क्या जलवायु परिवर्तन का कोरोना वायरस फैलाने में है कोई भूमिका?

एक नए शोध के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से सार्स-कोव 2 का उद्भव हो सकता है, यही कोरोना वायरस का मुख्य कारण है।

यूके के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछली सदी में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने चमगादड़ों के पक्ष में वन निवास की वृद्धि को बढ़ावा दिया है।

इसकी वजह से दक्षिणी चीन के मुख्यतः यूनान प्रांत में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना। चमगादड़ कई जूनोटिक वायरस के जलाशयों के रूप में कार्य करता है, जिनमें सार्स-कोव, मर्स कोव और इबोला जैसे वायरस शामिल हैं। ऐसा माना जाता रहा है कि सार्स-कोव 2 चमगादड़ों से फैला है।

हालांकि वैज्ञानिक अभी भी कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगा रहे हैं। इस हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन के जांचकर्ताओं ने माना कि वुहान में उनका अनुसंधान यह बताने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है कि कोरोना वायरस जानवरों से इंसानों तक कैसे फैला।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉक्टर रॉबर्ट बायर का कहना है कि पिछली सदी में हुए जलवायु परिवर्तन से दक्षिणी चीन का यूनान प्रांत चमगादड़ों के लिए उचित और टिकाऊ जगह बन गई है।

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को जानने के लिए पहले यह समझना जरूरी है कि जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप चमगादड़ की प्रजातियों का वैश्विक वितरण कैसे बदल गया।

शोध में पाया गया कि दक्षिणी चीन के यूनान प्रांत, म्यांमार और लाओस के निकटतम क्षेत्रों में पिछली सदी में वनस्पति में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं।

जलवायु परिवर्तन में तापमान में वृद्धि, सूर्य की किरण, वातावरणीय कार्बन डाई ऑक्साइड शामिल हैं, जो पौधे और पेड़ के विकास को प्रोत्साहित करता है। इससे उष्णकटिबंधीय झाड़ी से उष्णकटिबंधीय सवाना में प्राकृतिक आवास बदल गए हैं।

इस बदलाव से कोरोना वायरस ले जाने वाली कई चमगादड़ प्रजातियों को उपयुक्त वातावरण मिला, जो मुख्य रूप से जंगलों में पनपने के लिए रहते हैं।

शोध मेें पाया गया कि इस बदलाव की वजह से यूनान प्रांत में 40 चमगादड़ों ने वास किया, जो 100 से ज्यादा तरह के चमगादड़ जनित कोरोना वायरस को अपने शरीर में रखती हैं।

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