जान बचाने की जद्दोजहद:गुलफेरोज

तालिबान के चंगुल से बचने के लिए काबुल में छिपती फिर रहीं महिला पुलिस अफसर गुलफरोज, अमेरिकी सैनिक भी मदद से पीछे हटे

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पूर्व अफगानी अफसर और कर्मचारी सहमे हुए हैं। उन्हें डर है कि तालिबान उन्हें खोजकर बेरहमी से मौत के घाट उतार देंगे। ऐसी कई घटनाएं सामने भी आ चुकी हैं। अब अफगान पुलिस फोर्स की एक बड़ी महिला अधिकारी की दर्दभरी कहानी सामने आई है। इस महिला पुलिस अफसर का नाम है- गुलफरोज एब्टेकर। 15 अगस्त के बाद से ही गुलफरोज कोशिश कर रही हैं कि किसी तरह मुल्क छोड़कर चली जाएं। इसके लिए कई कोशिशें कीं, भूखी रहीं। तालिबान ने बेरहमी से पीटा भी। अब वे काबुल में छिपती फिर रही हैं, ताकि तालिबान उन्हें पकड़कर मौत के घाट न उतार दें।

गोलियों की बौछार देखी
गुलफरोज ने अपनी कहानी रूस के एक अखबार को बताई है। इसे अमेरिकी अखबार ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ ने अंग्रेजी में पब्लिश किया है। इसमें गुलफरोज कहती हैं- मैं काबुल पुलिस में क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन विंग की डिप्टी चीफ थी। अक्सर मीडिया में आती थी, इसलिए सब मेरा चेहरा पहचानते थे। तालिबानी भी जरूर जानते होंगे।

34 साल की गुलफरोज के मुताबिक, 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वो मुल्क छोड़ देना चाहती थीं। इसके लिए काबुल एयरपोर्ट पहुंचीं। वहां गोलियां की बौछार के बीच पांच रातें भूखे-प्यासे रहकर गुजारीं। वहां के हालात बयां नहीं किए जा सकते। मैंने अपनी आंखों के सामने महिलाओं और बच्चों को मरते देखा।

किसी ने मदद नहीं की
गुलफरोज आगे कहती हैं- मैंने कई देशों के दूतावासों को मैसेज भेजे। जान बचाने की गुहार लगाई। कोई फायदा नहीं हुआ। उम्मीद थी कि काबुल एयरपोर्ट पर तैनात अमेरिकी सैनिक मदद करेंगे। हम रिफ्यूजी कैम्प भी गए। लगा कि वहां सेफ रहेंगे। मैंने वहां अमेरिकी सैनिकों को अपने डॉक्युमेंट्स, पासपोर्ट और आईडी कार्ड दिखाए। उन्होंने मुझसे पूछा कि आप कहां जाना चाहती हैं? मैंने कहा-किसी भी ऐसे देश, जहां मैं महफूज रह सकूं। इस पर उन्होंने ओके भी कहा।

मगर अब गुलफरोज अमेरिकी सैनिकों के धोखे से बेहद दुखी हैं। वो आगे कहती हैं- उस अमेरिकी अफसर ने मुझसे ओके कहने के बाद एक सैनिक को इशारा किया। हमें लगा कि वो हमें प्लेन में बिठाने या सिक्योरिटी देने वाला है, लेकिन वो हमें एक सड़क पर ले गया और बंदूक दिखाकर भागने को कहा। मैं समझ गई कि लोगों में इंसानियत नहीं बची।

तालिबान घर आए
जब वे फिर एयरपोर्ट जा रहीं थीं तो तालिबान उन्हें पहचान तो नहीं पाए, लेकिन सड़क पर ही बेरहमी से पीटा। पत्थर भी मारे। जैसे-तैसे गुलफरोज घर पहुंचीं तो मां ने बताया- बेटा आपको तालिबान खोज रहे हैं। डर की वजह से वो घर पर नहीं रुकीं और सोसायटी के एक मकान में ही जाकर छिप गईं। इसके बाद उन्होंने इंटरव्यू दिया। न्यूयॉर्क पोस्ट ने इस मामले की जानकारी अमेरिकी सेंट्रल कमांड को देकर उनका जवाब मांगा है।

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