोड़ों भारतीयों की ब्लेसिंग है। यह कहना है मुंबई के बोराई बोरीवली इलाके के प्रथमेश टावर में रहने वाले रोहित शर्मा के पापा गुरुनाथ शर्मा का। दैनिक भास्कर के करेस्पॉन्डेंट राजेश गाबा ने उनके घर जाकर उनसे बातचीत की। उन्होंने रोहित के बचपन में गली क्रिकेट खेलकर घरों के कांच तोड़ने से लेकर इंडियन टीम तक पहुंचने के कई दिलचस्प किस्से शेयर किए।

रोहित के पापा ने बताया कि वह बचपन से ही गली क्रिकेट खेलता था। उसकी क्रिकेट के प्रति दीवानगी इतनी थी कि उसे क्रिकेट के अलावा कुछ सूझता ही नहीं था। मैं कई बार सोचता था कि इसे किसी क्लब में डालूं, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से पीछे हट जाता था। हालांकि टैलेंट अपना रास्ता खुद ढूंढ लेता है।

कोच ने दिलाई स्कॉलरशिप, तब रोहित ले पाया ट्रेनिंग
एक कैंप में रोहित के खेल को देखकर कोच दिनेश लाड ने हमें एप्रोच करके बेटे को उनके पास कोचिंग देने और स्वामी विवेकानंद इंटरनेशल स्कूल में एडमिशन लेने को कहा। तब हमने कहा कि हम वहां की महंगी फीस अफोर्ड नहीं कर पाएंगे। तब वे बोले कि रोहित को स्कॉलरशिप देंगे, उसकी फीस माफ करवा देंगे। इस तरह रोहित ने कोच दिनेश लाड के गाइडेंस में अपनी जर्नी स्कूल से शुरू की।

रोहित के घर की दीवार पर बेटी समायरा की तस्वीरें

कॉलोनी के घरों के तोड़ देता था कांच, आउट होने पर भी नहीं मानता था भाई की बात
रोहित बचपन में टेनिस बॉल से कॉलोनी के कई घरों के कांच तोड़े। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब इसकी शिकायत न आती हो। रोहित को डांट पड़ती, कई बार उस नुकसान की भरपाई के पैसे न होने के कारण हमें भला-बुरा भी सुनना पड़ा। आज वहीं लोग बोलते हैं कि हमें नाज है जिस लड़के ने हमारा कांच फोड़ा, आज वो विपक्षी टीम के बॉलर्स का हौसला तोड़ देता है। पिता ने बताया कि बचपन में रोहित का छोटा भाई विशाल उसे आउट कर देता तो भी वो नहीं मानता, विशाल मेरे पास शिकायत लेकर आता- देखो पापा रोहित भैय्या आउट हो गए, फिर भी नहीं मान रहे।

क्रिकेट किट बैग खो देने पर कोच ने दी थी अनोखी सजा
पहले मेरा परिवार डोंबिवली के एक छोटे से कमरे में रहता था। रोहित क्रिकेट के लिए हमसे दूर चाचा के यहां बोरिवली में रहने लगा। घर से क्रिकेट ग्राउंड जाने के लिए वह बच्चा कंधे पर भारी किट बैग टांगे अपने दादा-दादी, चाचा के घर (बोरिवली) से चर्चगेट तक लोकल ट्रेन से जाता था। लोकन ट्रेन में भीड़ होने के कारण एक दिन रोहित का किट बैग ट्रेन से बाहर गिर गया। रोहित अगले स्टेशन पर उतर के अपने बैग को ढूंढ़ने के लिए वापस ट्रैक पर दौड़ा, लेकिन उसका बैग नहीं मिला।

रोहित के किट बैग गिरने की बात का कोई भी विश्वास नहीं कर रहा था। उस दिन रोहित क्रिकेट एकेडमी देरी से पहुंचे जिसके कारण उसके कोच दिनेश लाड ने उन्हें ग्राउंड के चक्कर लगाने की सजा दी, सिर्फ फील्डिंग करने के लिए कहा और बैटिंग नहीं करने दी।

आज भी हर मैच से पहले करता है फोन
राेहित हर मैच से पहले हमें फोन करता है और कहता है, मां-पिताजी आशीर्वाद दीजिए, करोड़ों भारतीयों के विश्वास पर खरा उतर पाऊं। मैच के बाद भी फोन करता है पूछता है कि पापा मेरी बैटिंग देखी, कैसी थी। तब मैं कहता हूं इंप्रूविंग है, बेटा देश के लिए ऐसे ही खेलते रहना और देश का मान बढ़ाना।

जून से नहीं मिले बेटे से
रोहित के पापा ने भावुक होकर कहा- मैं और उसकी मां रोहित से जून से नहीं मिले। उसकी मां को हमेशा उसकी चिंता होती है। मैं कहता हूं बेटा बड़ा हो गया, वो बोलती है मेरे लिए तो वो छोटा ही है। रोहित जून में घर से चला गया था, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप, फिर इंग्लैंड का टूर, IPL और अब टी-20 वर्ल्डकप। फोन पर बात करता रहता है।

विनिंग ट्रॉफी होगी दीवाली गिफ्ट
रोहित के पापा ने कहा कि वर्ल्ड कप की विनिंग ट्रॉफी टीम इंडिया समेत करोड़ों भारतीयों को दीवाली पर सबसे बड़ा तोहफा होगी। तभी दीवाली यादगार बनेगी। हम सब यही दुआ कर रहे हैं।

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