क्यों गुजरात में BJP लगा सकती है 2 दांव?

मोदी कैबिनेट से निकाल पाटीदार नेता को CM बनाएगी या 10 महीने पहले चुनाव में कूद सकती है, समझिए सारे समीकरण

गुजरात में बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी यानी BJP सरकार के 5 साल 2022 के दिसंबर में पूरे होंगे, लेकिन जिस तरह अचानक मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस्तीफा दे दिया उससे तरह-तरह की कयासबाजियां शुरू हो गई हैं। हम यहां तमाम संभावनाओं में से उन 2 स्थितियों के बारे में बात कर रहे हैं, जिनके मजबूत आधार नजर आ रहे हैं।

पहला दांवः मनसुख मांडविया को CM बनाया जा सकता है, पाटीदार समाज बन सकता है वजह
CM रुपाणी के इस्तीफा देते ही उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल, पूर्व गृहमंत्री गोरधन झडफिया और पुरुषोत्तम रुपाला के नाम टीवी पर फ्लैश होने लगे, लेकिन तभी गुजरात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक सपने का जिक्र हुआ। प्रदेश प्रमुख सीआर पाटील ने कहा कि मोदीजी का सपना है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 150 से ज्यादा सीटें मिलें और गुजरात भाजपा नया रिकॉर्ड बनाए।

गुजरात में PM मोदी के इस सपने को पूरा करने वाला फिलहाल एक ही नाम नजर आता है, जो मोदी और अमित शाह दोनों की गुड-बुक में शामिल है। गुजरात के पाटीदार समाज से आने वाले नेता मनसुख मांडविया। जब कोरोना के समय चारों ओर से मोदी सरकार घिर रही थी तब डॉ. हर्षवर्धन को हटाकर मनसुख को स्वास्‍थ्य मंत्रालय दिया गया था।

अब एक बार फिर BJP के सामने चुनौती है। गुजरात का पाटीदार समाज BJP से खासा नाराज है। मनसुख मांडविया यहां भी सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि पाटीदार समाज के अलावा कडवा और लेउआ पटेल समुदाय में भी उनकी अच्छी पैठ है। मृदुभाषी होने के साथ-साथ मांडविया की छवि एक ईमानदार नेता की है। इनके अलावा गुजरात भाजपा में उनके लगभग सभी नेताओं से अच्छे संबंध हैं।

दूसरा दांवः बीते 3 चुनाव से BJP की सीटें घटती जा रही हैं, AAP भी दम लगा रही है, 10 महीने पहले ही चुनाव हो सकते हैं
पिछले तीन चुनाव में BJP की सीटें लगातार कम हो रही हैं और कांग्रेस बढ़त हासिल कर रही है। 2007 में BJP ने 117 सीटें जीती थीं, जो 2017 के चुनाव में घटकर 99 बचीं। वहीं, कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में 59 सीटें जीती थी, जो 2017 के चुनाव में बढ़कर 77 हो गईं। नीचे 3 ग्राफिक्स में इसकी पूरी डिटेल देख लीजिए-

हालांकि मई 2021 तक कांग्रेस के पास 65 विधायक ही बचे थे। बाकी 12 ने इस्तीफा दे दिया था। इन पर उपचुनाव हुए, जिनमें BJP ने जीत दर्ज की। फिलहाल BJP के 112 विधायक हैं।

सीट घटने का ये सिलसिला बताता है कि प्रदेश में एंटी इंकम्बेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर है। इसके अलावा 2 मौजूदा घटनाएं हैं जो इस ओर इशारा करती हैं कि BJP चुनाव के लिए अगले साल दिसंबर तक का इंतजार नहीं करेगी।

1. निकाय चुनावों में BJP की जीत
इसी साल 22 और 23 फरवरी को आए गुजरात निकाय चुनावों के रिजल्ट में BJP को बड़ी जीत मिली थी। कुल 576 सीटों में से BJP ने 483 पर जीत दर्ज की। जबकि कांग्रेस को 55 और अन्य के खाते में 38 सीटें गई थीं। इससे BJP के इरादे बुलंद हैं।

2. प्रदेश में APP लगातार पैठ बढ़ा रही है
भाजपा ने हाल ही में चुनाव को लेकर आंतरिक सर्वेक्षण कराया है। इसमें दो बातें निकली हैं। आम आदमी पार्टी गुजरात में आ गई है और स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की तुलना में उसका प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। चुनाव दिसंबर 2022 में होते हैं तो ‘आप’ को कुछ बड़े नेताओं को अपने पाले में लेकर संगठन को मजबूत करने का काफी समय मिल जाएगा।

दूसरी बात कि कांग्रेस में अभी भी संगठन, समन्वय और सक्रियता का अभाव है। इतना ही नहीं, कांग्रेस आंतरिक लड़ाई से ही जूझ रही है। पार्टी 6 महीने से राज्य में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का चुनाव ही नहीं करा पाई है। ऐसे में 6 महीने पहले जिस कांग्रेस के पास 234 पदाधिकारी थे, फिलहाल महज 3 कार्यकारी अध्यक्ष के दम पर चल रही है। ये बातें इस ओर इशारा करती हैं कि BJP जल्दी चुनाव कराती है तो उसे ज्यादा फायदा मिल सकता है

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