जन्मदिन पर मातम: शराबी पुलिसकर्मियों ने 16 वर्षीय दलित युवक को छत से फेंका, मौत.. देखिए बर्बरता का वीडियो

हरियाणा के हिसार जिले के भारत नगर में 16 वर्षीय दलित किशोर गणेश वाल्मीकि के जन्मदिन की खुशियाँ उस समय मातम में बदल गईं जब कुछ पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और म्यूज़िक बंद करवाने को लेकर बर्बरता पर उतर आए। परिवार अपने घर पर म्यूज़िक बजाकर जन्मदिन मना रहा था — जो भारत में हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
शराब के नशे में धुत पुलिसकर्मियों की दबंगई
गवाहों के अनुसार, कुछ शराब के नशे में धुत पुलिसकर्मी जबरन घर में घुसे और जातिसूचक गालियाँ देने लगे। उन्होंने म्यूज़िक बंद करवाया और जब परिवार ने विरोध किया, तो जबरन कुछ और पुलिसकर्मियों को बुलाकर मारपीट शुरू कर दी। हालात इतने बिगड़े कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। महिलाओं के साथ बदसलूकी और हाथापाई की गई, जो कानून और मानवता दोनों के खिलाफ है।
गणेश को छत से फेंककर की गई हत्या
सबसे दिल दहला देने वाला पहलू यह रहा कि उसी मासूम बच्चे गणेश वाल्मीकि, जिसका जन्मदिन मनाया जा रहा था — उसे पुलिसवालों ने कथित रूप से छत से फेंक दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गणेश की मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना कोई हादसा नहीं, बल्कि दलित समुदाय के खिलाफ सुनियोजित पुलिसिया हत्या मानी जा रही है।
सरकार और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
घटना के बाद स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। एक वायरल ट्वीट में मुख्यमंत्री @NayabSainiBJP और हरियाणा सरकार @cmohry से सीधा सवाल किया गया है:
“क्या हमारे वाल्मीकि समाज के बच्चों को खुशी मनाने का हक़ नहीं?”
“क्या इस साफ-साफ हत्या पर भी प्रशासन चुप रहेगा?”
हरियाणा के हिसार ज़िले के भारत नगर में 16 वर्षीय गणेश वाल्मीकि के जन्मदिन की खुशी मातम में बदल गई। परिवार म्यूज़िक बजाकर जन्मदिन मना रहा था — यह किसी भी इंसान का मौलिक अधिकार है।
लेकिन शराब के नशे में धुत पुलिसकर्मी जबरन म्यूज़िक बंद करवाने आए, जातिसूचक गालियाँ दीं, कुछ और पुलिस… pic.twitter.com/VOEqqN6Dy2
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) July 10, 2025
प्रमुख माँगें: न्याय, गिरफ्तारी और मुआवज़ा
समाज और पीड़ित परिवार की ओर से तीन प्रमुख माँगें रखी गई हैं:
- दोषी पुलिसकर्मियों की तत्काल गिरफ्तारी हो और हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया जाए।
- SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कठोर कानूनी कार्यवाही हो।
- पीड़ित परिवार को कम से कम ₹1 करोड़ का मुआवज़ा और सरकारी नौकरी प्रदान की जाए, ताकि परिवार को आर्थिक-सामाजिक सहारा मिल सके।
संवेदनाएँ और सामाजिक आक्रोश
इस दर्दनाक घटना से पूरा समाज स्तब्ध है। यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे दलित समुदाय के मानवाधिकारों पर हमला है। कई सामाजिक कार्यकर्ता, दलित नेता और मानवाधिकार संगठन इस घटना को “राज्य प्रायोजित जातीय हिंसा” कह रहे हैं। लोगों ने मांग की है कि इस घटना को दबाने की बजाय न्याय दिलाने की दिशा में त्वरित कार्रवाई की जाए।