लद्दाख से लेकर वैक्सीन तक… जानें पिछले क्वाड समिट में भारत ने कैसे चीन को….

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) की मेजबानी में 24 सितंबर को होने वाले पहले भौतिक क्वाड समिट (Quad Summit) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी शामिल होंगे. अन्य मेहमानों में पीएम मोदी (PM Modi) के समकक्ष स्कॉट मौरिसन (Scott Morrison) और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) शामिल हैं. पिछली बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते क्वाड सम्मेलन का आयोजन वर्चुअली किया गया था. इस सम्मेलन में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया (Australia) और जापान (Japan) ने कोरोना वायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine), चीन (China) की आक्रामक नीतियों को लेकर चर्चा की गई थी. हालांकि इस साल भी मुद्दे एक जैसे ही हैं, लेकिन सम्मेलन में पहली बार चारों देश के नेता शारीरिक तौर पर उपस्थित रहेंगे. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा है कि चारों नेता अपने सहयोग को और मजबूत बनाने पर काम करेंगे, साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने, खुले और मुक्त हिंद प्रशांत क्षेत्र के साथ कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. चारों देशों के नेता वैश्विक समुदाय से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं, इसमें उभरती तकनीक, कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सिक्योरिटी और मैरिटाइम सिक्योरिटी जैसे विषय शामिल हैं. पढ़िए इस बार के क्वाड सम्मेलन में किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा –

चीन को क्वाड की दो टूक
पिछली बार क्वाड समिट का आयोजन उस समय हुआ था, जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनाव चल रहा था. मई 2020 से ही दोनों देशों के बीच लद्दाख में सैन्य तनाव देखने को मिला है. लंबे दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने पैंगोग झील क्षेत्र से पिछले साल अपनी सेनाएं वापस बुला ली थी, लेकिन हालांकि अन्य क्षेत्रों से सेनाओं को वापस बुलाने के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने कहा था, ‘हमारा प्रयास है कि चीन की सरकार को स्पष्ट रूप से बता दें कि किस तरह से अमेरिका सामरिक स्तर पर आगे बढ़ना चाहता है, हमारे मौलिक हित और मूल्य क्या हैं और उनकी गतिविधियों को लेकर हमारी चिंताएं क्या हैं- स्पष्ट रूप से हमने अपने क्वाड सहयोगियों की बातें सुनीं; ऑस्ट्रेलिया पर उनका दबाव, सेनकाकू प्रायद्वीप के पास उनका दबाव बनाना, भारत की सीमाओं पर उनकी आक्रामकता की बातों को गौर से सुना.’’

‘स्पिरिट ऑफ क्वाड’ शीर्षक से एक संयुक्त बयान में नेताओं ने कहा कि उन्होंने अपने समय की निर्णायक चुनौतियों पर सहयोग मजबूत करने का संकल्प लिया और वे पूर्वी तथा दक्षिण चीन सागर में नियम-कायदा आधारित व्यवस्था के समक्ष चुनौतियों से मुकाबले के लिए समुद्री सुरक्षा पर तालमेल बढ़ाएंगे.

क्वाड मीटिंग में पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्वाड समूह के पहले शिखर सम्मेलन में कहा था कि गठबंधन विकसित हो चुका है और टीका, जलवायु परिवर्तन, उभरती प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के इसके एजेंडे में शामिल होने से यह वैश्विक भलाई की ताकत बनेगा. पीएम मोदी ने कहा, ‘हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं … हमारा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून से संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी दबाव से मुक्त हैं लेकिन मैं हमारी संभावना के बारे में आशावादी हूं.’’

पीएम मोदी ने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में चर्चा करते हुए कहा था कि ‘हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के लिए एकजुट हैं. आज हमारे एजेंडे में टीका, जलवायु परिवर्तन और उभरती हुई प्रौद्योगिकी जैसे सेक्टर शामिल हैं, जो ‘क्वाड’ को वैश्विक भलाई की ताकत बनाते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस सकारात्मक दृष्टिकोण को भारत के वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन के विस्तार के तौर पर देखता हूं, जो कि पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है.’’

कोरोना वायरस वैक्सीन
पिछली बार क्वाड सम्मेलन ऐसे समय आयोजित किया गया था, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में थी, और भारत सहित दुनिया भर के देशों में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू ही हुआ था. क्वाड देशों के नेताओं ने महामारी के मुकाबले के लिए सबके लिए समान रूप से वैक्सीन की उपलब्धता पर जोर दिया था. पीएम मोदी, जो बाइडन, योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन ने वैश्विक महामारी से मुकाबले के लिए सदस्यों के बीच सहयोग पर जोर दिया था. इसमें टीके के उत्पादन में साझेदारी और खुले एवं मुक्त हिंद प्रशांत क्षेत्र की आवश्यकता पर जोर दिया गया था.

इस साल क्या होगा?
इस बार क्वाड नेता अपने संबंधों को और मजबूत बनाने के साथ व्यावहारिक सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर जोर दे सकते हैं. साथ ही कोरोना महामारी, क्लाइमेट क्राइसिस, उभरती तकनीक और साइबर स्पेस के साथ खुले एवं मुक्त हिंद प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा कर सकते हैं. दूसरी बार क्वाड सम्मेलन का आयोजन उस समय हो रहा है, जब दक्षिण चीन सागर में बीजिंग का आक्रामक रवैया जारी है. बीजिंग दक्षिण चीन सागर के 1.3 मिलियन स्क्वॉयर मील पर को अपना संप्रभु क्षेत्र बताता रहा है. बीजिंग दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप पर मिलिट्री बेस भी बना रहा है, जिस पर ब्रूनेई, मलेशिया, फिलिपींस, ताइवान और वियतनाम भी दावा करते रहे हैं.

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