Gorakhpur PAC ट्रेनिंग सेंटर बवाल! CM Yogi शहर में थे मौजूद, इसलिए.. प्रेगनेंसी टेस्ट करवाने पर DIG को ये सजा

गोरखपुर के PAC ट्रेनिंग सेंटर में बुधवार को उस वक्त हंगामा मच गया जब करीब 600 महिला ट्रेनी सिपाहियों ने व्यवस्था की बदहाली के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। खुले में नहाने, कैमरों की निगरानी, गंदे टॉयलेट, भीड़भाड़ और दो-दो वक्त के खाने में लापरवाही जैसे मुद्दों को लेकर सैकड़ों महिला सिपाही चिल्लाते हुए बाहर आ गईं। मामला तब और गंभीर हो गया जब एक महिला सिपाही बेसुध होकर गिर पड़ी।

खुले में नहाने पर मजबूरी, CCTV में रिकॉर्डिंग का डर

महिला सिपाहियों ने आरोप लगाया कि उन्हें खुले में नहाना पड़ता है जबकि आसपास CCTV कैमरे लगे हैं। एक सिपाही ने कहा— “हमारे वीडियो बन गए होंगे। जब व्यवस्था नहीं थी तो हमें यहां बुलाना ही नहीं चाहिए था।” ऐसी स्थिति ने उनकी निजता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

बिना पानी, गंदे टॉयलेट और भीड़भाड़ में रह रहीं सिपाही

ट्रेनिंग सेंटर की बुनियादी सुविधाओं की हालत इतनी खराब है कि कई सिपाहियों को दो दिन से पीने का पानी तक नहीं मिला। मांगने पर प्रभारी द्वारा गाली-गलौज और धमकी दी गई, एक सिपाही ने कहा— “प्रभारी बोलते हैं, मुंह में पाइप डाल देंगे।” वहीं एक कमरे में 30-30 सिपाही ठूंस-ठूंस कर रखी गई हैं जबकि टॉयलेट गंदगी से भरे हुए हैं। कई को टीन-शेड में रखा गया है, जहां न गर्मी से राहत है न हवा।

फर्श पर गिरने से घायल, दांत टूटने तक की नौबत

महिला सिपाहियों ने बताया कि जिन कमरों में उन्हें रखा गया है, वहां आने-जाने का एक ही रास्ता है और उसी पर कूलर रखा गया है, जिससे फर्श पर पानी फैल जाता है। इसकी वजह से कई बार सिपाही फिसल कर गिर गईं। एक का दांत टूट गया, तो कई घायल भी हुईं।

360 की क्षमता में 600 महिलाएं ठूंसी गई

जिस ट्रेनिंग सेंटर में 360 महिलाओं की जगह है, वहां 600 महिला सिपाहियों को जबरन रखा गया है। यह ओवरलोडिंग सुरक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक तनाव तीनों के लिए खतरनाक साबित हो रही है।

CM योगी के शहर में हंगामा, अधिकारियों में मची खलबली

बवाल उस वक्त हुआ जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गोरखपुर में मौजूद थे। बुधवार को वे नगर निगम में भाषण दे रहे थे और अगले दिन इसी PAC कैंपस में उनका एक कार्यक्रम था। लिहाजा अफसरों के होश उड़ गए। मौके पर ADG मुथा अशोक जैन और SSP राजकरण नय्यर पहुंचे, जिन्होंने महिला सिपाहियों को समझा-बुझाकर शांत किया।

प्रेग्नेंसी जांच के आदेश ने भड़काया मामला

मामले की शुरुआत तब हुई जब ट्रेनिंग से पहले हेल्थ चेकअप के दौरान DIG रोहन पी. कनय ने महिला सिपाहियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने का आदेश जारी किया। इसके लिए उन्होंने CMO को चिट्ठी लिखकर मेडिकल टीम बुलवाई। यह आदेश विशेष रूप से अविवाहित महिला सिपाहियों पर लागू हुआ, जिससे नाराज होकर सिपाहियों ने बगावत कर दी।

DIG का आदेश रद्द, आईजी ट्रेनिंग ने दी सफाई

आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश ने तत्काल इस आदेश को निरस्त कर दिया, और साफ कहा— “किसी भी अविवाहित महिला सिपाही का प्रेग्नेंसी टेस्ट नहीं किया जाएगा। अगर कोई महिला गर्भवती है तो वह खुद शपथपत्र देकर अगली बैच में ट्रेनिंग ले सकती है।”

पुलिस नियमों के मुताबिक, शादीशुदा सिपाहियों का मेडिकल जांच के तहत प्रेग्नेंसी टेस्ट संभव है, लेकिन अविवाहितों को केवल शपथपत्र देना होता है। DIG के आदेश ने संवेदनशीलता की सीमाएं लांघ दी थीं।

लखनऊ में मचा हड़कंप, DIG समेत कई अफसरों पर गिरी गाज

जैसे ही मामला लखनऊ के आला अफसरों तक पहुंचा, तो फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (PTI) को अभद्र भाषा के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया। फिर डीजीपी राजीव कृष्ण ने सख्त एक्शन लेते हुए प्लाटून कमांडर संजय राय और PAC कमांडेंट आनंद कुमार को सस्पेंड किया।

वहीं DIG रोहन पी. कनय को तत्काल हटाकर डीजीपी ऑफिस में अटैच कर दिया गया। उन्हें ‘वेटिंग’ में रखा गया है, जो शासन की भाषा में कड़ी सजा मानी जाती है।

नई तैनातियां: निहारिका वर्मा बनीं PAC कमांडेंट

घटना के बाद प्रशासन ने कई त्वरित नियुक्तियां भी कीं। निहारिका वर्मा को 26वीं PAC गोरखपुर की नई कमांडेंट बनाया गया है। इसके अलावा अनिल कुमार प्रथम को पुलिस ट्रेनिंग स्कूल गोरखपुर का प्रभारी प्रिंसिपल नियुक्त किया गया।

सियासत भी गरमाई, विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला

मामले ने सियासी रंग भी ले लिया। एक तरफ CM योगी गोरखपुर में महिला सुरक्षा के दावे कर रहे थे, दूसरी ओर उसी शहर की PAC में महिलाएं खुद को असुरक्षित बता रही थीं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, AAP सांसद और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने इसे योगी सरकार के “डबल स्टैंडर्ड” का प्रमाण बताया।

सवाल अभी बाकी हैं…

हालांकि प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई कर आग बुझाने की कोशिश की है, लेकिन यह मामला महिला सशक्तिकरण और पुलिस ट्रेनिंग की सच्चाई को बेनकाब करता है। विशेष रूप से प्रेग्नेंसी जांच जैसे आदेश यह दिखाते हैं कि संवेदनशीलता और निजता को लेकर सिस्टम अभी कितनी दूर है।

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