दो सगे भाइयों की एक ही दुल्हन ! महिला ने दोनों से रचाई शादी.. वजह होश उड़ाने वाली, जानिए कौन किस दिन.. ?

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव से एक अनोखी शादी की खबर सामने आई है, जिसने न सिर्फ सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है, बल्कि पारंपरिक रीति-रिवाजों पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। यहां की हटी जनजाति की एक महिला सुनीता चौहान ने दो सगे भाइयों — प्रदीप और कपिल नेगी — से एक साथ शादी रचाई है। तीन दिनों तक चले इस पारंपरिक समारोह को स्थानीय ‘जोड़ीदार प्रथा’ के तहत संपन्न किया गया।
क्या है जोड़ीदार प्रथा?
हिमाचल के ट्रांस-गिरी क्षेत्र की हटी जनजाति में सदियों से चली आ रही जोड़ीदार प्रथा के अंतर्गत दो या अधिक सगे भाई एक ही महिला से विवाह करते हैं। यह परंपरा द्रौपदी प्रथा या उजला पक्ष के नाम से भी जानी जाती है। माना जाता है कि इसका आधार महाभारत काल की कहानियों से जुड़ा है, जहां द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था।
क्यों होती है एक महिला से कई भाइयों की शादी?
इस क्षेत्र में खेती ही आय का मुख्य साधन है। पहाड़ी इलाकों में भूमि का बंटवारा न हो, संपत्ति की एकता बनी रहे और संयुक्त परिवार की परंपरा मजबूत हो, इसीलिए जोड़ीदार प्रथा को सामाजिक रूप से स्वीकार किया गया है। इससे भूमि विखंडन से बचाव होता है और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
कैसे चलता है यह वैवाहिक जीवन?
विवाह के बाद पत्नी दोनों पतियों के साथ समय साझा करती है। यह समय दिन, सप्ताह या आपसी सहमति से तय किया जाता है। बच्चों की परवरिश सामूहिक रूप से होती है, लेकिन कानूनी रूप से बड़े भाई को पिता माना जाता है। इस तरह का जीवन पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत संतुलित ढंग से चलता है।
क्या है कानूनी स्थिति?
भारतीय दंड संहिता के तहत बहुपति प्रथा (Polyandry) अवैध मानी जाती है। लेकिन, हिमाचल हाईकोर्ट ने जातीय परंपराओं के तहत कुछ प्रथाओं को ‘customary law’ के रूप में सहनशीलता दी है। चूंकि हटी समुदाय को हाल ही में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, इसलिए यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा माना जा रहा है।
विवाह समारोह: परंपरा और सहमति का संगम
यह विवाह 12 जुलाई 2025 को तीन दिन तक चले पारंपरिक उत्सव में संपन्न हुआ। इसमें लोकगीत, नृत्य और पारंपरिक रस्मों का आयोजन हुआ। दुल्हन सुनीता ने स्पष्ट किया कि यह विवाह पूरी तरह आपसी सहमति और पारिवारिक रज़ामंदी से हुआ। गांव के लोगों ने भी इस रिश्ते को खुले दिल से स्वीकार किया।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
विवाह की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई, कई लोगों ने इसे स्थानीय संस्कृति का आदर मानते हुए सराहा, जबकि कुछ ने महिला अधिकार, बच्चों की पहचान और संवैधानिक दायरे को लेकर सवाल उठाए। खासकर शहरी वर्ग में इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
जनजातीय समाज की सांस्कृतिक विरासत
जोड़ीदार प्रथा हिमाचल प्रदेश के एक विशिष्ट जनजातीय समाज की सांस्कृतिक विरासत है। हालांकि यह आधुनिक भारत के कानून और सामाजिक सोच से टकरा सकती है, लेकिन आज भी कुछ समुदायों में यह परंपरा सहमति और सामाजिक संरचना की मजबूरी के रूप में जीवित है।