‘डिंपल यादव’ पर मौलाना के बयान से BJP भी नाराज ? भाजपा की हमदर्दी पर डिंपल यादव ने क्या कहा ?

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान शुक्रवार को भाजपा समेत एनडीए सांसदों ने समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव के समर्थन में प्रदर्शन किया। ये विरोध उस विवादित टिप्पणी के खिलाफ था, जो मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव के मस्जिद में बिना सिर ढके जाने को लेकर दी थी। इस पूरे घटनाक्रम पर डिंपल यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा— “मणिपुर जैसी घटनाओं पर भी इसी तरह विरोध होता तो देश की महिलाओं को राहत मिलती।”

संसद परिसर में एनडीए सांसदों का विरोध प्रदर्शन

संसद भवन के बाहर एनडीए सांसदों ने पोस्टर और तख्तियों के साथ प्रदर्शन किया। तख्तियों पर लिखा था:
👉 “नारी सम्मान पर भारी, तुष्टिकरण की राजनीति तुम्हारी!”
सांसद अनुराग ठाकुर, बाँसुरी स्वराज, शंभवी चौधरी समेत कई नेताओं ने मौलाना रशीदी के बयान की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि अखिलेश यादव और सपा अब तक मौन क्यों हैं?

“मणिपुर पर भी ऐसा ही विरोध करते तो बात बनती”

डिंपल यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा:

“यह अच्छा है कि महिलाएं जब अपमानित होती हैं तब लोग आवाज़ उठाते हैं। मगर अच्छा होता अगर मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने वाली घटना पर भी संसद में इस तरह का विरोध होता।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना के पूर्व अफसरों पर राजनीति हो रही थी, तब इन लोगों ने एक शब्द नहीं कहा।

मौलाना साजिद रशीदी का बयान— विवाद का केंद्र

मौलाना साजिद रशीदी ने एक टीवी डिबेट में डिंपल यादव की मस्जिद यात्रा पर सवाल उठाया और कहा, “क्या वह मंदिरों में भी ऐसे ही बिना सिर ढके जाती हैं?” उन्होंने इकरा हसन की तुलना देते हुए अपने बयान को धार्मिक मर्यादा के संदर्भ में बताया। रशीदी का यह बयान न सिर्फ धार्मिक स्थल की मर्यादा बल्कि महिला सांसद के सम्मान पर चोट के रूप में देखा गया।

FIR दर्ज, धाराएं गंभीर— धार्मिक भावनाएं और महिला गरिमा का मामला

इस विवाद को गंभीर मानते हुए समाजवादी पार्टी के नेता प्रवेश यादव ने लखनऊ के विभूतिखंड थाने में FIR दर्ज कराई है। दर्ज धाराएं हैं:

  • IPC धाराएं: 79, 196, 197, 299, 352, 353
  • आईटी एक्ट: धारा 67
    FIR में कहा गया है कि मौलाना का बयान धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला, महिलाओं का अपमान और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाला है।

बाँसुरी स्वराज और शंभवी चौधरी का हमला— विपक्ष की चुप्पी पर सवाल

भाजपा सांसद बाँसुरी स्वराज ने कहा,

“सिर्फ सत्तापक्ष ही क्यों खड़ा हो रहा है? विपक्ष भी महिला गरिमा के लिए बोलने से क्यों कतरा रहा है?”
लोजपा सांसद शंभवी चौधरी ने कहा कि यह मुद्दा किसी एक पार्टी का नहीं बल्कि महिलाओं और धार्मिक मर्यादा का है, और हर सांसद को इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

राजनीतिक संदेश और दोहरे मापदंडों की ओर इशारा

डिंपल यादव ने इस प्रदर्शन को तंज के साथ लिया और भाजपा पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा को सिर्फ कैमरे के सामने विरोध नहीं बल्कि हर महिला के अपमान पर समान रूप से खड़ा होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर विरोध होता, तो उसका असर ज़मीनी होता।

एक महिला सांसद के सम्मान की लड़ाई या राजनीतिक प्रतीकवाद?

यह पूरा विवाद सिर्फ एक बयान तक सीमित नहीं है। इसमें कई परतें हैं— महिला गरिमा, धार्मिक पहचान, राजनीतिक तुष्टिकरण, और सत्ता-विपक्ष के बीच की वैचारिक खाई। डिंपल यादव का बयान यह दर्शाता है कि राजनीतिक विरोध कब सही मायनों में जनहित का मुद्दा बनता है और कब महज़ राजनीतिक स्टंट।

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