ग्रेटा की टूलकिट का निकला खालिस्तानी कनेक्शन! सामने आया इस शख्स का नाम

पिछले दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन में अचानक से विदेशी हस्तियों के दखल से पूरा देश हैरान है। अमेरीकी पॉप सिंगर रिहाना और फिर स्वीडिश एक्टिविट ग्रेटा थनबर्ग लगातार इस मामले में ट्वीट कर रहे हैं। अचानक इस तरह से विदेशी हस्तियों की हलचल और ग्रेटा के किसान आंदोलन को उग्र करने के टूलकिट से दिल्ली पुलिस की साइबर सेल भी अलर्ट मोड में आ गई है।

आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को स्‍वीडिश ऐक्टिविट ग्रेटा थनबर्ग के उस टूलकिल को लेकर अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करत हुए जांच शुरु कर दी। शुरुआती जांच में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को इसमें खालिस्तानी संगठन के होने का शक है।इस मामले को लेकर स्पेशल सेल के कमिश्‍नर प्रवीर रंजन ने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि यह टूलकिट एक प्रो-खालिस्‍तानी संस्‍था ने बनाई है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस टूलकिट का मकसद विभिन्‍न सामाजिक, धार्मिक और सांस्‍कृतिक समूहों के बीच नफरत फैलाना और भारत सरकार के खिलाफ माहौल बनाना था।

गूगल से मांगा जाएगा दस्तावेज

इस मामले की जांच कर रही साइबर सेल गूगल से ग्रेटा के उस ट्वीट और उस टूटकिट के बारे में गूगल को एक नोटिस भेजगी और मूल दस्तावेजों की मांग करेगी। आपको बता दें कि पुलिस का शक है कि आंदोलन को भड़काने और समूहों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाले उस टूलकिट को लेकर उठ रहे सवालों के कारण उसके साथ कुछ छेड़छाड़ भी की जा सकती है। इसलिए ही इस मामले में साइबस सेल गूगल से मदद लेने का प्लान बना रही है।वहीं अगर सूत्रों की मानें तो उस टूलकिट के डॉक्युमेंट में जिन वेबसाइट्स और संस्था का नाम था उनमें से कुछ पर पहले से ही सेल की नजर बनी हुई थी। वहीं इस मामले में कमिश्नर ने भी कहा कि इस टूलकिट के बाद सेल ने सोशल मीडिया पर 300 से अधिक अकाउंट की पहचान की है जो हिंसा और नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं।

खालिस्तानी ग्रुप पर गहरा रहा शक

सूत्रों की मानें तो इस टूलकिट को बनाने में पीस फॉर जस्टिस’ नाम की संस्‍था का हाथ है। इस संस्था में सह संथापक के रुप में स्‍वयंभू खालिस्‍तान समर्थक मो धालीवाल का नाम शामिल है जो कनाडा के वैंकूवर में रहता है और भारत छवि को खराब करने के लिए काम करता है। इसी खालिस्तानी समर्थक की साइट को ग्रेटा ने अपने अकाउंट पर शेयर किया था। जिसका मुख्य मुद्दा भारत की ‘योग और चाय की छवि को ध्‍वस्‍त करना, दूसरे में ’26 जनवरी को प्रवासियों में एकजुट होकर वैश्विक व्‍यवधान डालना’ और ‘कृषि कानूनों को वापस लेना’ शामिल था।

खुले तौर पर किया खालिस्तान का समर्थन

पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने ही भारत के खिलाफ #AskIndiaWhy कैंपेन चलाया है। इस फाउंडेशन के सभी सदस्य खालिस्तान के समर्थन करते हैं। इसी फाउंडेशन ने पिछले साल अक्टबूर के महीने में एक पोस्टर जारी किया था जिसमें सबसे ऊपर फाउंडेशन के सह-संस्थापक मो धालीवाल की फोटो ऊपर छपी थी।आपको बता दें कि ये पोस्टर खालिस्तान आंदोलन पर था।

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