इतिहास गवाह है कि जिस पार्टी ने हस्तिनापुर को जीत लिया , उस पार्टी को सत्ता हासिल हो जाति है !

अब ये तो वक्त ही बताएगा कि किसकी सरकार हस्तिनापुर कि कुर्सी पर बैठेगी!

हस्तिनापुर में राजनीत का एहम स्तान रहा है, बात चाहे महाभारत कि हो या फिर यूपी विधानसभा चुनावों कि! हस्तिनापुर को मेरठ का होटसीट भी कहा जाता है क्युकी बहुत लंबे समय से हस्तिनापुर सुर्ख़ियो में रही है! अगर हम बात करे यहां के राजनीतिक इतिहास कि तो 2002 में मुलायम सिंह सपा से आए तो उत्तरप्रदेश मे सपा कि सरकार बनी , 2007 में योगेश वर्मा फिर सपा से चुनाव से लड़े फिर वहा सपा कि सरकार बनी, 2012 में भासपा से प्रभु दयाल वाल्मिकी जीते , तब वहां मायावती ने राज किया, और फिर 2017 में भाजपा से दिनेश खटीक विधायक चुने गए ! ये बात तो तय है कि हस्तिनापुर कि जानता किसी भी पार्टी के लिए नहीं बल्कि प्रत्याशी देख कर वोट देती है! तभी किसी एक कि सरकार वहा ज़्यादा समय तक नहीं टिक पाई है! वहा ज़्यादातर संख्या मुस्लिम व गुज्जर लोगों कि है लेकिन इतिहास गवाह है कि hastinapur से भले महाभारत कि शुरुवात हुईं हो लेकिन वहां पे जाति व धर्म को लेके लोगो के बीच पिचले कई सालो मे कोइ महाभारत नहीं हुईं! वहा कि जनता बहुत ही शालीनता से एक दूसरे के साथ रहती है, और अधिकतर लोगों कि राजनीतिक पसंद भी एक हो होती है!

सीएम योगी दुबारा से अपनी सरकार बनाने के लिए हस्तिनापुर के लोगो से डोर टू डोर कैंपेन भी कर रहे है लेकिन आपको ज़रा याद दिला दे कि कोई एक पार्टी यहां ज़्यादा दिनों के लिए रहती नहीं है! इस बार भाजपा ने एक बार फिर दिनेश खटीक को मैदान m उतारा है , तो सपा से योगेश वर्मा इतिहास दौराना चाहते है, बसपा ने संजीव जटाव को मैदान में उतारा है! तो वहीं कांग्रेस से पहली बार अपने ग्लैमर से लोगो का दिल जीतने वाली अर्चना गौतम नजर आएंगी!
इन सब चीज़ों के बीच एक चीज गौर डालने वाली है कि पिछले कई चुनावों से कांग्रेस हस्तिनापुर में दिखाई नहीं दे रही है और इस बार आरपीएन सिंह के इस्तीफ़ा देने के बाद कांग्रेस ने हस्तिनापुर को नए चेहरे अर्चना गौतम से रूबरू कराया है। अर्चना गौतम एक अभिनेत्री है जिनका राजनीति से कोई लेन दिन नहीं है! ऐसे में कांग्रेस का ये दाव कुछ ठीक नहीं लग रहा है!

 

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