75 दिन का रेस्क्यू ऑपरेशन:रणजीत सागर डैम से पायलट जयंत जोशी की बॉडी मिली,

को-पायलट जयंत जोशी। फाइल फोटो।

रंजीत सागर डैम में 3 अगस्त को क्रैश हुए आर्मी के रुद्र हेलिकॉप्टर के दूसरे पायलट का शव रविवार को मिल गया। पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर क्रैश हुए HAL रुद्र के को-पायलट जयंत जोशी का शव घटना के 75 दिन बाद मिला। हादसे के बाद पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल एएस बाठ और को-पायलट जयंत जोशी लापता हो गए थे।

एएस बाठ का शव हादसे के 12 दिन बाद खोजा जा सका था। 75 दिन पानी में रहने की वजह से जयंत जोशी की बॉडी की हालत बेहद खराब हो चुकी है। उनके पार्थिव शरीर को पठानकोट के आर्मी अस्पताल में रखवाया गया है।

कम ऊंचाई पर उड़ान की ट्रेनिंग ले रहे थे पायलट
आर्मी की एविएशन स्क्वाड्रन के इस हेलिकॉप्टर ने उस दिन सुबह 10:20 बजे मामून कैंट से उड़ान भरी थी। रणजीत सागर डैम के ऊपर हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भर रहा था और उसी दौरान वह क्रैश हो गया। पायलट एएस बाठ और को-पायलट जयंत जोशी इस हेलिकॉप्टर को उड़ा रहे थे।

हादसे के समय हेलिकॉप्टर ट्रेनिंग उड़ान पर था और इसके पायलट को कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। हादसे के बाद चॉपर के कुछ कलपुर्जे उसी दिन खोज लिए गए थे, लेकिन दोनों पायलट का पता नहीं चला था।

रणजीत सागर झील में चलाए गए तलाशी अभियान में दिल्ली, मुंबई चंडीगढ़ और कोच्चि से विशेष गोताखोरों को बुलाया गया था।

झील में आर्मी का सबसे बड़ा तलाशी अभियान
हादसे के तुरंत बाद NDRF और पंजाब पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, मगर बाद में सर्च ऑपरेशन में नेवी और आर्मी के स्पेशल गोताखोरों की टीम को लगाया गया। इस टीम में दो दर्जन से ज्यादा लाेग शामिल थे।

इस झील में चलाए गए अब तक के सबसे बड़े तलाशी अभियान में दिल्ली, मुंबई चंडीगढ़ और कोच्चि से विशेष गोताखोरों को बुलाया गया। इसके अलावा मल्टी-बीम सोनर, साइड स्कैनर्स, रिमोट संचालित वाहन और अंडरवाटर मैनिपुलेटर्स भी मंगवाए गए।

झील के बड़े एरिया की वजह से दिक्कत
रणजीत सागर डैम की लंबाई 25 किलोमीटर और चौड़ाई 8 किलोमीटर के आसपास है। इतने बड़े एरिया में लापता पायलटों का पता लगाना बहुत मुश्किल काम रहा। डैम के पानी के कोलोइडल नेचर की वजह से भी सर्च ऑपरेशन में दिक्कत आई।

आसान भाषा में कहें तो एक विशेष सब्सटेंस के मौजूद होने की वजह पानी की विजिबिलिटी 50 मीटर से ज्यादा नहीं है। इसकी वजह से सोनर और दूसरे सेंसर्स की क्षमता प्रभावित हुई। ऐसे में रणनीति बदलते हुए 60X60 मीटर का एरिया तय कर कोच्चि से मंगाए गए विशेष सोनर इक्विपमेंट की मदद से सर्च शुरू की गई।

झील से बरामद हेलिकॉप्टर का मलबा।

15 अगस्त को मिल गई थी पायलट की बॉडी
हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद 12वें दिन, 15 अगस्त को पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल अभीत सिंह बाठ का शव डैम से बरामद कर लिया गया। को-पायलट जयंत जोशी का पता नहीं चल पाया था। लेफ्टिनेंट कर्नल बाठ का शव रणजीत सागर डैम में 75.9 मीटर की गहराई पर मिला था।

9 सितंबर 2021 को आर्मी की टीमों ने हेलिकॉप्टर के बचे हुए हिस्से को भी ढूंढ़ लिया लेकिन कैप्टन जयंत जोशी के बारे में पता नहीं लग पा रहा था। रविवार को ढाई महीने बाद रेस्क्यू दल को जयंत जोशी की बॉडी झील में मिल गई।

को-पायलट जयंत जोशी। फाइल फोटो

जयंत जोशी के भाई ने जताई थी नाराजगी
इससे पहले 9 अगस्त को जयंत जोशी के भाई नील जोशी ने सर्च ऑपरेशन धीमी गति से चलाए जाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा था कि हेलिकॉप्टर क्रैश हुए लगभग एक हफ्ता हो गया है और उनके भाई का कोई अता-पता नहीं है। उनका कहना था कि पायलटों को खोजने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है।

खबरें और भी हैं…

Related Articles

Back to top button