UP: योगी के जिले में 600 महिला सिपाहियों का दर्द! कहा – “खुले में नहा रहे”, पहला Video भी आया सामने..

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में उस वक्त हड़कंप मच गया जब महिला ट्रेनी सिपाहियों ने बुनियादी सुविधाओं की बदहाली और प्रेग्नेंसी टेस्ट के आदेश को लेकर खुलेआम विद्रोह कर दिया। कैंपस से बाहर निकलीं सैकड़ों लड़कियां रोती-बिलखती नज़र आईं, और उन्होंने “गोरखपुर हाय हाय” के नारे लगाते हुए सीधे योगी सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया।
डीआईजी का आदेश बना बवाल की वजह
हंगामे की शुरुआत तब हुई जब ट्रेनिंग शुरू होने से पहले डीआईजी रोहन पी ने सभी महिला सिपाहियों का हेल्थ चेकअप कराने के निर्देश दिए और इसके साथ ही प्रेग्नेंसी जांच अनिवार्य करने को कहा। इसके लिए CMO को पत्र भेजकर मेडिकल टीम भी बुलाई गई।
सूत्रों के अनुसार, जैसे ही यह जानकारी ट्रेनी लड़कियों को मिली, उनमें गहरा आक्रोश फैल गया। उन्होंने इसे निजता का उल्लंघन और अपमानजनक बताया। यह आदेश न सिर्फ अनमैरिड लड़कियों पर लागू किया गया, बल्कि इसे बिना पूर्व अनुमति के लागू करने की कोशिश भी की गई।
आईजी ट्रेनिंग ने रोका आदेश, लेकिन भरोसे की दीवार ढह चुकी थी
जब यह मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा तो आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश ने डीआईजी का आदेश तत्काल निरस्त कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि,
“किसी महिला सिपाही की जबरन प्रेग्नेंसी जांच नहीं की जाएगी। यदि कोई महिला स्वयं बताए कि वह गर्भवती है, तो उसे शपथ पत्र देकर अगले बैच में भेजा जा सकता है।”
हालांकि, तब तक डीआईजी रोहन पी के आदेश ने आग लगा दी थी और महिला सिपाहियों का प्रशासन से भरोसा टूट चुका था।
“खुले में नहा रहे हैं, आदमी देख रहे हैं” – महिला सिपाहियों का दर्द छलका
इस बवाल से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें लड़कियां कैमरे पर रोते हुए कह रही हैं –
“न लाइट है, न पंखा है, रातभर हम लोग जागते रहे। सुबह खुले में नहाना पड़ता है। आदमी लोग आते-जाते देख रहे हैं। हमारी कोई इज्जत नहीं है।”
एक अन्य लड़की गुस्से में कहती है –
“जब हमने मैनेजमेंट से कहा कि ये क्या हाल है तो जवाब मिला– फंड नहीं है।” जिसपर उसने कहा कि “तो फिर औकात नहीं थी तो हमें क्यों बुलाया?”
वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि लड़कियां “गोरखपुर हाय हाय” के नारे लगा रही हैं और कह रही हैं–
“ये योगी जी का जिला है, और यहां हमारे साथ ये हो रहा है। इसका जिम्मेदार कौन है?”
360 की क्षमता, 600 लड़कियां, आधा लीटर पानी और घटिया खाना
महिला सिपाहियों का आरोप है कि ट्रेनिंग सेंटर की हालत बेहद खराब है –
- 360 की क्षमता वाले सेंटर में 600 लड़कियां रखी गई हैं।
- रातभर बिजली नहीं रहती, जनरेटर तक की व्यवस्था नहीं है।
- पीने के लिए सिर्फ आधा लीटर पानी दिया जाता है। RO बेहद छोटा है।
- खाने की गुणवत्ता बेहद खराब है।
- शौचालय की हालत दयनीय है, और कुछ स्थानों पर कैमरे लगे हैं।
कैमरे लगे बाथरूम गैलरी में: “हमारी इज्ज़त कैमरे में कैद हो रही है”
बाराबंकी से आई एक सिपाही जया ने कहा –
“बाथरूम के बाहर गैलरी में कैमरा लगा है। आते-जाते हम कैमरे में कैद हो रहे हैं। हमारी इज्जत कहां है?”
एक अन्य महिला सिपाही ने कहा –
“हमारे वीडियो बन गए हैं, अब क्या होगा? कौन जिम्मेदार है?”
इस बयान ने पूरे मामले को गंभीर साइबर सुरक्षा और गोपनीयता उल्लंघन का मुद्दा बना दिया है।
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान कहाँ?
यह पूरा मामला महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और निजता के खिलाफ खुला हमला है। और विडंबना यह है कि यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ – गोरखपुर में घटी है। महिला सिपाहियों की आवाज़ अब पूरे राज्य में गूंज रही है और लोग सवाल पूछ रहे हैं:
❝ जब सरकार अपने ही विभाग की महिलाओं को सुरक्षित नहीं रख सकती, तो आम महिलाओं की सुरक्षा की क्या गारंटी है? ❞
वीडियो साक्ष्य देखें:
इस घटना से जुड़ा एक वीडियो इस रिपोर्ट के साथ साझा किया जा रहा है, जिसमें महिला सिपाहियों के बयान, आँसू और आक्रोश स्पष्ट रूप से देखे और सुने जा सकते हैं।