ऑस्ट्रेलिया नर फ्रांस से करीब 5 लाख करोड़ की डील रद्द की

भारत समेत सिर्फ 6 देशों के पास ये ताकत:परमाणु पनडुब्बी की वो खास बातें, जिनके लिए ऑस्ट्रेलिया ने डीजल पनडुब्बी के ऑर्डर रद्द कर फ्रांस से दुश्मनी मोल ली

ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ 5 लाख करोड़ की डीजल पनडुब्बियों का ऑर्डर रद्द कियाइसकी वजह यूके, यूएस के साथ हुई AUKUS डील है, जिससे परमाणु पनडुब्बियां हासिल होतीं

फ्रांस का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने उसकी पीठ में छुरा घोंपा है। उसने दोनों देशों से अपने डिप्लोमेट्स को भी वापस बुला लिया है। फ्रांस के इस सख्त लहजे की सबसे बड़ी वजह पनडुब्बियां हैं।

ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से डीजल संचालित पनडुब्बियों की 5 लाख करोड़ रुपए की डील की थी। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने AUKUS डील की, जिसमें यूके और यूएस मिलकर ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु संचालित पनडुब्बियां बनाएंगे। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ पुरानी डील रद्द कर दी।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि फ्रांस की पनडुब्बियों और यूएस-यूके की पनडुब्बियों में क्या अंतर है? परमाणु संचालित पनडुब्बियां किस तरह से बेहतर हैं? किन देशों के पास कितनी पनडुब्बियां हैं? पनडुब्बियों की ताकत में भारत कहां खड़ा है? जानिए पूरी कहानी…

डीजल-इलेक्ट्रिक संचालित पनडुब्बियां

इसमें इलेक्ट्रिक मोटर्स का इस्तेमाल होता है जो डीजल इंजन से चार्ज होती है। ऐसे इंजन को ऑपरेट करने के लिए एयर और फ्यूल की जरूरत पड़ती है। इसका मतलब इन्हें समुद्र की सतह पर जल्दी-जल्दी आना पड़ता है। दुनिया की ज्यादातर पनडुब्बियां डीजल-इलेक्ट्रिक संचालित हैं।

न्यूक्लियर संचालित पनडुब्बियां

परमाणु संचालित पनडुब्बियां भी सामान्य पनडुब्बियों की तरह लगती हैं। प्रमुख अंतर उस ऊर्जा का है जिससे ये चलती हैं। न्यूक्लियर रिएक्टर एक ऐसा पावर सोर्स है जो लंबे समय तक चलता है। इसकी एक और खासियत है कि पारंपरिक कम्बस्टन इंजन के विपरीत इस पनडुब्बी को हवा की जरूरत नहीं पड़ती। यानी परमाणु पनडुब्बी सालों तक बिना समुद्र की सतह पर आए काम कर सकती है।

अमेरिका ने बनाई थी पहली न्यूक्लियर संचालित पनडुब्बी

सबसे पहली न्यूक्लियर संचालित पनडुब्बी अमेरिका ने 1954 में बनाई थी। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज के मुताबिक यूएस की सभी 68 सबमरीन न्यूक्लियर पॉवर्ड हैं और इनमें से 14 SSBNs हैं।

1957 में सोवियत यूनियन ने पहली न्यूक्लियर संचालित सबमरीन के-3 लेनिंस्की कोस्मोसॉल लॉन्च किया। रूस के पास 49 सबमरीन हैं, इसमें 29 न्यूक्लियर पॉवर्ड हैं। इसमें 11 SSBNs हैं।

चीन ने अपनी पहली न्यूक्लियर संचालित पनडुब्बी 1974 में बनाई थी। बीजिंग के पास 59 ऑपरेशनल सबमरीन हैं, जिनमें 12 न्यूक्लियर संचालित हैं और उसमें से आधी SSBNs हैं।

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