‘गोरखपुर रामगढ़ताल’ होगा प्रदेश का पहला वेटलैंड, नोटिफिकेशन जारी

शहर की पहचान बन चुके रामगढ़ताल को वेटलैंड मैनेजमेंट 2017 के तहत प्रदेश का पहला वेटलैंड घोषित किया गया है. इसके लिए प्रारंभिक नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. तकनीकी परीक्षण और लोगों की आपत्तियां सुनने के बाद अंतिम नोटिफिकेशन जारी होगा. आपत्ति दर्ज कराने के लिए 15 दिन का मौका दिया गया है. इस फैसले से रामगढ़ताल के 500 मीटर के दायरे में बने घरों के टूटने से बचने की बड़ी उम्मीद है.

गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्‍यक्ष अनुज सिंह ने बताया कि रामगढ़ताल को वेटलैंट घोषित करने की कवायद काफी दिनों से वन विभाग द्वारा चल रही है. शासन की ओर से 15 दिन का नोटिफिकेशन जारी किया गया है. इसके लिए 15 दिन की आपत्ति का समय दिया गया है.

रामगढ़ताल गोरखपुर की नैसर्गिक झील है. इससे साफ-सफाई और पर्यटन का केन्‍द्र बनाने के लिए‍ काफी दिनों से कवायद चल रही थी. ये पर्यटन की दृष्टि से काफी अच्‍छा केन्‍द्र बनकर उभरा भी है. इसे और संरक्षित करने के लिए ये नोटिफिकेशन जारी किया गया है. नोटिफिकेशन के बाद शासन के तय करेगा कि कितने एरिया में‍ निर्माण और अन्‍य गतिविधियों पर रोक रहेगी.

गोरखपुर के डीएफओ अविनाश कुमार ने बताया कि रामगढ़ताल वेटलैंड के रूप में काफी दिनों से यहां पर है. लेकिन, कानूनी रूप से इसे संरक्षित करने के लिए वेटलैंड मैनेजमेंट रूल्‍स 2017 के तहत नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. फायदे की बात करें, तो किसी भी तरह के औद्योगिक कचरा, अनट्रीटेड वेस्‍ट डिस्‍चार्ज नहीं किया जा सकेगा. कंस्‍ट्रक्‍शन नहीं किया जाएगा. पर्यावरण के तरीके से इसका संरक्षण करने में सुविधा होगी. मछली पालन और अन्‍य गतिविधियों को चलने दिया जाएगा. जिससे लोग रोजगार से जुड़े रहें.

प्रारंभिक नोटिफिकेशन के मुताबिक 737 हेक्टेयर में फैले रामगढ़ ताल के ज्यादातर हिस्से में 50 मीटर तक ही निर्माण पर प्रतिबंध है. कुछ इलाकों में 80, 100 और 120 मीटर तक का प्रतिबंध है. हालांकि यह भी वह इलाके हैं, जो खाली हैं और वहां कोई निर्माण नहीं है. इस चिह्नित दायरे में कोई नया उद्योग नहीं लग सकता है. न ही पुरानी इकाइयों का विस्तार हो सकेगा.

गोरखपुर के डीएफओ अविनाश कुमार ने बताया कि रामगढ़ताल को वेटलैंड घोषित किए जाने का सबसे बड़ा लाभ यह मिलेगा कि झील अपने मूल स्वरूप में बनी ही रहेगी. आसपास के भूगर्भ जल का स्तर भी सुधरेगा. इससे जैव विविधता को संरक्षण और संवर्धन भी मिलेगा. इसके साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

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