हर नागरिक को फ्री वैक्सीन, क्या SC के आदेश के बाद सरकार ने बदली अपनी वैक्सीन पॉलिसी?

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Speech) द्वारा 21 जून से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए निशुल्क टीकाकरण (Free Vaccination) की सोमवार को घोषणा के कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से अपनी टीकाकरण नीति की समीक्षा करने को कहा था. न्यायालय ने कहा था कि राज्यों और निजी अस्पतालों को 18-44 साल के लोगों से टीके के लिए शुल्क वसूलने की अनुमति देना प्रथम दृष्टया ‘‘मनमाना और अतार्किक’’ है.

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि पूरे देश में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार 21 जून से राज्यों को निशुल्क टीके देगी और केंद्र ने टीका निर्माताओं से राज्य के 25 प्रतिशत कोटे समेत 75 प्रतिशत खुराकें खरीदने और इसे राज्य सरकारों को निशुल्क देने का फैसला किया है.

चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पूछे थे तल्ख सवाल

यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उदारीकृत टीकाकरण नीति और केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग कीमतों को लेकर केंद्र सरकार से कुछ तल्ख सवाल पूछे थे. शीर्ष अदालत देश में कोविड-19 के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले पर सुनवाई कर रही है.
टीकाकरण के दो चरणों के तहत केंद्र ने अग्रिम स्वास्थ्यकर्मियों और 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए निशुल्क टीके मुहैया कराए और इसके बाद उदारीकृत टीकाकरण नीति लायी गयी जिसके तहत अलग-अलग मूल्यों की शुरुआत की गयी और यह निर्णय समीक्षा के दायरे में हैं. पीठ ने टीकाकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर कार्यपालिका की नीतियों से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो तो अदालतें मूकदर्शक बनी हुई नहीं रह सकती. अदालत ने इस नीति को प्रथम दृष्टया मनमाना और अतार्किक बताया और इसकी समीक्षा करने का आदेश दिया. इस आदेश को दो जून को अपलोड किया गया था.

कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया था दो सप्ताह का समय

शीर्ष अदालत ने केंद्र से दो सप्ताह के भीतर बजट में टीका के लिए निर्धारित 35,000 करोड़ में से अब तक हुए खर्च और सभी संबंधित दस्तावेज, नीति को लेकर फाइल नोटिंग के विवरण मुहैया कराने को कहा. टीके के अलग-अलग मूल्य को लेकर चिंता प्रकट करते हुए न्यायालय ने कहा था, ‘‘हम केंद्र सरकार से इन चिंताओं के समाधान के लिए अपनी टीकाकरण नीति की नए सिरे से समीक्षा करने का निर्देश देते हैं.’’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र ने टीका निर्माताओं से राज्य के 25 प्रतिशत कोटे समेत 75 प्रतिशत खुराकें खरीदने और इसे राज्य सरकारों को निशुल्क देने का फैसला किया है. उच्चतम न्यायालय की पीठ में एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी थे. पीठ ने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट में 2021-22 के लिए टीका खरीदने के वास्ते 35,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए. उदारीकृत नीति के आलोक में केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि इस कोष से अब तक कितना खर्च हुआ है और इनका इस्तेमाल 18-44 साल के लोगों के टीकाकरण के लिए क्यों नहीं हो रहा.’’

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