बच्चों के अस्पताल में लगी भयंकर आग, अंदर थे 19 नवजात.. बच्चों को कपड़ों की गठरी बनाकर ऊपर से फेंका !

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित कीर्ति कृष्णा बाल चिकित्सालय में बुधवार को एक भीषण आग लग गई। आग लगते ही पूरे अस्पताल परिसर में धुआं भर गया और वहां मौजूद लोग दहशत में आ गए। अस्पताल में उस समय करीब 18 नवजात बच्चे और उनके परिजन मौजूद थे। स्थिति इतनी भयावह थी कि नवजातों को कपड़े और साड़ी में लपेटकर नीचे फेंकना या उतारना पड़ा। हालांकि, राहत की बात यह रही कि किसी की जान नहीं गई।

ग्राउंड फ्लोर से फैलता हुआ धुआं, भगदड़ जैसे हालात

घटना हरदोई शहर के नघेटा रोड स्थित दो मंजिला कीर्ति कृष्णा अस्पताल की है। बुधवार दोपहर, अस्पताल के बेसमेंट से अचानक धुआं उठता दिखाई दिया। चंद मिनटों में धुआं ग्राउंड फ्लोर से होते हुए फर्स्ट फ्लोर तक फैल गया। जैसे ही लोगों को आग लगने का अहसास हुआ, अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद लोग भागते हुए बाहर निकलने लगे, जबकि ऊपरी मंजिल पर मौजूद मरीज और परिजन फंस कर रह गए।

नवजातों को कपड़ों में बांधकर नीचे उतारा गया, रेस्क्यू में जुटे लोग

अस्पताल में भर्ती 18 नवजात शिशुओं को बचाने के लिए अस्पताल स्टाफ, परिजन और स्थानीय लोग मिलकर रेस्क्यू अभियान में जुटे। जिन बच्चों को उठाकर नहीं लाया जा सकता था, उन्हें कपड़े और साड़ी में बांधकर गठरी की तरह नीचे फेंका या उतारा गया। सड़क पर मौजूद लोग नीचे से बच्चों को संभालते गए। कई परिजन ने सीढ़ी से नीचे उतरकर अपने बच्चों को गोद में लेकर बाहर निकाला।

फायर ब्रिगेड आधे घंटे बाद पहुंची, दमकल कर्मियों को हुई दिक्कत

आग लगने के करीब 30 मिनट बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। दमकल की दो गाड़ियों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। धुएं की अधिकता के कारण दमकल कर्मियों को भीतरी हिस्सों में प्रवेश करने में काफी मुश्किलें हुईं। इसके बावजूद उन्होंने पूरे अस्पताल परिसर को खाली कराकर आग को पूरी तरह बुझा दिया।

सभी मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया

घटना के बाद अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों और बच्चों को नजदीकी अस्पतालों में शिफ्ट कर दिया गया। कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना स्वास्थ्य व्यवस्था की सुरक्षा तैयारियों पर सवाल जरूर खड़े कर गई। अगर समय रहते स्थानीय लोग और स्टाफ न जागते, तो यह हादसा भयावह रूप ले सकता था।

घटना का प्रत्यक्षदर्शी बयान: “बच्चे को गोद में लेकर सीढ़ी से भागी”

हुसैनपुर सहोरा की रहने वाली नन्हीं देवी ने बताया कि वे डेढ़ बजे अपने एक महीने के बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची थीं। तभी धुएं की बदबू आई और उन्हें आग की जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत बच्चे को गोद में उठाया और फर्स्ट फ्लोर से नीचे उतरकर किसी तरह बाहर पहुंचीं।

संचालक का बयान: बैटरी ब्लास्ट या शॉर्ट सर्किट से लगी आग

अस्पताल के संचालक डॉ. सीके गुप्ता की पत्नी अपर्णा गुप्ता ने बताया कि घटना के समय वह अपने कार्यालय में थीं। तभी अचानक धुआं फैल गया और पता चला कि बेसमेंट में आग लगी है। प्रारंभिक रूप से आशंका जताई गई है कि आग बैटरी ब्लास्ट या शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। हालांकि, अभी सटीक कारण की पुष्टि नहीं हो सकी है।

प्रशासन की टिप्पणी और लापरवाही के संकेत

हरदोई के चीफ फायर ऑफिसर महेश ने बताया कि सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पा लिया गया है। किसी की मौत नहीं हुई है, जो राहत की बात है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आग लगने के आधे घंटे बाद फायर ब्रिगेड कैसे पहुंची? यदि प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त होती तो यह संकट और जल्दी टाला जा सकता था।

बड़ी घटना टली, लेकिन उठे कई सवाल

हरदोई की कीर्ति कृष्णा बाल चिकित्सालय में लगी आग से भले ही कोई जान नहीं गई, लेकिन यह घटना हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की तैयारियों पर गंभीर सवाल छोड़ गई है। अस्पतालों में फायर सेफ्टी की अनदेखी, और इमरजेंसी प्रतिक्रिया में देरी जैसी खामियां अगर समय रहते नहीं सुधारी गईं, तो अगली बार शायद किस्मत इतना साथ न दे।

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