कौशिक के साथ मीटिंग के बाद हरक सिंह रावत का बड़ा ऐलान – नहीं लड़ेंगे चुनाव, जानिए क्यों?

देहरादून. उत्तराखंड की सियासत में एक तरफ दलबदल सुर्खियां बटोर रहा है, तो अब ‘दबाव की राजनीति’ भी शुरू हो चुकी है. पुष्कर सिंह धामी सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में वापसी करने के बाद राज्य सरकार के एक और मंत्री हरक सिंह रावत ने घोषणा कर दी है कि वह विधानसभा चुनाव 2022 में मैदान में नहीं उतरेंगे. हालांकि इस घोषणा से पहले हरक सिंह ने अपने ‘प्रभाव’ के तेवर दिखाए थे और बुधवार को ही उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया तो इसके पीछे कहानी यह है कि अब वह अपने परिवार के लिए चुनावी टिकट चाह रहे हैं.

हरक सिंह रावत का एक बड़ा बयान बुधवार को सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका प्रभाव पूरे प्रदेश में है और वह कम से कम 30 विधानसभा सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. इसके बाद भाजपा नेतृत्व ने हरक सिंह को ‘मैनेज’ करने की ज़िम्मेदारी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन कौशिक को दी थी. कौशिक के साथ बंद कमरे में एक घंटे लंबी बैठक के बाद हरक सिंह ने घोषणा कर दी कि वह 2022 चुनाव नहीं लड़ेंगे. बताया जाता है कि हरक सिंह इस बार अपनी बहू के लिए टिकट चाह रहे हैं.

‘बात अविश्वास की और प्रेशर पॉलिटिक्स की भी’
खबरें हैं कि हरक सिंह रावत ने कौशिक से चर्चा में कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनकी बहू अनुकृति गोसाईं को टिकट दिया जाए. इसके बाद भाजपा के अंदरखानों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हुईं. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर की मानें तो भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र का कहना है कि पार्टी के भीतर कई लोगों को शक है कि हरक सिंह चुनाव न लड़ने की बात पर टिकेंगे. फिलहाल स्थिति ‘वेट एंड वॉच’ की हो गई है.

‘नहीं तो कांग्रेस में चले जाएंगे हरक सिंह’
भाजपा के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि हरक सिंह दबाव की राजनीति कर रहे हैं और इस तरह की घोषणा व डिमांड की आड़ में उनकी सीधी धमकी यही है कि भाजपा ने उनकी बात नहीं मानी तो वह कांग्रेस में वापस चले जाएंगे. गौरतलब है कि रावत उन नौ कांग्रेस नेताओं में शुमार रहे, जिन्होंने मई 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की थी. तबसे समय समय पर रावत भाजपा के भीतर असंतोष ज़ाहिर करते रहे हैं और बड़ी भूमिकाएं पाते रहे हैं.

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