8 घंटे चले ऑपरेशन के बाद फरुखाबाद में पुलिस ने बचाई 23 बच्चों की जान

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक सिरफिरे ने 21 बच्चों को बंधक बना रखा था। लखनऊ से करीब 200 किलोमीटर दूर मोहम्मदाबाद गांव में हुई घटना से पूरा प्रशासन हिल गया है और बच्चों को छुड़ाने के लिए कमांडो तक को बुलाना पड़ा ,जानकारी के मुताबिक हत्या के आरोपी सुभाष बाथम ने अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने बच्चों को अपने घर बुलाया और बाद में तहखाने में बंधक बना लिया। वह छत पर चढ़कर हवाई फायर करते हुए बार-बार स्वाट टीम के दो सिपाहियों व मुखबिरी करने वाले ग्रामीण को सामने बुलाने की मांग कर रहा था। बच्चों को बंधक बनाने वाले ग्रामीण सुभाष ने बिस्कुट व सिगरेट की मांग पूरी होने के बाद देर रात प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिलाने की मांग की। वहां मौजूद अधिकारियों ने आवास दिए जाने का आश्वासन देकर बच्चों को मुक्त किए जाने बात कही, इसके बाद भी सुभाष ने बच्चों को मुक्त नहीं किया।

सुभाष ने बच्चों को अपने घर दोपहर को करीब दो बजे बुला लिया था। उसने कुछ बच्चों को बेटी के जन्म दिन पर टॉफी खिलाने का लालच दिया तो किसी को घर में सजावट करने के बहाने बुला लिया। इसके बाद उसने किसी बच्चे को बाहर नहीं निकलने दिया। चार बजे तक बच्चे घर वापस नहीं पहुंचे तो बच्चों के परिजनों को चिंता हुई। तभी उसने छत पर चढ़ कर हंगामा कर दिया। बताया गया कि सुभाष कुछ दिन पहले भी अपनी बेटी का जन्म दिन मना चुका है।

जिसके बाद पत्नी को सीएचसी भेजा और पुत्री को एक ग्रामीण के हवाले कर दिया। बंधनमुक्त कराए गए बच्चों का स्वास्थ्य टीम देर रात तक चिकित्सीय परीक्षण करती रही। गांव करथिया निवासी सुभाष बाथम ने पुत्री के जन्मदिन के बहाने गुरुवार दोपहर गांव के 23 बच्चों को घर बुलाकर बंधक बना लिया था। चार बजे से पुलिस बच्चों को मुक्त कराने के लिए उसके घर की घेराबंदी किए थे।

डीएम, एसपी पुलिस बल के साथ आरोपी के घर के बाहर डटे रहे। कानपुर जोन आईजी मोहित अग्रवाल भी घटना स्थल पर देर रात पहुंच गए। उन्होंने पूरे मामले का जायजा लिया और बच्चों को मुक्त कराने का प्रयास शुरू किया। एक छह माह की बच्ची शबनम सुभाष के दोस्तों ने अपनी बातों से देर रात मुक्त करा ली थी। इसके बाद अन्य अन्य बच्चों के मुक्त न होने पर उनके परिवार वाले और गांव के लोग रात करीब 12.30 बजे आक्रोशित हो उठे।

उन्होंने सुभाष के घर के दरवाजे पर ईंटों व पत्थरों से हमला कर दिया। गुस्साए गांव के लोगों ने हथौड़ा व ईंटे मार-मार कर दरवाजा तोड़ दिया। इससे पुलिस कर्मी घर के अंदर घुस गए। सुभाष ने पुलिस पर फायरिंग कर डाली इसमें दो पुलिस कर्मी घायल हो गए और सुभाष जवाबी कार्रवाई में मारा गया। फायरिंग बंद होने के बाद गुस्साए गांव के लोग भी घर में घुस गए और पथराव कर दिया और सुभाष की पत्नी को पकड़ कर पीट दिया।

इससे वह घायल हो गई। पुलिस ने सुभाष की पत्नी को ग्रामीणों से छुड़ाया और सीएचसी भेज दिया। उसकी पुत्री गौरी को एक ग्रामीण के सुपुर्द कर दिया। देर रात एटीएस भी मौके पर पहुंच गई। आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि 23 बच्चों को बंधक मुक्त कराने के आपरेशन के दौरान सुभाष ने पुलिस पर फायरिंग कर दी और एक हथगोला फेंका, इसमें दो पुलिस कर्मी घायल हो गए। जवाबी कार्रवाई में सुभाष मारा गया।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि बच्चों को मुक्त कराने का अभियान आठ घंटे चला। हमने अपहरणकर्ता से बात करके बच्चों को छोड़ने के लिए राजी करने की कोशिश की लेकिन हमें पता चला कि उसके पास हथियार है और हथगोला भी। उसने धमाका करने की धमकी भी दी।

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि सभी बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और अपहरणकर्ता पुलिस कार्रवाई में मारा गया है।

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