UP: “हिंदू हो, शर्म नहीं आती?” डिलीवरी बॉय को धमकाया.. कस्टमर से पूछा धर्म, बजरंग दल का वीडियो वायरल

गाज़ियाबाद। सावन के पवित्र महीने में नॉनवेज की डिलीवरी को लेकर गाज़ियाबाद के वसुंधरा इलाके में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक डिलीवरी बॉय को बीच सड़क पर रोककर सवालों की बौछार कर दी। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक कार्यकर्ता डिलीवरी बॉय से पूछता है – “हिंदू हो, शर्म नहीं आती?”
इस घटना के सामने आने के बाद धार्मिक सहिष्णुता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक आस्था के बीच टकराव पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।

ग्राहक को भी किया कॉल पर शामिल

घटना का वीडियो करीब दो मिनट लंबा है, जिसमें बजरंग दल के सदस्य डिलीवरी बॉय से पूछते हैं कि वह क्या सामान ले जा रहा है। डिलीवरी बॉय जब जवाब नहीं देता तो वे बैग की तलाशी लेते हैं और कहते हैं कि इसमें नॉनवेज है।
इसके बाद वे ग्राहक को फोन पर कॉल करते हैं और स्पीकर पर बात करवाते हैं। जैसे ही ग्राहक कहती है कि वह ईसाई धर्म की हैं, तो कार्यकर्ता कहता है – “अगर ग्राहक हिंदू होता, तो मैं अभी पुलिस बुलाता।” इसके बाद डिलीवरी बॉय को जाने दिया जाता है।

“हिंदू होकर नॉनवेज ले जा रहे हो? शर्म नहीं आती?”

वीडियो में बजरंग दल सदस्य डिलीवरी बॉय को संबोधित करते हुए कहते हैं –
“तुम हिंदू होकर नॉनवेज डिलीवर कर रहे हो, क्या तुम्हें शर्म नहीं आती? ये सावन का महीना चल रहा है, भगवान शिव का पवित्र समय है। तुम जैसे लोगों की वजह से समाज का संतुलन बिगड़ता है।”
यह बयान स्पष्ट रूप से धार्मिक आस्था के आधार पर डिलीवरी कर्मियों की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करता है।

सावन में नॉनवेज नहीं बिकना चाहिए – बजरंग दल

घटना के बाद मीडिया से बातचीत में बजरंग दल के स्थानीय सदस्य सुभाष ने कहा कि यह विरोध उन्होंने सावन और आने वाली शिवरात्रि को ध्यान में रखते हुए किया है।
उन्होंने कहा –
“हमने सभी होटल, रेस्टोरेंट और स्टोर से अनुरोध किया है कि सावन में मांसाहार की बिक्री बंद की जाए। यह आस्था का विषय है और हम केवल धर्म की रक्षा कर रहे हैं।”

पुलिस का बयान: वायरल वीडियो के आधार पर जांच शुरू

गाज़ियाबाद पुलिस ने मामले पर संज्ञान लेते हुए बताया कि घटना वसुंधरा के विजयनगर इलाके की है और यह मंगलवार को घटी।
एसीपी रितेश त्रिपाठी ने बताया –
“अभी तक किसी पक्ष की ओर से कोई शिकायत नहीं आई है। लेकिन वीडियो के आधार पर जांच की जा रही है। अगर कोई कानून का उल्लंघन हुआ है, तो कार्रवाई की जाएगी।”
पुलिस का कहना है कि बिना शिकायत के कोई केस दर्ज नहीं हो सकता, लेकिन सोशल मीडिया पर बढ़ते दवाब को देखते हुए विभाग ने नजर बनाए रखी है।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम धार्मिक आस्था: सवाल खड़े कर रही घटना

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या किसी धार्मिक अवसर पर निजी व्यवसाय और उपभोग की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है?
सावन के महीने में मांसाहार से परहेज़ एक धार्मिक आस्था हो सकती है, लेकिन क्या उसे दूसरों पर थोपा जाना चाहिए?
यह सवाल तब और गंभीर हो जाता है जब किसी की आजीविका पर असर पड़ने लगे और धार्मिक पहचान के आधार पर उसे रोका जाए।

केएफसी जैसे ब्रांड पहले ही दबाव में आ चुके हैं

गौरतलब है कि बीते दिनों गाज़ियाबाद में केएफसी (KFC) आउटलेट को सिर्फ वेज आइटम बेचने के लिए मजबूर किया गया था। बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों का दबाव बढ़ता जा रहा है कि सावन में किसी भी रूप में नॉनवेज की बिक्री न हो।
हालांकि, केएफसी जैसी कंपनियां कानूनी कार्रवाई के डर से इस तरह के फैसले लेने पर मजबूर हो जाती हैं, जिससे कई बार उपभोक्ताओं के अधिकारों और कर्मचारियों की आजीविका पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

क्या धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है?

गाज़ियाबाद की यह घटना सिर्फ एक डिलीवरी रोकने का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत के सामाजिक ताने-बाने में बढ़ते धार्मिक दबाव और स्वतंत्रता की सीमाओं को दर्शाता है।
डिलीवरी बॉय की चुप्पी और ग्राहक की धार्मिक पहचान पूछना इस बात की ओर इशारा करता है कि व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता अब सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है।
अब देखना यह है कि पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है – धार्मिक दबाव को समर्थन या संवैधानिक मूल्यों की रक्षा?

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