नई दिल्ली. उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2022) से पहले बीजेपी (BJP) एक बार फिर अपनी ताकत बढ़ाने में लगी है. पिछले कुछ महीनों में अन्य दलों के कई बड़े नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. इसी कड़ी में अब मणिपुर (Manipur) का नाम भी जुड़ गया है. मणिपुर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए मणिपुर कांग्रेस (Manipur Congress) के पूर्व अध्यक्ष गोविंददास कोंटौजम (Govindas Konthoujam) बीजेपी में शामिल हो गए. बता दें कि गोविंददास 6 बार विष्णुपर सीट से विधायक रहे हैं और राज्य सरकार में मंत्री में बनाए जा चुके हैं.
राजधानी स्थित भाजपा मुख्यालय में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह, राज्य के केंद्रीय प्रभारी संबित पात्रा और राज्यसभा सदस्य व पार्टी के मीडिया विभाग के प्रभारी अनिल बलूनी की मौजूदगी में कोंथूजाम को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई. इस अवसर पर बलूनी ने कहा, ‘हम भाजपा परिवार में उनका स्वागत करते हैं.’
पात्रा ने कहा कि कोंथूजाम न सिर्फ मणिपुर, बल्कि समूचे पूर्वोत्तर का एक जाना-माना चेहरा हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम से प्रभावित होकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है. उन्होंने कहा, ‘यह प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों पर मुहर है.’मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के कामकाज से मणिपुर की जनता बहुत प्रभावित है तथा वह भाजपा से जुड़ना चाहती है. कोंथूजाम ने इस अवसर पर कहा, ‘पार्टी के लिए मैं पूरे मन से काम करूंगा और पार्टी का जो भी आदेश होगा, उसके अनुसार काम करूंगा. अगले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाकर सत्ता में वापसी के लिए दिल लगाकर काम करूंगा.’
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले ही साल दिसंबर में गोविंददास कोंटौजम को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था. मणिपुर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गोविंददास कोंटौजम कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए बड़े झटके से कम नहीं है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले जहां बीजेपी में बड़े नेताओं की फौज खड़ी हो गई है वहीं कांग्रेस को बड़ा झटका लगता दिखाई दे रहा है. कांग्रेस हाल में ही पंजाब संकट से बाहर निकली है. पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच का विवाद भले ही शांत हो गया हो लेकिन चुनाव के दौरान सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों नेता फिर आमने सामने आ सकते हैं. इसी तरह राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच एक बार फिर तनातनी देखने को मिल रही है.