पूर्व राज्यपाल ‘Satyapal Malik’ का निधन, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ली अंतिम सांस.. दोनों किडनियां..

नई दिल्ली। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त को दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज जारी था, लेकिन चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय जैसे प्रमुख राज्यों में राज्यपाल की भूमिका निभा चुके थे। उनके निधन की खबर ने राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है।

लंबे समय से चल रहा था इलाज

परिवार और अस्पताल सूत्रों के अनुसार, सत्यपाल मलिक की तबीयत पिछले कई महीनों से खराब थी। उन्हें दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत लगातार नाजुक बनी रही। मंगलवार की सुबह अस्पताल प्रशासन ने उनके निधन की पुष्टि की।

जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्ण राज्यपाल रहे

सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्ण राज्यपाल के तौर पर भी याद किया जाएगा। उन्होंने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद पर कार्य किया, जब धारा 370 हटाकर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के दौरान सत्यपाल मलिक की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

गोवा और मेघालय में भी निभाई अहम भूमिका

जम्मू-कश्मीर से पहले वे गोवा के राज्यपाल (2019-2020) और उसके बाद मेघालय के राज्यपाल (2020-2022) भी रहे। मेघालय में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसानों के मुद्दों पर केंद्र सरकार की आलोचना की थी, जिससे वे सुर्खियों में आ गए थे।

साफ-सुथरी छवि वाले मुखर नेता

राजनीतिक जीवन में सत्यपाल मलिक को एक ईमानदार और बेबाक बोलने वाले नेता के तौर पर जाना जाता था। वे अक्सर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे, यहां तक कि राज्यपाल पद पर रहते हुए भी उन्होंने कई बार केंद्र सरकार के निर्णयों की खुलकर आलोचना की। यही कारण था कि वे विपक्षी दलों के साथ-साथ आम जनता में भी लोकप्रिय थे।

https://twitter.com/SatyapalMalik6/status/1952638769036742776

राजनीतिक करियर की शुरुआत और लंबा सफर

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ था। वे 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए थे और राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके थे। उन्होंने कांग्रेस, जनता दल और बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़कर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ काम किया। वे कई बार संसद और विधानमंडलों के सदस्य रहे।

देशभर में शोक की लहर

उनके निधन की खबर मिलते ही कई बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। विपक्षी नेताओं के साथ-साथ भाजपा के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सोशल मीडिया पर सत्यपाल मलिक के पुराने बयान और उनके साहसिक निर्णयों को याद किया जा रहा है। उनके प्रशंसकों का मानना है कि उन्होंने सच्चाई के पक्ष में खड़े रहकर राजनीति में एक मिसाल कायम की।

अंतिम संस्कार की तैयारी

परिवार के अनुसार, सत्यपाल मलिक का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा। अंतिम संस्कार की तिथि और स्थान की आधिकारिक घोषणा जल्द की जाएगी। उनके सम्मान में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन भी किया जाएगा।

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