बड़ी खबर: “सरेंडर कर दो” – सुप्रीम कोर्ट का पूर्व MLA को आदेश, 600 करोड़ के फ्रॉड में हुए फरार

कांग्रेस के पूर्व विधायक धरम सिंह छोकर (Dharam Singh Chhoker) एक बड़े आर्थिक घोटाले में बुरी तरह घिर चुके हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रियल एस्टेट धोखाधड़ी के एक मामले में छोकर पर ₹616 करोड़ की हेराफेरी का आरोप लगाया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जेल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। छोकर पर आरोप है कि उन्होंने करीब 3700 निवेशकों को फ्लैट देने के नाम पर ठगा और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की।

3700 होम बायर्स से ₹616 करोड़ की ठगी

ED की जांच में खुलासा हुआ कि धरम सिंह छोकर और उनके सहयोगियों ने दिल्ली-एनसीआर के हजारों होम बायर्स से फ्लैट और प्लॉट देने के नाम पर ₹616 करोड़ से ज्यादा की राशि वसूल की। लेकिन लंबे समय तक निर्माण कार्य नहीं हुआ और बायर्स को न तो घर मिले और न ही रिफंड। यह मामला रियल एस्टेट क्षेत्र के सबसे बड़े घोटालों में से एक बन गया है।

फर्जी दस्तावेजों और बैंक गारंटी से किया खेल

ईडी के अनुसार, छोकर और उनकी टीम ने फर्जी बिल, झूठी बैंक गारंटियां और फर्जी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर लोगों को भरोसे में लिया। इसके बाद उनसे मोटी रकम वसूल ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी ने पीएमएलए (PMLA) एक्ट के तहत कार्रवाई की और छोकर की कई संपत्तियों को अटैच कर लिया है।

ED ने जब्त की ₹44 करोड़ की संपत्ति

अब तक की कार्रवाई में छोकर की ₹44 करोड़ की अचल संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं। इनमें दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और पानीपत की जमीनें, लग्जरी गाड़ियां और बैंक अकाउंट शामिल हैं। ईडी ने छोकर और उनके बेटे विकास छोकर को ‘घोषित अपराधी’ (Proclaimed Offender) घोषित कर रखा है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश: जेल में सरेंडर करें छोकर

लंबे समय से फरार चल रहे धरम सिंह छोकर को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वे तुरंत जेल में आत्मसमर्पण करें ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो सके। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बड़े आर्थिक अपराधों में देरी और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

निवेशकों का भविष्य अधर में, सरकार से मदद की उम्मीद

करीब 3700 परिवार आज अपने सपनों के घर की तलाश में भटक रहे हैं। उन्होंने ना सिर्फ अपनी जमा पूंजी गँवाई बल्कि मानसिक रूप से भी गंभीर संकट झेला। पीड़ित निवेशकों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें न्याय दिलाने और नुकसान की भरपाई के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

सिस्टम की जवाबदेही पर सवाल

धरम सिंह छोकर का मामला न सिर्फ एक रियल एस्टेट घोटाले की पोल खोलता है, बल्कि यह सिस्टम की जवाबदेही और सरकारी निगरानी की भी कड़ी परीक्षा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह देखना अहम होगा कि कानून कितनी सख्ती से दोषियों को सज़ा दिला पाता है और क्या निवेशकों को उनका हक वापस मिल पाता है।

 

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