हिन्दू संगठनों ने ही कर डाला “सनातनी जोड़ो यात्रा” का विरोध.. हर्षा रिछारिया ने रो-रोकर लगाई योगी से गुहार

मुख्यमंत्री योगी से अपील कर बोलीं – “सनातन धर्म की बेटी को क्यों रोका जा रहा है?”

महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया की “सनातनी युवा जोड़ो यात्रा” अब नरौरा में समाप्त होगी। अलीगढ़ से आगे संभल जाने की अनुमति प्रशासन ने रद्द कर दी है। हर्षा ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठाए और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है।

अलीगढ़ में रोकी गई पदयात्रा, हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति

गुरुवार को जब हर्षा रिछारिया की पदयात्रा अलीगढ़ स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर पहुंची, तो कुछ हिंदू संगठनों ने वहां रुकने का विरोध किया। जबकि यात्रा के ठहराव की पहले से योजना थी। संगठनों का कहना था कि यात्रा से शोरगुल और भीड़ के कारण अशांति फैल सकती है। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जिलाधिकारी से बात कर मामला शांत कराया गया।

हर्षा की यात्रा मुस्लिम बहुल इलाकों से गुजरने वाली थी। इसे लेकर प्रशासन को संभावित विवाद की आशंका थी। इसी वजह से उन्हें केवल नरौरा तक जाने की अनुमति दी गई, जहां से वह गंगा स्नान कर वापस लौटेंगी।

RSS प्रमुख के आगमन के चलते पहले भी रोकी गई थी यात्रा

गुरुवार को अलीगढ़ में RSS प्रमुख मोहन भागवत के आगमन के चलते प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से यात्रा को रोक दिया था। हालांकि बाद में सशर्त अनुमति दी गई कि वह नरौरा से आगे नहीं जाएंगी।

हर्षा ने वीडियो में जताई भावनात्मक पीड़ा

शुक्रवार शाम को हर्षा रिछारिया ने एक भावुक वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया। वीडियो में उन्होंने कहा,
“आदरणीय मुख्यमंत्री योगी जी, जिस राज्य में आपके नेतृत्व में सनातन धर्म को गौरव मिल रहा है, वहीं आपकी बेटी को पदयात्रा करने से रोका जा रहा है। कृपया शांतिपूर्वक चल रही यात्रा को अनुमति दें, वरना एक बेटी के टूटने से कई युवाओं का धर्म से विश्वास उठ जाएगा।”

“धर्म का मार्ग आसान नहीं” – तीसरे दिन की पदयात्रा पर कही भावुक बात

17 अप्रैल को एक अन्य वीडियो में हर्षा ने कहा था कि धर्म का मार्ग त्याग और समर्पण मांगता है।
“ये आंसू दुख के नहीं हैं, बल्कि हरिगढ़ पहुंचकर तीसरे दिन की पदयात्रा पूरी करने की खुशी के हैं।” – हर्षा ने लिखा।

पेशवाई रथ पर बैठने के बाद विवादों में आईं थीं हर्षा

4 जनवरी को प्रयागराज में निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान हर्षा रिछारिया संतों के साथ रथ पर बैठी नजर आई थीं। उस समय मीडिया में उन्हें “सुंदर साध्वी” कहा गया, और सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग भी हुई। इस पर सफाई देते हुए हर्षा ने कहा था –
“मैं साध्वी नहीं हूं, केवल दीक्षा ले रही हूं। मैंने भौतिक सुखों से दूर सनातन के मार्ग को चुना है।”

इस पर आनंद स्वरूप महाराज ने भी नाराज़गी जताई थी और कहा था कि पेशवाई रथ पर मॉडल को बैठाना उचित नहीं था।

प्रशासन का पक्ष – कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया फैसला

ADM सिटी अमित कुमार भट्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यात्रा को रोका गया था।
सीओ सिटी थर्ड अभय पांडेय ने बताया कि संभल के संवेदनशील माहौल को देखते हुए साध्वी को नरौरा से आगे न जाने की सलाह दी गई।

सनातन धर्म का प्रचार, हिंदू संगठनों का विरोध

हर्षा रिछारिया की पदयात्रा ने धार्मिक और सामाजिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है। एक ओर उनका दावा है कि वह सनातन धर्म के प्रचार के लिए युवाओं को जोड़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन और हिंदू संगठनों के विरोध ने उनकी यात्रा को रोक दिया। अब सवाल यह है कि धार्मिक आस्था और सामाजिक सौहार्द्र के बीच संतुलन कैसे बने?

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