एक दरोगा.. 2 फर्जी FB आईडी और एक वादा “मिलेगी..”, और लुट गईं 14 महिलाएं.. रकम सुन हो जाएंगे हैरान

मथुरा/वाराणसी। मथुरा निवासी मुनफेद (26) एक शातिर ठगी गिरोह का सदस्य है, जिसने पूर्व पीआरओ, उपनिरीक्षक दीपक रानावत और एक अन्य दरोगा अभिजीत सिंह की नकली फेसबुक आईडी बनाकर कुल 14 विधवाओं और बेरोज़गार महिलाओं को हजारों रुपए और जेवरात ठग लिए। इस मामले में मथुरा के साथ-साथ आगरा, दिल्ली‑हरयाणा, बलिया और जम्मू-कश्मीर की महिलाएं भी शिकार बनीं। गिरोह का शिकार हुए महिलाओं का कुल आर्थिक नुकसान लगभग ₹50 लाख तक पहुंचता है।
कैसे पकड़ा गया मुनफेद ?
वाराणसी के क्राइम ब्रांच और SOG टीम ने कैंट रेलवे स्टेशन (सेकण्ड एंट्री) पर मुनफेद को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने फेसबुक पर बनाई गई नकली आईडी, फर्जी पहचान पत्र, पुलिस वर्दी, सीटी और बैज बरामद किए।
गिरफ्तार आरोपी की कई महिलाओं से धोखाधड़ी की रकम, सोने-चांदी, मंगलसूत्र व अन्य जेवरात भी जब्त किए गए।
ठगी का तंत्र और शिकार चुनने की रणनीति
मुनफेद सोशल मीडिया पर सक्रिय दरोगाओं की फोटो और विवरण लेकर उनसे नकली फेसबुक अकाउंट बनाता था।
वह 35‑45 आयु वर्ग की विधवा या बेरोज़गार महिलाओं को मानसिक रूप से प्रभावित कर ‘संदीप’ नामक दोस्त के ज़रिये सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देता था।
पैसे लेने समय वह खुद ‘संदीप’ बनकर उनसे मिलता और यदि महिलाएँ नकदी नहीं दे पातीं तो जेवर लेते थे।
पीड़ितों का दर्द और नुकसान
मैनपुरी की 33 वर्षीय महिला ने आरोपी से ₹16 लाख लिए जाने की शिकायत की।
आगरा की एक महिला से ₹50,000, मथुरा की छह महिलाओं से ₹27 लाख, दिल्ली‑हरियाणा की अन्य महिलाओं से भी भारी ठगी की गयी।
एक मथुरा की महिला से तो 19 सोने के सिक्के भी ठिके गए। कुल मिलाकर, आरोपी ने ₹50 लाख के नकदी और जेवर बरामद कराए गए।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी प्रक्रिया
पीआरओ दीपक रानावत ने वाराणसी कैंट थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद DCP क्राइम सरवणन टी. ने एसओजी को जांच सौंपी।
जांच के दौरान मुनफेद के खिलाफ वाराणसी, गोरखपुर और मथुरा में तीन एफआईआर दर्ज किए गए।
आरोपी के मोबाइल पर झारखंड के DSP अशोक प्रियदर्शी की भी फर्जी आईडी बरामद हुई, जिससे उसकी ठगी की सरगर्मी का अंदाज़ा होता है।
बरामदगी और साक्ष्यों का नेटवर्क
पुलिस को नकली नियुक्ति पत्र (ईस्टर्न रेलवे, लोक सेवा आयोग) भी मिले; साथ ही फर्जी परिचय पत्र और पुलिस वर्दी भी बरामद।
जेवरात में मंगलसूत्र, लाकेट, अंगूठी, चेन, पायल, टॉप्स और नकदी जैसी कीमती वस्तुएं शामिल थीं।
आरोपित ने ठगी की राशि से मथुरा में मकान बनवा लिया, जिसे अब कानूनी कार्रवाई में जब्त कर लिया गया।
इनाम और SOG टीम की भूमिका
SOG के प्रभारी मनीष मिश्रा, वरिष्ठ उप निरीक्षक रामकेवल यादव, उप निरीक्षक गौरव सिंह, विकास सिंह और अन्य ने गिरफ्तारी में सक्रिय भूमिका निभाई।
DCP काशी जोन ने ऑपरेशन टीम को ₹25,000 नकद इनाम की घोषणा की।
मथुरा से लेकर कश्मीर तक
आरोपी ने छह मथुरा, तीन आगरा, एक मैनपुरी, एक पलवल (हरियाणा), तीन दिल्ली, एक बलिया और जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को अपने जाल में फंसा कर ठगा। दीपक रानावत की फर्जी आईडी से 3 महिलाएं तथा अभिजीत सिंह की नकली आईडी से 11 महिलाओं से धोखाधड़ी की गई।
ऑनलाइन धोखाधड़ी और सोशल मीडिया जोखिम
यह पूरा मामला दिखाता है कि सोशल मीडिया और फर्जी पहचान का उपयोग कितना खतरनाक हो सकता है। पुलिस की समयबद्ध कार्रवाई से आरोपी पकड़ा गया, लेकिन पीड़ितों को मिली रकम व मनोवैज्ञानिक चोट की भरपाई अभी बाकी है। ऐसे गिरोह रुकथाम के लिए जांच तेज करना, डिजिटल जागरूकता और सोशल मीडिया की सुरक्षा बेहद जरूरी है।