दिग्विजय सिंह ने पूछा- किसानों के साथ वार्ता में राजनाथ सिंह का इस्तेमाल क्यों नहीं? 

राज्यसभा में बृहस्पतिवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों के साथ वार्ता के लिए गठित मंत्री स्तरीय समिति में रेल व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को रखने और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शामिल नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठाया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए दिग्विजय सिंह ने यह स्वीकार किया कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, उसके प्रावधान तीनों कृषि कानूनों में हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस ने यह कभी नहीं कहा था कि बिना आम सहमति के इन कानूनों को लाया जाएगा।

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘किसानों से चर्चा के लिए उन्होंने (सरकार) कृषि मंत्री को लगाया लेकिन पीयूष गोयल का किसानों से क्या लेना-देना है। रखना था तो राजनाथ सिंह को रखना चाहिए था। समझौते (किसानों के साथ वार्ता के संदर्भ में) में राजनाथ सिंह का उपयोग क्यों नहीं किया गया? पीयूष गोयल किसानों का प्रतिनिधित्व करेंगे?’’ ज्ञात हो कि आंदोलनरत किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार की ओर से अब तक हुई वार्ता में सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल होते रहे हैं। किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी पिछले दिनों वार्ता के लिए गठित समिति में राजनाथ सिंह को शामिल न किए जाने को लेकर सवाल उठाया और कहा था, ‘‘इस सरकार में राजनाथ सिंह की तौहीन हो रही है।’’ तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए सिंह ने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के पीछे कांग्रेस का षडय़ंत्र होने के आरोपों को खारिज किया।

तीन कृषि कानूनों के प्रावधानों के कांग्रेस घोषणा पत्र में होने के भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘हमारे चुनावी घोषणापत्र में था लेकिन ये कहां था कि इस पर आम सहमति नहीं होगी।’’ सिंह ने इससे पहले, राष्ट्रपति के अभिभाषण का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इसमें वास्तविकता का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि जब भाजपा केंद्र की सत्ता में आई थी तब उन्होंने विदेशों से काला धन लाने, भ्रष्टाचार समाप्त करने, प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने जैसे वादे किए थे लेकिन राष्ट्रपति के अभिभाषण में इन वादों का कोई उल्लेख नहीं है।

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