आज का इतिहास: लाहौर पर कब्जा

56 साल पहले भारत ने सीमा पार जाकर पाकिस्तान के लाहौर-सियालकोट पर बोला था हमला, UN के दखल के बाद खत्म हुए युद्ध में दोनों देश करते हैं जीत का दावा

भारत को आजाद हुए कुछ साल ही हुए थे कि दो बड़ी घटनाएं हुईं। 1962 में चीन से युद्ध हुआ और 1964 में जवाहरलाल नेहरू का निधन। चीन से युद्ध में हार की वजह से भारतीयों का मनोबल टूट चुका था। दूसरी तरफ जवाहरलाल नेहरू के निधन से भारत में नेतृत्व संकट पैदा हो गया था।

पाकिस्तान इसका फायदा उठाना चाहता था। उसने ऑपरेशन जिब्राल्टर की शुरुआत की। हजारों पाकिस्तानी लड़ाकों को गुरिल्ला वॉरफेयर की ट्रेनिंग दी गई। हथियारों से लैस ये लड़ाके 5 अगस्त 1965 को कश्मीर में घुसे। इनका पहनावा और रहन-सहन बिल्कुल कश्मीरियों की तरह ही था।

कश्मीर के लोगों ने अपने बीच रह रहे इन पाकिस्तानियों को पहचान लिया और इसकी खबर भारतीय सेना को दे दी। भारतीय सेना ने शुरुआत में कई लड़ाकों को गिरफ्तार किया। भारत ने स्पेशल कमांडोज को इन लड़ाकों को पकड़ने और मारने की जिम्मेदारी दी। पाकिस्तान को लगा कि उसका ये प्लान फेल होने वाला है तो उसने भारत पर तोप के गोले दागना शुरू कर दिए। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया।

युद्ध के दौरान भारत ने लाहौर की एक पुलिस चौकी पर भी कब्जा कर लिया था।

पाकिस्तान ने कश्मीर के उरी और पुंछ जैसे इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया था तो वहीं भारत ने पीओके में 8 किलोमीटर अंदर घुसकर हाजी पीर पास को अपने कब्जे में कर लिया। पूरे अगस्त में दोनों देशों के बीच युद्ध चलता रहा। 1 सितंबर को पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंडस्लैम लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अखनूर सेक्टर पर कब्जा करना था।

पाकिस्तान की इस चाल का जवाब देते हुए भारत ने 6 सितंबर 1965 को सरहद पार कर लाहौर और सियालकोट पर हमला किया। भारत की ओर से ये युद्ध की आधिकारिक शुरुआत थी। भारतीय सेना ने लगभग-लगभग लाहौर पर कब्जा कर ही लिया था। कश्मीर पर कब्जा करने की उम्मीद से भारत में घुसा पाकिस्तान लाहौर को खोने ही वाला था। संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद 23 सितंबर को सीजफायर की घोषणा हुई। बाद में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने पाक प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ ताशकंद समझौता किया था।

2018: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर 2018 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 1861 के इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की धारा 377 को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंगटन नरीमन, जस्टिस एएम कनविलकर, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ कर रही थी।

प्राइड परेड के दौरान LGBTQ कम्युनिटी के लोग।

धारा 377 के हिसाब से समलैंगिकता को अपराध माना जाता था, जिसके लिए दंड प्रक्रिया भी थी। इसे भारत के LGBTQ अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत बताया जाता है।

1522: विक्टोरिया ने पूरा किया दुनिया का चक्कर

आज ही के दिन साल 1522 में विक्टोरिया दुनिया का पहला ऐसा जहाज बन गया था, जिसने पूरी दुनिया का चक्कर लगाया हो। विक्टोरिया एक स्पेनिश जहाज था, जिसके कमांडर पुर्तगाली एक्सप्लोरर फर्डीनांड मैगेलन थे।

20 सितंबर 1519 को विक्टोरिया ने इंडोनेशिया के लिए सबसे अच्छा रास्ता तलाशने के लिए सफर शुरू किया था। विक्टोरिया के साथ 5 और जहाजों का बेड़ा था, जिसमें 260 क्रू मेंबर शामिल थे।

विक्टोरिया जहाज की रेप्लिका। यह तस्वीर नागोया, जापान में ली गई है।

तीन साल के सफर के बाद 6 सितंबर 1522 को विक्टोरिया ने दुनिया का चक्कर पूरा किया। हालांकि, जहाज को इस उपलब्धि को पाने में खासा नुकसान भी हुआ था। क्रू में शामिल 260 में से 242 लोग मारे गए। विक्टोरिया जब स्पेन के सेविले में लौटा तब सिर्फ 18 क्रू मेंबर जिंदा बचे थे। कमांडर मैगेलन की भी मौत हो चुकी थी।

आज के दिन को इतिहास में किन-किन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2012: बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बने।

2007: इजराइल ने ऑपरेशन ऑर्चर्ड चलाते हुए सीरिया के न्यूक्लियर रिएक्टर को उड़ाया था।

1997: बिट्रेन ने एक हफ्ते तक शोक मनाने के बाद प्रिंसेस डायना को अंतिम विदाई दी थी।

1991: सोवियत संघ ने तीन बाल्कन राष्ट्रों एस्टोनिया, लाट्विया और लिथुआनिया को 50 साल के कम्युनिस्ट शासन से आजाद किया था।

1988: 11 साल की उम्र में थॅामस ग्रेगोरी इंग्लिश चैनल पार करने वाले सबसे कम उम्र के तैराक बने।

1969: अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड को ब्रिटेन से आजादी मिली। आज के दिन को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया।

1916: पहला सुपर मार्केट अमेरिका के टेनेसी में खुला।

1901: अमेरिका के 25वें राष्ट्रपति विलियम मैककिनले को गोली मार दी गई थी। आठ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी।

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