मेरे बेटे से STF कराती थी ददुआ और ठोकिया की मुखबिरी, अब उसे ही घेरकर मार डाला

गौरी के डकैत बनने की कहानी...मां की जुबानी

मध्य प्रदेश और यूपी के बीहड़ों में आतंक के पर्याय रहे डकैत गौरी यादव को शनिवार तड़के STF ने एनकाउंटर में मार गिराया। उसके मारे जाने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। ऐसे में डकैत गौरी की मां को जब पता चला कि उसका बेटा मारा गया है तो वह फूट-फूटकर रोने लगीं। कहा कि मेरे बेटे को STF ने ही डाकू बनाया है। सालों तक दुर्दांत ददुआ और ठोकिया के लिए मुखबिरी कराते थे। उसे उसके साथ रहने के लिए भेजते थे।

छह साल से बेटे को नहीं देखा था
डकैत की मां रजनी देवी ने STF पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमेशा मेरे लड़के को STF घर से ले जाती थी। मैंने अपने लड़के को 6 साल से नहीं देखा है। कम से कम मुझे पुलिस उसकी लाश दिखाए। मैंने उसे पैदा किया है। उसका अंतिम संस्कार मैं ही करूंगी। पोस्टमार्टम हाउस में गौरी के परिजन इकट्ठा हुए हैं। मां रजनी देवी ने यह भी बताया कि हमारे दुश्मनों ने ही बताया कि गौरी मारा गया है, तब मैं भागकर यहां आई हूं। तब उसकी एक झलक पाने के लिए परेशान हूं।

आइए जानते हैं कैसे डकैत बना गौरी

डकैत गौरी की मां रजनी देवी ने एसटीएफ पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमेशा मेरे लड़के को एसटीएफ घर से ले जाती थी। मैंने अपने लड़के को 6 साल से नहीं देखा है।

डाकुओं के साथ उठता बैठता था गौरी
गांव वाले बताते हैं कि चित्रकूट के बेलहरी गांव का रहने वाले गौरी यादव पहले सामान्य गांव वालों की ही तरह था। बात करीब 30 साल पहले की है। तब दुर्दांत डाकुओं ददुआ और ठोकिया ने आतंक मचा रखा था। इन्हीं जंगलों में इनका ठिकाना था, गांव वाले मुखबिर थे। इन्हीं में से एक था गौरी यादव, जिसे पुलिस ने अपनी ओर मिला लिया था। डाकुओं के साथ उठ बैठकर पुलिस को उनकी जानकारी देता था।

ऐसे उतरा अपराधी की दुनिया में
डकैत गौरी यादव किसी उत्पीड़न की वजह से डाकू नहीं बना बल्कि पुलिस की शह और डाकुओं के तौर तरीके सीखते हुए उसके हौसले बढ़ते गए। छुपने के ठिकाने पता चलते रहे और हथियार चलाना भी आ गया। इससे वह डराने धमकाने का काम करने लगा। पाठा क्षेत्र में अपनी हनक बनाने के मकसद से वह अपराध की दुनिया में पूरी तरह उतर गया।

डकैत गौरी यादव का पोस्टमार्टम तीन डाक्टरों की टीम वीडियो कांफ्रेंसिंग के साथ करेगी। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर गौरी के परिजन व गांव के लोग।

पुलिस ने दी छूट, बन गया दस्यु सरगना

एसटीएफ के संपर्क में आया और बन गया डकैत ददुआ के खिलाफ पुलिस का सबसे विश्वसनीय मुखबिर।पुलिस के संरक्षण का फायदा उठाकर छोटी-मोटी अपराधिक गतिविधियां शुरू कर दी।पुलिस की निगाहें दस्यु सरगना ददुआ पर थी, इसलिए गौरी को करते रहे नजरअंदाज।दिल्ली से आए एक उपनिरीक्षक की हत्या कर दी।डकैत ददुआ और ठोकिया के अंत के बाद खुद को किया पुलिस के हवाले।जमानत पर छूटकर आया डकैती, फिरौती, अपहरण और लूट जैसे संगीन अपराधों में लग गया।उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पुलिस ने 5.50 लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया था।

डकैत गौरी यादव का गांव बेलहरी है। कभी यहां गौरी यादव अपने परिवार के साथ रहा करता था। गांव के लोग और उसकी मां पुराने दिनों की चर्चा करते हैं।

कक्षा 10 तक की पढ़ाई

मां रजनी देवी के मुताबिक, मात्र 3 साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठने के बाद बिलहरी गांव के बगल में स्थित सपहा के कॉलेज में कक्षा 10 तक पढ़ाई की। गौरी ने परिवार चलाने के लिए क्षेत्र के ही कुछ लोगों के वाहन चलाने शुरू किए। कुछ दिन उसने कर्वी से मडईयन तक चलने वाली गाड़ियों को भी चलाया।

डकैत गौरी यादव ने दस्यु सरगना अंबिका प्रसाद उर्फ ठोकिया के साथ रहकर साल 2005 में पहला अपराध किया था।

बेटियों की कर दी शादी, बेटों की किसी को जानकारी नहीं
गौरी यादव के गांव के लोगों ने बताया कि 18 साल की उम्र में गौरी की शादी पहाड़ी क्षेत्र के बारा कादरगंज में हुई थी, शादी के बाद उसके दो बेटे और दो बेटियां भी हुईं। जिनमें दोनों बेटियों की तो शादी हो गई, लेकिन उसके दोनों बेटे कहां हैं, यह कोई नहीं जानता।

छोटे गैंग लेकर लौटा, बनना चाहता था ददुआ-ठोकिया से बड़ा
बीहड़ के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय में गौरी का गैंग माइंड पॉवर और फायर पॉवर के लिहाज से बेहद कमजोर है। गैंग के सदस्यों की संख्या भी सीमित है। इसके बावजूद लंबे आपराधिक जीवन और बाकी जीवन का अनुभव उसके काम आ रहा है। वह वारदात करके पाठा के जंगलों में विलीन हो जाता है।

साल 2005 में पहला मुकदमा
डकैत गौरी यादव ने दस्यु सरगना अंबिका प्रसाद उर्फ ठोकिया के साथ रहकर साल 2005 में पहला अपराध किया था। चित्रकूट जनपद से सटे मध्य प्रदेश के नयागांव थाना क्षेत्र में फिरौती लेने के लिए एक व्यक्ति का अपहरण किया था। मारकुंडी थाने में इसी साल उस पर मुकदमा दर्ज किया गया था। उस पर कुल 45 मुकदमे दर्ज थे।

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