लौट रहे अनिल अंबानी के अच्छे दिन!

R-Infra का खत्म होगा कर्ज, यहां एक झटके में मिलेगी 20 हजार करोड़ रुपए की राहत

रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी अब कर्ज के जाल से बाहर निकलते दिख रहे हैं। उन्होंने बताया है कि उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के बाद रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर कर्ज मुक्त हो जाएगी। इसके अलावा, समाधान प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने से रिलायंस कैपिटल को अपने कुल कर्ज में 50 प्रतिशत यानी 20,000 करोड़ रुपये की कमी लाने में मदद मिलेगी।

कर्ज मुक्त होगी रिलायंस इंफ्रा: अनिल अंबानी ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में जीत के बाद दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) से 7,100 करोड़ रुपये मिलेंगे। अंबानी ने कहा कि डीएमआरसी से मिले भुगतान का इस्तेमाल कंपनी का कर्ज चुकाने के लिए किया जाएगा। एकल आधार पर रिलायंस इंफ्रा पर 3,808 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके बाद कंपनी ऋणमुक्त हो जाएगी।

20,000 करोड़ रुपये की कमी: अनिल अंबानी के मुताबिक रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (आरसीएफ) और रिलायंस होम फाइनेंस (आरएचएफ) की समाधान प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने से रिलायंस कैपिटल को अपने कुल कर्ज में 50 प्रतिशत यानी 20,000 करोड़ रुपये की कमी लाने में मदद मिलेगी।

अनिल अंबानी ने कहा, ‘‘इन दो कंपनियों (आरसीएफ और आरएचएफ) के बीच 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था और ये अब रिलायंस कैपिटल के बही-खाते से हट जाएंगे। यानी आरएचएफ और आरसीएफ के केवल दो सौदों से हमारे कर्ज में 50 प्रतिशत यानी 20,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी।’’

उन्होंने कहा कि इसके बाद रिलायंस कैपिटल पर गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के जरिये मोटे तौर पर 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा करीब 5,000 करोड़ रुपये मूल्य का असुरक्षित और गारंटी वाला कर्ज है।अंबानी ने कहा कि ऑथम आरसीएफ के लिये 2,200 करोड़ रुपये और आरएचएफ के लिय 2,900 करोड़ रुपये देगी।

अंबानी ने शेयरधारकों से कहा कि रिलायंस कैपिटल के तहत आने वाली रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस सिक्योरिटीज अच्छा काम कर रही हैं और वित्तीय क्षेत्र के समक्ष जो चुनौतियां हैं, उससे वे प्रभावित नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों में पर्याप्त पूंजी है और अलग से पैसा लगाने की जरूरत नहीं है।

आपको बता दें कि कर्जदाताओं ने इस साल की शुरुआत में आरसीएफ और आरएचएफ का अधिग्रहण करने के लिए ऑथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (ऑथम) को सफल बोलीदाता के रूप में चुना था। रिलायंस कैपिटल की रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (आरसीएफ) में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जबकि रिलायंस होम फाइनेंस में वह बहुलांश हिस्सेदार है। ऑथम ने कहा है कि वह आरसीएफ और आरएचएफ के कर्मचारियों को बनाये रखेगी।

GST का असर: …तो पेट्रोल 75 रुपये और डीजल 68 रुपये प्रति लीटर मिलेगा?

आम लोगों को पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमत से आने वाले महीनों में राहत मिल सकती है। दरअसल, सरकार पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो देश भर में पेट्रोल के भाव 75 रुपये और डीजल के भाव 68 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है।

 वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर मंत्रियों का एक पैनल एक देश और एक दर के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर कर लगाने पर विचार करेगा। मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक, उपभोक्ताओं के लिए ईंधन की कीमत और सरकारी राजस्व में संभावित बड़े बदलाव के लिए यह अहम कदम हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाला पैनल शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली 45वीं जीएसटी परिषद की बैठक में प्रस्ताव पर विचार करेगा।

गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी काउंसिल के समक्ष यह मामला 17 सितंबर को लाया जाएगा। नाम न लेने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व को देखते हुए जीएसएटी परिषद के उच्च अधिकारी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं।

तीन-चौथाई सदस्यों की मंजूरी जरूरी

वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में थोड़ा मुश्किल है। दरअसल, जीएसटी प्रणाली में किसी भी बदलाव के लिए पैनल के तीन-चौथाई लोगों की मंजूरी जरूरी है। इस पैनल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें से कुछ ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। उन राज्यों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल के जीएसटी दायरे में आने के बाद राजस्व का एक अहम राज्यों के हाथों से निकल जाएगा। इस पर केंद्र सरकार को अपना रुख पहले स्पष्ट करना होगा। फिर जाकर सहमति के आसार बन सकते हैं।

सस्ते हो जाएंगे पेट्रोल-डीजल

इस साल मार्च में एसबीआई की इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो केंद्र और राज्यों को राजस्व में जीडीपी के महज 0.4 फीसदी के बराबर की कमी आएगी। वहीं, जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम उत्पादों को लाने के बाद देश भर में पेट्रोल के भाव 75 रुपये और डीजल के भाव 68 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है।

कोरोना की दवाइयों पर रियायत संभव

जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में कोविड-19 से संबंधित आवश्यक सामान पर रियायती दरों की समीक्षा हो सकती है। जीएसटी परिषद की इससे पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई थी। इसमें कोविड-19 से संबंधित सामग्री पर कर की दरों को 30 सितंबर तक के लिए घटाया गया था। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल नवीकरणीय उपकरणों पर 12 फीसदी और लौह, तांबा के अलावा अन्य धातु अयस्कों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार कर सकता है।

पेट्रोलियम उत्पादों से भरा सरकारी खजाना

सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ गया है, और इस दौरान हासिल हुआ अतिरिक्त कलेक्शन पूरे वित्त वर्ष के दौरान तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था।

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