क्या भूपेंद्र यादव बन गये हैं बिहार के सुपर CM ? पटना पहुंचने के बाद ही हुए अहम सरकारी फैसले

पहले हिबये चर्चा थी इस बार भले ही सीएम नीतीश बन जाये लेकिन वो मजबूर रहेंगे मजबूत सीएम नही रहेंगे क्योंकि सीट कम आने से बीजेपी हावी है और बिना बिजेपीबके कोई फैसला नीतीश नही ले सकते ऐसा दिख रहा है समझिये क्या बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव सुपर सीएम के रोल में आ गये हैं. सत्ता के गलियारे में ये सवाल तैरने लगा है. बिहार में सरकार बनने के बाद जो फैसले 28 दिन तक रूके रहे, वे भूपेंद्र यादव के पटना पहुंचने के बाद ही लिये जाने लगे. सवाल ये उठ रहा है कि क्या भूपेंद्र य़ादव की मंजूरी के बाद ही सारे अहम फैसले लिये जा रहे हैं.भूपेंद्र यादव के पटना पहुंचने के बाद ताबड़तोड़ फैसले.

बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव नयी सरकार के गठन के बाद वापस लौट गये थे. पार्टी ने उन्हें हैदराबाद में नगर निगम चुनाव का प्रभारी बनाया था, वे वहीं कैंप कर रहे थे. हैदराबाद चुनाव खत्म होने के बाद वे किसान आंदोलन में लगे और फिर गुजरात की यात्रा पर निकल गये. भूपेंद्र यादव गुजरात बीजेपी के भी प्रभारी हैं. भूपेंद्र यादव इन कामों में व्यस्त थे और इधर लग रहा था कि बिहार सरकार की रफ्तार पर ही ब्रेक लग गया है.रविवार की शाम भूपेंद्र यादव वापस बिहार लौटे. उनके लौटने के साथ ही लगा कि सरकार एक्शन में आ गयी है. कैबिनेट की बैठक हुई और सरकार ने अगले पांच सालों के लिए अपना एजेंडा तय किया. बिहार में नयी विधानसभा का गठन तो हो गया था लेकिन विधानसभा की कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा था. भूपेंद्र यादव रविवार को पटना पहुंचे और सोमवार को विधानसभा की समितियों का भी एलान हो गया. 28 दिन से नहीं हो रही थी कैबिनेट की बैठक,

बिहार में 16 नवंबर को नीतीश कुमार की नयी सरकार बनी थी. अगले दिन यानि 17 नवंबर को कैबिनेट की औपचारिक बैठक हुई जो संवैधानिक बाध्यता थी. उसके बाद से कैबिनेट की बैठक हुई ही नहीं. सत्ता से जुडे लोग हैरान थे. नीतीश कुमार के राज में ये अजूबा वाकया था जब हर सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक चार सप्ताह तक हुई ही नहीं.

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