CM गहलोत के निर्देश और हाईकोर्ट के नोटिस के बावजूद लागू नहीं हुई तबादला नीति

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के निर्देशों के बावजूद चार महीने बाद भी प्रदेश की ट्रांसफर पॉलिसी (Transfer policy) हिचकोले खाती नजर आ रही है. सब कुछ फाइनल होने के बाद भी नौकरशाही के सुस्त और लापरवाह रवैये के कारण ट्रांसफर पॉलिसी जमीनी धरातल पर नहीं उतर पा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि तबादला उद्योग पर रोक लगे.

इसके लिए ट्रांसफर पॉलिसी बनाई गई. मार्च महीने में जोर-शोर से ट्रांसफर पॉलिसी को जमीनी धरातल पर उतारने की कवायद तेज हुई थी. लेकिन यह कवायद अभी तक पूरी नहीं हो पाई. मुख्य सचिव निरजंन आर्य के निर्देश के बावजूद भी अधिकतर विभागों के सचिवों ने तबादला ट्रांसफर पॉलिसी पर अपने सुझाव सरकार को नहीं भेजे. कार्मिक विभाग समेत कुछ विभागों ने ट्रांसफर पॉलिसी की आवश्यकता नहीं होने की बात कही है, जबकि कुछ विभाग ट्रांसफर पॉलिसी पर सवाल खड़े कर रहे है.

ट्रांसफर पॉलिसी को मूर्त रूप देने के लिए मार्च महीने में प्रशासनिक सुधार विभाग ने सभी विभागों से सुझाव मांगे थे. इसके बाद फाइनल ड्राफ्ट मुख़्य सचिव की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रस्तुत किया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हरी झंडी मिलते ही इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा. स्थानांतरण नीति आने पर तबादलों में विधायकों की डिजायर सिस्टम खत्म हो जाएगा।

हाईकोर्ट ने भी जारी किया था नोटिस
उल्लेखनीय है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने भी दिसंबर 2014 में सरकार को नोटिस जारी किया था कि राजस्थान में ट्रांसफर पॉलिसी लागू की जाए. दरअसल, ट्रांसफर्स में इतने घपले सामने आ रहे हैं कि कहीं तालेबंदी हो रही है तो कहीं सीएम और विधायक-मंत्रियों को हजारों ज्ञापन दिए जा रहे हैं.

दिव्यांगों और महिलाओं को राहत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रदेश में ट्रांसफर पॉलिसी लाने की बात कही थी. ट्रांसफर पॉलिसी यदि अमल में आ जाती है तो तीन बरस के बाद ही कर्मचारी और अधिकारियों का तबादला हो सकेगा. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. ट्रांसफर पॉलिसी में दिव्यांगों, महिलाओं, विधवा महिलाओं को राहत प्रदान की गई है.

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