पिता की डांट से आहत हुए किशोर ने निगल लीं 17 कीलें, पेट में दर्द.. भयंकर तकलीफ के बाद जो हुआ, वो उड़ा देगा होश

गोरखपुर के गोरखनाथ क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 14 वर्षीय किशोर ने पिता की डांट से नाराज होकर गुस्से में आकर 16-17 लोहे की कीलें निगल लीं। जब 24 घंटे बाद पेट में असहनीय दर्द और चुभन शुरू हुई, तब जाकर मामला खुला। समय रहते इलाज मिलने से उसकी जान बच सकी।
पिता की डांट से नाराज हुआ किशोर, निगल गया लोहे की कीलें
घटना गोरखनाथ क्षेत्र की है, जहां फर्नीचर का काम करने वाले एक कारीगर के बेटे ने घर में रखीं फर्नीचर बनाने की कीलें निगल लीं। परिजनों के अनुसार, लड़के को अच्छी आदत सिखाने के लिए पिता ने उसे हल्की डांट लगाई थी। इसी बात से नाराज होकर किशोर ने यह खतरनाक कदम उठा लिया।
24 घंटे बाद पेट में उठा दर्द, तब जाकर बताया घरवालों को
कीलें निगलने के बाद शुरुआत में बच्चे को कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन 24 घंटे बीतते ही पेट में असहनीय दर्द और चुभन होने लगी। दर्द बढ़ने पर उसने परिजनों को सच्चाई बताई। परिजन उसे तुरंत गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल ले गए, जहां से उसे एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया।
कोलोनोस्कोपी से निकाली गईं कीलें, डॉक्टर ने दी जानकारी
निजी अस्पताल में वरिष्ठ गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. विवेक मिश्र ने एक्स-रे और अन्य जांचें कराईं। रिपोर्ट में सामने आया कि कीलें छोटी और बड़ी आंत के जंक्शन पर फंसी हुई थीं, जिससे आंत में घाव हो गया था। कोलोनोस्कोपी की मदद से सभी कीलें एक घंटे की प्रक्रिया में बाहर निकाल दी गईं। अब किशोर की हालत स्थिर है और वह खतरे से बाहर है।
समय पर इलाज नहीं होता तो हो सकती थी गंभीर क्षति
डॉ. विवेक मिश्र ने बताया कि नुकीली कीलें आंत में धंस गई थीं और यदि इन्हें समय रहते बाहर नहीं निकाला जाता तो आंत पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकती थी, जिससे बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। यह मामला आम तौर पर बच्चों के सामान निगलने की घटनाओं से अलग था, क्योंकि यह जानबूझकर किया गया था।
बच्चों से संवाद बनाएं, भावनात्मक समझ जरूरी
इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों के साथ संवाद और भावनात्मक समझ कितनी ज़रूरी है। छोटी-छोटी बातों को लेकर बच्चे जब मानसिक रूप से परेशान होते हैं, तो वे खतरनाक कदम भी उठा सकते हैं। माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों से संयमित भाषा और सकारात्मक संवाद बनाए रखना चाहिए।
गोरखपुर की यह घटना एक चेतावनी है कि बच्चों के मनोविज्ञान को समझना बेहद आवश्यक है। सही समय पर चिकित्सकीय सहायता और परिजनों की सजगता ने एक जीवन बचा लिया, लेकिन यह मामला बताता है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए हमें बच्चों के साथ अधिक भावनात्मक जुड़ाव और संवाद की आवश्यकता है।