“पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर दिया, वो हमारी पत्नी..”, संसद में नेता के इस बयान से लोग हंसते-हंसते हुए लोटपोट

संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच राजस्थान के नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में बेहद व्यंग्यात्मक और चुटीले अंदाज में पाकिस्तान पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर दिया, अब वह भारत की पत्नी बन चुका है—बस विदाई बाकी है। उनका यह बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में तेजी से वायरल हो रहा है।
“भारत ने पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर दिया” — बेनीवाल
लोकसभा में चल रही चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल ने कहा,
“आपने पाकिस्तान की मांग में इतना सिंदूर भर दिया कि अब वह भारत की पत्नी बन गया है। अब बस उसकी विदाई कर दीजिए।”
उनका यह कटाक्ष सुनकर सदन में ठहाके गूंज उठे। लेकिन बेनीवाल यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि यह हमला अचानक नहीं था, बल्कि यह सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक का परिणाम है।
“आतंकी पहलगाम तक कैसे पहुंचे?”
हनुमान बेनीवाल ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद आतंकवादी पहलगाम तक कैसे पहुंचे? उन्होंने पूछा,
“पहलगाम जैसा पर्यटन क्षेत्र जहां आम नागरिक और श्रद्धालु मौजूद रहते हैं, वहां आतंकियों की घुसपैठ कैसे हो गई? क्या खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल हो गया?”
उन्होंने केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।
“22 अप्रैल को हमला हुआ, ऑपरेशन 8 मई को शुरू हुआ”
बेनीवाल ने ऑपरेशन सिंदूर की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि
“22 अप्रैल को हमला हुआ और 8 मई की देर रात ऑपरेशन शुरू हुआ। यह दो सप्ताह की देरी आखिर क्यों?”
उन्होंने कहा कि इस देरी से देश को बड़ा झटका लगा और लोगों में डर का माहौल बना रहा।
‘पाकिस्तान को सबक कब सिखाएंगे?’
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि देश की जनता जानना चाहती है कि
“पाकिस्तान को सबक कब सिखाया जाएगा? कब पीओके को वापस लिया जाएगा?”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चुनावों में बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन जब ज़मीनी कार्रवाई की बात आती है, तो केवल प्रचार और बयानबाज़ी होती है।
सत्ता और विपक्ष दोनों पर सवाल
बेनीवाल ने न केवल सत्तापक्ष बल्कि विपक्ष को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि
“यह मुद्दा सत्र के पहले दिन ही उठाया जाना चाहिए था, लेकिन पांच दिन तक हंगामे में बर्बाद कर दिए गए। क्या यह किसी साजिश का हिस्सा था कि ऑपरेशन पर बहस को टाला जाए?”
उनका यह बयान दोनों पक्षों पर तीखा हमला था।
व्यंग्य के लहजे में गहरी चेतावनी
हनुमान बेनीवाल का बयान भले ही व्यंग्यात्मक लहजे में था, लेकिन इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकी गतिविधियों और राजनीतिक जवाबदेही जैसे गंभीर मुद्दे छिपे हैं। उन्होंने साफ किया कि संसद में बैठने वालों की जिम्मेदारी केवल भाषण देना नहीं, बल्कि जनता को सच्चाई बताना है।