लाजवाब है कंगना की ‘पंगा’, एक कबड्डी प्लेयर के हौसलों की कहानी

फिल्म:Panga
कलाकार:Kangana Ranaut, Jassie Gill, Richa Chadha, Neena Gupta
निर्देशक:Ashwiny Iyer Tiwari
निर्माता :

कंगना रनौत स्टारर यह फिल्म एक महिला खिलाडी की ज़िन्दगी में आने वाले उतार चढ़ाव दिखाती है। फिल्म की कहानी बिलकुल सीधी, सरल और सुलझी हुई है। इस फिल्म में कंगना ने एक कबड्डी प्लेयर जया निगम का किरदार निभाया है।

रेलवे में टिकट काटने का काम करने वाली जया रेलवे की तरफ से खेलने वाली कबड्डी प्लेयर रही हैं। जया के लिए उसकी टीम हमेशा कहती थी कि खिलाड़ी आते जाते हैं लेकिन जया निगम जैसे स्टार खिलाड़ी कम ही आते हैं। शानदार खेल के चलते जया को आगे बढ़ने के कई मौके मिलते हैं। इस दौरान जया की मुलाकात प्रशांत (जस्सी गिल) से होती है और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। जया की मां (नीना गुप्ता) प्रशांत के सामने शादी के बाद भी जया को खेलने देने की शर्त रखती है जिसे प्रशांत स्वीकार लेता है। इसके बाद दोनों शादी कर लेते हैं।

शादी के बाद जया को देश के लिए खेलने का एक मौका मिलता है। लेकिन इसी बीच जया कन्सीव करती है और डिलीवरी के बाद खेल जारी करने का सोचती है। लेकिन बच्चा पैदा होने के बाद माँ की जिम्मेदारियां निभाने के चलते जया का मैदान जाना छूट जाता है। और जया सपनो को पीछे छोड़ आगे बढ़ती है। इसके कुछ साल बाद जया का बेटा आदित्य (यज्ञ भसीन) उसे खेल में कमबैक करने के लिए कहता है। बेटे की खुशी के लिए शुरू में जया कमबैक का नाटक करती है जो बाद में एक बार फिर जया की हकीकत बन जाता है। लेकिन सबके साथ के बावजद जया का अपना शरीर उसका साथ नहीं देता। लेकिन जया हार नहीं मानती और लाख कोशिश कर नेशनल टीम में जगह पाती है। हालाँकि टीम में उसे सिर्फ सब्सटीट्यूट बनाकर रखा जाता है। लेकिन हर फिल्म की तरह क्लाइमेक्स में जया को अपना हुनर दिखाने का एक मौका मिलता है।

एक्टिंग की बात करें तो कंगना ने जया का किरदार बखूबी निभाया है। वहीँ, जस्सी गिल की अदाकारी जया के पति प्रशांत के किरदार से प्रेम करा देती है। इसके अलावा जया के बेटे आदित्य और माँ नीना के किरदार में यज्ञ भसीन और ऋचा चड्ढा ने भी बेहतरीन काम किया है। वहीँ, फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो अश्विनी अय्यर तिवारी ने फिल्म के हर पहलू को बड़ी खूबसूरती से पेश किया है।

कंगना रनौत स्टारर फिल्म पंगा हिम्मत और जज्बात का भरपूर पैकेज है। लेकिन लेकिन कई मौको पर यह फिल्म दंगल और मैरीकॉम की याद दिलाती है। इसकी दूसरी कमज़ोरी की बात करे तो सामान्य सी कहानी वाली पंगा में कोई भी गाना यादगार नहीं है। फिल्म में कोई भी ऐसा गाना नहीं है जिसे थिएटर से बाहर जाते हुए लोग गुनगुना रहे हो। ऐसे में देखना होगा कि सपनो के लिए ज़िन्दगी से पंगा लेना का जज़्बा रखने वाली जया की कहानी लोगों को कितना बाँध पायेगी।

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