उत्तराखंड के इन इलाकों में महसूस किए गए भूकंप के झटके

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले में सोमवार दोपहर भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए। दोपहर करीब 12 बजकर 18 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। इससे लोग घरों से बाहर निकल गए। फिलहाल किसी नुकसान की सूचना नहीं है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.7 दर्ज की गई है। इसका केंद्र पिथौरागढ़ में जमीन के भीतर करीब दस किलोमीटर रहा। भूकंप से पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी और बागेश्वर जिले के कपकोट आदि स्थानों पर लोगों को ज्यादा झटके महसूस किए गए। झटके से फिलहाल कोई नुकसान नहीं हुआ है। बागेश्वर के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि नुकसान की जानकारी जुटाई जा रही है। फिलहाल कोई सूचना नही है।
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप

उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
ये हैं भूकंप के कारण

भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

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