भूकंप आने पर घबराए नहीं जानें कैसे कर सकते है खुद को सेफ ?

उत्तर भारत में शुक्रवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. रात 10.28 बजे आए भूकंप से दिल्ली एनसीआर थर्रा गया. भूकंप का असर हरियाणा, राजस्थान, जम्मू कश्मीर में भी दिखा. भूकंप के दहशत से लोग आनन-फानन में घरों से बाहर निकल गए. बताया जा रहा है कि इस भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान था. आईए जानते है कि भूकंप आने पर क्या एहतियात बरतने की जरूरत होती है.

पहले समझते है कि ये भूकंप आते क्यों है ?

हमारी धरती मुख्य तौर पर 4 परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. ऊपरी मैनटल को हम लिथोस्फीयर कहते हैं, यह 50 किलोमीटर की मोटी परत है, जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है यह टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से जब हिलना एक सामन्य प्रक्रिया है पर जब यह बहुत ज्यादा हिल जाती है तब भूकंप आता है. भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे करें खुद की सुरक्षा ?

जब भूकंप के झटके महसूस हो तुरंत आपको घर से बाहर किसी खुली जगह पर निकल जाना चाहिए. बड़ी इमारत बिजली के खंभों और पेड़ों से दूरी रहें. भूकंप आने के बाद बाहर निकलने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें, नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. अगर आप ऐसी जगह है जहां बाहर निकलने का कोई फायदा नहीं है तो खुद को सुरक्षित करने के लिए ऐसी जगह खोजें जहां खुद आप बच सकते हैं, जैसे बेड के नीचे या टेबल के नीचे लेट कर खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. भूकंप के झटके महसूस होने पर पंखे खिड़की अलमारी और भारी समान से दूर रहें इसके गिरने और कांच के टूटने से चोट लगने का खतरा रहता है. खुद को किसी मजबुत चीज से कवर करने की कोशिश करें. अगर आप भूकंप आने के समय गाड़ी में है किसी खुली जगह पर रुक कर स्थिती सामन्य होने का इंतजार करें.

जानें आपका शहर है कितना सुरक्षित ?

भारत को भूकंप क्षेत्र के आधार पर चार जोन में बांटा गया है. जोन 2,3,4,और 5. जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है और जोन 5 सबसे अधिक खतरे वाला माना जाता है. उत्तर प्रदेश के सभी राज्य जम्मू-कश्मीर उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन 5 में आते हैं. उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं. मध्य प्रदेश कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं.

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