गोरखपुर में शिक्षकों ने भरी हुंकार, कहा- सांसद-विधायक अपना पेंशन-भत्ता त्यागें उसके बाद शिक्षकों के ऊपर नियम-कानून लागू करें

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने एक साथ सामूहिक अवकाश लेकर बीएसए कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया | दूर-दराज से शिक्षकों ने धरने में शामिल होकर एकजुटता का परिचय दिया | इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि पहले सरकार सांसद विधायकों की पेंशन भत्ता बंद करें उसके बाद शिक्षकों के ऊपर नियम-कानून लागू करें |

गोरखपुर के बीएसए कार्यालय पर सुबह 11:00 बजे से आयोजित धरने में दूरदराज के शहरी और ग्रामीण इलाकों के शिक्षक सामूहिक अवकाश लेकर जुटना शुरू हो गए | सरकार के विरोध में माध्यमिक शिक्षक संघ और प्राथमिक शिक्षक संघ ने एक साथ बीएसए कार्यालय पर धरने का आयोजन किया था | माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉक्टर दिग्विजय नाथ पांडे और प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष भक्तराज राम त्रिपाठी ने आंदोलन का नेतृत्व किया |

माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष और संयोजक डॉ. दिग्विजय नाथ पांडे ने बताया कि सरकार लगातार शिक्षकों की अनदेखी कर रही है | धारा 123 को समाप्त कर शिक्षकों की सुरक्षा खत्म कर दी गई है | इसके अलावा पुरानी पेंशन कैशलेस चिकित्सा सहित तमाम जायज मांगों के प्रति सरकार ने उदासीन रवैया दिखाया है | मांगों को लेकर निरंतर डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री से बात की गई | लेकिन सुनवाई नहीं हुई दौरान शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया |

डा. पांडे ने कहा कि तमाम तरह से शिक्षकों का सरकार द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा है | शिक्षा से जिसका कोई वास्तव सरोकार नहीं है वह पूछा के विषय में दूर-दूर तक नहीं सोच रहा है | उन्होंने कहा कि हमारे संघर्ष के कार्यक्रम अनवरत चलते रहेंगे और निश्चित रूप से सरकार को झुकना पड़ेगा यह दोहरे चरित्र की सरकार है सरकार शिक्षकों का वेलफेयर नहीं चाहती है | हम शिक्षक दिवस के निर्माता हैं | इनकी सोच है कि शिक्षा को दिशाहीन करके शिक्षकों को दूसरी दिशा में लगा कर समाज को भटकाना चाहते हैं |

उन्होंने कहा कि सांसदों और विधायकों को तो पेंशन दी जाती है | लेकिन जो 62 साल सेवा करता है, उन शिक्षक को पेंशन नहीं देना चाहती है | अगर मैं इतनी हितैषी होते तो अपना पेंशन छोड़ देते. जो खुद समाज का कल्याण करने के लिए सत्ता में आते हैं. लेकिन खुद अपने कल्याण की भावना में लिप्त रहते हैं |

सांसद और विधायक अपनी पेंशन छोड़ दें | तो हम भी अपना पेंशन नहीं लेंगे | उन्होंने कहा कि शिक्षकों का धरना बहुत शांतिपूर्ण होता है और उन्हें अपने कार्यालय के बाहर धरना देने के लिए किसी तरह की परमिशन की जरूरत नहीं है | हम सत्याग्रही लोग हैं | हमने ठीक तरीके से लड़ते हैं | हम समाज को दिशा देना चाहते हैं | जो राजनेता है | समाज को बर्बाद करने में लगे हुए हैं |

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